न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: शिव शरण शुक्ला
Updated Sat, 12 Mar 2022 11:05 PM IST
सार
इन लोक अदालतों में आपराधिक कंपाउंडेबल, राजस्व, बैंक वसूली, मोटर दुर्घटना के दावे, वैवाहिक विवाद, चेक बाउंस मामले और अन्य दीवानी मामलों में वादियों को कुल 2,706 करोड़ रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया गया।
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विस्तार
नालसा ने इसे लेकर बयान भी जारी किया। इसमें कहा गया है कि साल की पहली शारीरिक राष्ट्रीय लोक अदालत में एक ही दिन में 40 लाख से अधिक मामलों को सुलझाने के लिए देश भर के अदालत परिसरों में लोगों की भारी भीड़ उमड़ी। शाम 4.30 बजे तक उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, लोक अदालत के माध्यम से 1.38 करोड़ मामले समाधान के लिए उठाए गए थे। इनमें से 1.10 करोड़ मामले पूर्व-मुकदमे से संबंधित थे और शेष 28.34 लाख देश की विभिन्न अदालतों में लंबित थे। इनमें से 40 लाख से अधिक का शनिवार को निपटारा कर दिया गया।
इन लोक अदालतों में आपराधिक कंपाउंडेबल, राजस्व, बैंक वसूली, मोटर दुर्घटना के दावे, वैवाहिक विवाद, चेक बाउंस मामले और अन्य दीवानी मामलों में वादियों को कुल 2,706 करोड़ रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया गया।
न्यायमूर्ति ललित ने स्वयं वर्चुअल कांफ्रेंसिंग के माध्यम से लोक अदालतों के कामकाज और कामकाज की सक्रिय निगरानी की। साथ ही राज्य कानूनी सेवाओं, जिला कानूनी सेवा प्राधिकरणों के साथ बातचीत की और उनका मार्गदर्शन किया।
इस उपलब्धि की सराहना करते हुए एनएएलएसए के कार्यकारी अध्यक्ष न्यायमूर्ति उदय उमेश ललित ने कहा कि लोक अदालत की सफलता के लिए त्वरित न्याय और सस्ती पहुंच महत्वपूर्ण है। न्यायमूर्ति ललित ने आम लोगों तक त्वरित और किफायती पहुंच की आवश्यकता पर भी बल दिया ताकि उन्हें इस प्रक्रिया में सक्रिय रूप से भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके।
नालसा के तत्वावधान में इससे पहले अंतिम राष्ट्रव्यापी लोक अदालत 11 दिसंबर, 2021 को आयोजित की गई थी। उस दिन 29 लाख से अधिक मामलों का निपटारा किया गया था।