सार
एसजेबी की योजना नववर्ष के बाद 19 अप्रैल से बुलाए गए संसद सत्र के दौरान स्पीकर को ये दोनों प्रस्ताव सौंपने की है। नेता विपक्ष साजिथ प्रेमदास ने बुधवार को राष्ट्रपति के खिलाफ महाभियोग और सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किए थे।
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कोलंबो पेज की खबर के मुताबिक, एसजेबी की योजना नववर्ष के बाद 19 अप्रैल से बुलाए गए संसद सत्र के दौरान स्पीकर को ये दोनों प्रस्ताव सौंपने की है। नेता विपक्ष साजिथ प्रेमदास ने बुधवार को राष्ट्रपति के खिलाफ महाभियोग और सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किए थे।
हालांकि सिलोन वर्कर्स कांग्रेस (सीडब्ल्यूसी) ने एसजेबी के लाए प्रस्तावों का समर्थन नहीं करने फैसला किया है। सीडब्ल्यूसी चेयरमैन एमपी मरदापंडी रामेश्वरन ने कहा कि पार्टी अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग के समय अनुपस्थित रहेगी।
राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के इस्तीफे की मांग
श्रीलंकाई सरकार द्वारा आर्थिक स्थिति से निपटने के विरोध में प्रदर्शन कर रहे हैं और राष्ट्रपति गोतबाया राजपक्षे और प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे के इस्तीफे की मांग कर रहे हैं। प्रदर्शनकारी राजपक्षे की सरकार पर भ्रष्टाचार और कुशासन का आरोप लगाते रहे हैं।
आज निकाला जा सकता है विशाल प्रदर्शन जुलूस
श्रीलंका की मार्क्सवादी पार्टी, जनता विमुक्ति पेरामुना (जेवीपी) की योजना जनता का समर्थन करने और राजपक्षे सरकार को सत्ता से हटाने के लिए एक विशाल प्रदर्शन जुलूस निकालने की है। कोलंबो पेज के मुताबिक, बीते बुधवार को एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए जेवीपी के महासचिव तिलविन सिल्वा ने कहा था कि यह सार्वजनिक प्रदर्शन देश के इतिहास में सबसे बड़ा होगा और 17, 18 और 19 अप्रैल को आयोजित होने वाला है। सिल्वा ने आगे कहा कि 17 अप्रैल को प्रदर्शन जुलूस सुबह नौ बजे बेरूवाला से शुरू होकर 19 अप्रैल को कोलंबो पहुंचेगा।
जेवीपी महासचिव ने कहा, “हमें एक जनशक्ति बनाने की जरूरत है जो इसे एक संघर्ष में बदल देगी और सरकार लोगों की मांगों को नजरअंदाज नहीं कर पाएगी। हमें एक जनशक्ति बनानी है जो भ्रष्ट सरकार को खदेड़ देगी, और एक ऐसी जनता की सरकार बनाएगी जो भ्रष्ट लोगों को सजा दे। हम लोगों से साथ आने और इसे सफल बनाने का आग्रह करते हैं।”
बता दें कि कोविड-19 महामारी की शुरुआत के बाद से ही श्रीलंका की अर्थव्यवस्था में बड़ी गिरावट आई है, जिससे पर्यटन क्षेत्र बुरी तरह प्रभावित हो गया है। श्रीलंका को विदेशी मुद्रा की कमी का भी सामना करना पड़ रहा है, जिससे खाद्य और ईंधन आयात करने की उसकी क्षमता प्रभावित हुई है। आवश्यक वस्तुओं की कमी ने श्रीलंका को मित्र देशों से सहायता लेने के लिए मजबूर किया है।