videsh

यूक्रेन युद्ध : रूस भी झेल रहा है भारत के तटस्थ रुख की तपिश, भारत कर रहा अपने हितों की चिंता

हिमांशु मिश्र, अमर उजाला, नई दिल्ली।
Published by: योगेश साहू
Updated Sat, 16 Apr 2022 06:33 AM IST

सार

पहले ब्रिटेन फिर यूरोपीय देशों और अंत में अमेरिका पर पलटवार कर भारत ने साफ संदेश दिया कि फिलहाल वह सभी मुद्दों पर अपने हित को तरजीह देगा। इस क्रम में रूस से तेल आयात के मामले में ब्रिटेन की विदेश मंत्री ट्रस को संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में जयशंकर की खरी खरी सुननी पड़ी। जयशंकर ने यूरोपीय देशों पर भी निशाना साधा।

ख़बर सुनें

यूक्रेन युद्ध मामले में भारत की विदेश नीति नए रूप में सामने आई है। पहली बार भारत ने दुनिया के हित की जगह अपने हितों को तरजीह दी है। भारत के तटस्थ रुख से अमेरिका सहित कई पश्चिमी देश असहज हैं, जबकि बूचा नरसंहार की निंदा कर भारत ने रूस को भी संदेश दिया है। भारत दुनिया को बार-बार संदेश दे रहा है कि वैश्विक मामलों में अब ताकतवर देशों की खेमेबंदी से उलझने के बदले उसकी प्राथमिकता अब अपना हित देखने की है।

युद्ध की शुरुआत के बाद भारत कूटनीतिक जमावड़े का हिस्सा बना। अमेरिका, ब्रिटेन, रूस, चीन, ऑस्ट्रेलिया सहित कई देशों के प्रतिनिधियों ने भारत का दौरा किया। इन दौरों के जरिये अलग-अलग देशों का मकसद भारत का अपने हित में इस्तेमाल करना था। हालांकि भारत ने स्पष्ट किया कि यूक्रेन युद्ध के संदर्भ में वह अपने हितों और अपने विचारों के अनुरूप ही निर्णय लेगा।

मेल मुलाकात के जरिये पीएम ने दिया संदेश
बदली नीति का संदेश पीएम मोदी ने विदेशी प्रतिनिधियों के भारत दौरे के दौरान दिया। जिन विदेशी प्रतिनिधियों ने भारत का दौरा किया, उनमें से पीएम मोदी ने सिर्फ रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव से ही मुलाकात की। अमेरिका के उप राष्ट्रीय सलाहकार दलीप सिंह, ब्रिटेन की विदेश मंत्री एलिजाबेथ ट्रस से पीएम की मुलाकात नहीं हुई।
 

इसी प्रकार पीएम की चीन के विदेश मंत्री वांग यी से मुलाकात नहीं हुई। सरकारी सूत्रों के मुताबिक इनके दौरे के प्रति भारत का रुख ठंडा था। खासकर ट्रस और दलीप सिंह चाहते थे कि भारत यूक्रेन युद्ध मामले में रूस की आलोचना करने के साथ ही उससे तेल-गैस आयात बंद करे। इन प्रतिनिधियों से दूरी बना कर भारत ने संदेश दिया कि वह अपने तटस्थ रुख से समझौता नहीं करेगा।

अपने हित को तरजीह देने का संदेश
पहले ब्रिटेन फिर यूरोपीय देशों और अंत में अमेरिका पर पलटवार कर भारत ने साफ संदेश दिया कि फिलहाल वह सभी मुद्दों पर अपने हित को तरजीह देगा। इस क्रम में रूस से तेल आयात के मामले में ब्रिटेन की विदेश मंत्री ट्रस को संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में जयशंकर की खरी खरी सुननी पड़ी। जयशंकर ने यूरोपीय देशों पर भी निशाना साधा। अमेरिका ने जब भारत में मानवाधिकार उल्लंघन का सवाल उठाया तो विदेश मंत्री उसे भी खरी-खरी सुनाने से नहीं चूके।

नए रुख को मिल रही मंजूरी
भारत पर दबाव बनाने में नाकाम रहने के बाद उसके नए रुख को स्वीकार भी किया जा रहा है। मसलन भारत के रुख की आलोचना करने वाले ऑस्ट्रेलिया ने बीते हफ्ते भारत के साथ ऐतिहासिक व्यापार समझौता किया। पहले जून में होने वाले जी-7 बैठक में भारत को न्यौता नहीं भेजने पर मंथन हो रहा था। अब संकेत है कि मेजबान जर्मनी जल्द ही भारत को बैठक में शामिल होने का निमंत्रण भेजेगा।

विस्तार

यूक्रेन युद्ध मामले में भारत की विदेश नीति नए रूप में सामने आई है। पहली बार भारत ने दुनिया के हित की जगह अपने हितों को तरजीह दी है। भारत के तटस्थ रुख से अमेरिका सहित कई पश्चिमी देश असहज हैं, जबकि बूचा नरसंहार की निंदा कर भारत ने रूस को भी संदेश दिया है। भारत दुनिया को बार-बार संदेश दे रहा है कि वैश्विक मामलों में अब ताकतवर देशों की खेमेबंदी से उलझने के बदले उसकी प्राथमिकता अब अपना हित देखने की है।

युद्ध की शुरुआत के बाद भारत कूटनीतिक जमावड़े का हिस्सा बना। अमेरिका, ब्रिटेन, रूस, चीन, ऑस्ट्रेलिया सहित कई देशों के प्रतिनिधियों ने भारत का दौरा किया। इन दौरों के जरिये अलग-अलग देशों का मकसद भारत का अपने हित में इस्तेमाल करना था। हालांकि भारत ने स्पष्ट किया कि यूक्रेन युद्ध के संदर्भ में वह अपने हितों और अपने विचारों के अनुरूप ही निर्णय लेगा।

मेल मुलाकात के जरिये पीएम ने दिया संदेश

बदली नीति का संदेश पीएम मोदी ने विदेशी प्रतिनिधियों के भारत दौरे के दौरान दिया। जिन विदेशी प्रतिनिधियों ने भारत का दौरा किया, उनमें से पीएम मोदी ने सिर्फ रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव से ही मुलाकात की। अमेरिका के उप राष्ट्रीय सलाहकार दलीप सिंह, ब्रिटेन की विदेश मंत्री एलिजाबेथ ट्रस से पीएम की मुलाकात नहीं हुई।

 

इसी प्रकार पीएम की चीन के विदेश मंत्री वांग यी से मुलाकात नहीं हुई। सरकारी सूत्रों के मुताबिक इनके दौरे के प्रति भारत का रुख ठंडा था। खासकर ट्रस और दलीप सिंह चाहते थे कि भारत यूक्रेन युद्ध मामले में रूस की आलोचना करने के साथ ही उससे तेल-गैस आयात बंद करे। इन प्रतिनिधियों से दूरी बना कर भारत ने संदेश दिया कि वह अपने तटस्थ रुख से समझौता नहीं करेगा।

Source link

Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Most Popular

10
videsh

नया अध्ययन : कैंसर के दूसरे अंगों में फैलने से हो रही 90 प्रतिशत मरीजों की मौत, अमेरिकी वैज्ञानिकों का खुलासा

To Top
%d bloggers like this: