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शोध: फेफड़े की दुर्लभ बीमारी के पीछे छिपे जीन की पहचान, अज्ञात बीमारी से दो साल के बच्चे की मौत का रहस्य सुलझा

एजेंसी, सेंट लुइस
Published by: देव कश्यप
Updated Mon, 07 Feb 2022 05:27 AM IST

सार

प्रोसिडिंग्स ऑफ नेशनल एकेडमी ऑफ साइसेंस में प्रकाशित रिपोर्ट में बताया गया कि जीन (Gene) में गड़बड़ियों की वजह से बच्चों या नवजात के फेफड़ों की स्थिति लगातार खराब होती जाती है।

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स्वस्थ जन्म के बावजूद दुर्लभ बीमारी की वजह से जान गंवाने वाले दो साल के बच्चे की मौत का रहस्य वैज्ञानिकों ने सुलझा लिया है। वाशिंगटन विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ मेडिसिन के वैज्ञानिकों के अनुसार, बच्चे को एक जीन से जुड़ी मध्य फेफड़ों की बीमारी (इंटरस्टीशियल लंग डिजीज) हुई थी। लेकिन किस जीन से बीमारी हुई, यह अज्ञात था। बच्चा तो नहीं बचा, लेकिन इस सुलझाए गए रहस्य से बीमारी की चपेट में आने वाले दूसरे बच्चों व लोगों के इलाज में मदद मिलेगी।

प्रोसिडिंग्स ऑफ नेशनल एकेडमी ऑफ साइसेंस में प्रकाशित रिपोर्ट में बताया गया कि जीन में गड़बड़ियों की वजह से बच्चों या नवजात के फेफड़ों की स्थिति लगातार खराब होती जाती है। उनके फेफड़ों में क्षति के निशान बनते हैं, जिनसे सांस लेना धीरे धीरे मुश्किल हो जाता है। कुछ मामलों में कोई जेनेटिक गड़बड़ी न होने पर भी यह रोग मिलता है। मौजूदा मामला ऐसा ही था। अध्ययन में बेलर चिकित्सा महाविद्यालय के बायोइफॉर्मेटिक्स विशेषज्ञों की टीम ने बच्चे के डीएनए कोड में आए बदलावों की पहचान की। अधिकतर बदलाव सामान्य और गैर-हानिकारक थे। लेकिन कुछ संभावित संदिग्ध लगे। इनकी सूची बनाई गई।

बच्चे के फेफड़े के नमूने की जांच में सर्फेक्टेंट से जुड़ी समस्या मिली। सर्फेक्टेंट प्रोटोन और लिपिड (पानी या तेल में अघुलनशील तत्व) का मिश्रण होता है। यह फेफड़े में वायु के लिए छोटे पॉकेट्स की सतह पर तनाव कम कर इन्हें खुला रखता है। इन्हीं पॉकेट्स से हमारा शरीर ऑक्सीजन लेकर का कार्बन डाइऑक्साइड छोड़ता है। 

जीन आरएबी5बी में गड़बड़ी से हुई बीमारी
बच्चे के सफेंक्टेंट के जीन प्रोटीन में कोई बदलाव नहीं मिला, लेकिन एक जीन प्रोटीन आरएबी5बी का पता चला। यह जीन सर्फेक्टेंट बनाने वाली कोशिकाओं की प्रणाली का हिस्सा था। यह जीन सर्फेक्टेंट्स की गतिविधि को संचालित करता है। इसमें म्यूटेशन से प्रोटीन टूट रहे थे और सर्फेक्टेंट की कार्यप्रणाली ही जहरीली बन रही थी। फेफड़ों में सर्फेक्टेंट्स की कमी भी पड़ रही थी, जससे उनमें क्षति के निशान बन रहे थे।

फायदा: प्रत्यारोपण के लिए भी पहले से तैयार रह सकेंगे
अध्ययनकर्ता वैज्ञानिकों स्टीवन एल ब्रॉडी, डोरोथी आर व हुबर्ट सी मूग का मानना है कि इस खोज का फायदा लोगों में रोग की पहचान, इलाज और अन्य जीन संबंधी समस्याओं को जानने में मिलेगा। कई मामलों में मरीज को बीमारी क्यों हुई, पता नहीं चल पाता। रहस्य उजागर होने से बीमारी की आशंका भांपी जा सकेगी।

माता-पिता में नहीं था यह म्यूटेशन
अध्ययनकर्ता हुयान हुआंग के अनुसार, बच्चे के माता पिता के जीन में यह म्यूटेशन नहीं था बल्कि उसमें यह केवल घटनात्मक रूप से भ्रूण के विकास के दौरान डीएनए में यह आया और बीमारी की वजह बना। पड़ रही थी, जिससे उनमें । अध्ययन को अमेरिका के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हैल्थ क्षति के अज्ञात रोग जांच कार्यक्रम के तहत करवाया गया।

विस्तार

स्वस्थ जन्म के बावजूद दुर्लभ बीमारी की वजह से जान गंवाने वाले दो साल के बच्चे की मौत का रहस्य वैज्ञानिकों ने सुलझा लिया है। वाशिंगटन विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ मेडिसिन के वैज्ञानिकों के अनुसार, बच्चे को एक जीन से जुड़ी मध्य फेफड़ों की बीमारी (इंटरस्टीशियल लंग डिजीज) हुई थी। लेकिन किस जीन से बीमारी हुई, यह अज्ञात था। बच्चा तो नहीं बचा, लेकिन इस सुलझाए गए रहस्य से बीमारी की चपेट में आने वाले दूसरे बच्चों व लोगों के इलाज में मदद मिलेगी।

प्रोसिडिंग्स ऑफ नेशनल एकेडमी ऑफ साइसेंस में प्रकाशित रिपोर्ट में बताया गया कि जीन में गड़बड़ियों की वजह से बच्चों या नवजात के फेफड़ों की स्थिति लगातार खराब होती जाती है। उनके फेफड़ों में क्षति के निशान बनते हैं, जिनसे सांस लेना धीरे धीरे मुश्किल हो जाता है। कुछ मामलों में कोई जेनेटिक गड़बड़ी न होने पर भी यह रोग मिलता है। मौजूदा मामला ऐसा ही था। अध्ययन में बेलर चिकित्सा महाविद्यालय के बायोइफॉर्मेटिक्स विशेषज्ञों की टीम ने बच्चे के डीएनए कोड में आए बदलावों की पहचान की। अधिकतर बदलाव सामान्य और गैर-हानिकारक थे। लेकिन कुछ संभावित संदिग्ध लगे। इनकी सूची बनाई गई।

बच्चे के फेफड़े के नमूने की जांच में सर्फेक्टेंट से जुड़ी समस्या मिली। सर्फेक्टेंट प्रोटोन और लिपिड (पानी या तेल में अघुलनशील तत्व) का मिश्रण होता है। यह फेफड़े में वायु के लिए छोटे पॉकेट्स की सतह पर तनाव कम कर इन्हें खुला रखता है। इन्हीं पॉकेट्स से हमारा शरीर ऑक्सीजन लेकर का कार्बन डाइऑक्साइड छोड़ता है। 

जीन आरएबी5बी में गड़बड़ी से हुई बीमारी

बच्चे के सफेंक्टेंट के जीन प्रोटीन में कोई बदलाव नहीं मिला, लेकिन एक जीन प्रोटीन आरएबी5बी का पता चला। यह जीन सर्फेक्टेंट बनाने वाली कोशिकाओं की प्रणाली का हिस्सा था। यह जीन सर्फेक्टेंट्स की गतिविधि को संचालित करता है। इसमें म्यूटेशन से प्रोटीन टूट रहे थे और सर्फेक्टेंट की कार्यप्रणाली ही जहरीली बन रही थी। फेफड़ों में सर्फेक्टेंट्स की कमी भी पड़ रही थी, जससे उनमें क्षति के निशान बन रहे थे।

फायदा: प्रत्यारोपण के लिए भी पहले से तैयार रह सकेंगे

अध्ययनकर्ता वैज्ञानिकों स्टीवन एल ब्रॉडी, डोरोथी आर व हुबर्ट सी मूग का मानना है कि इस खोज का फायदा लोगों में रोग की पहचान, इलाज और अन्य जीन संबंधी समस्याओं को जानने में मिलेगा। कई मामलों में मरीज को बीमारी क्यों हुई, पता नहीं चल पाता। रहस्य उजागर होने से बीमारी की आशंका भांपी जा सकेगी।

माता-पिता में नहीं था यह म्यूटेशन

अध्ययनकर्ता हुयान हुआंग के अनुसार, बच्चे के माता पिता के जीन में यह म्यूटेशन नहीं था बल्कि उसमें यह केवल घटनात्मक रूप से भ्रूण के विकास के दौरान डीएनए में यह आया और बीमारी की वजह बना। पड़ रही थी, जिससे उनमें । अध्ययन को अमेरिका के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हैल्थ क्षति के अज्ञात रोग जांच कार्यक्रम के तहत करवाया गया।

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