राजीव सिन्हा, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: अजय सिंह
Updated Sun, 17 Apr 2022 12:30 PM IST
सार
लखीमपुर खीरी हिंसा मामले के मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा फिर जेल जाएंगे या बाहर ही रहेंगे, सोमवार को फैसला हो जाएगा। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार से 4 अप्रैल तक जवाब मांगा था और इस दिन हुई सुनवाई में सभी दलीलें सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने आदेश सुरक्षित रख लिया था।
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विस्तार
चीफ जस्टिस एनवी रमण, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस हिमा कोहली की पीठ सोमवार सुबह 10.30 बजे पीड़ित परिवार के सदस्यों द्वारा हाईकोर्ट से आशीष मिश्रा को मिली जमानत के खिलाफ दायर याचिका पर फैसला सुनाएगी। गत चार अप्रैल को पीठ ने सभी पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे ने दलील दी थे कि हाईकोर्ट ने एसआईटी की रिपोर्ट के साथ-साथ चार्जशीट को नजरअंदाज कर दिया। दवे ने यह कहते हुए जमानत रद्द करने की मांग की थी कि आरोप गंभीर हैं और गवाहों को जान को खतरा है। उन्होंने यह भी कहा कि हाईकोर्ट के आदेश में दिमागी कसरत का अभाव है।
वहीं आशीष मिश्रा की ओर से वरिष्ठ वकील रंजीत कुमार ने हाईकोर्ट के आदेश का बचाव करते हुए कहा था कि उनका मुवक्किल घटना के समय उस जगह पर मौजूद नहीं था। उन्होंने कहा था कि अगर अदालत जमानत के लिए कोई शर्त जोड़ना चाहती है तो वह ऐसा कर सकती है।
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने भी हाईकोर्ट के 10 फरवरी के आदेश पर आपत्ति जताई थी जिसमें लखीमपुर खीरी हिंसा मामले के आशीष मिश्रा को जमानत देने के लिए प्राथमिकी और पोस्टमार्टम रिपोर्ट में ‘अप्रासंगिक’ विवरण पर भरोसा किया गया था।
मालूम हो कि गत वर्ष तीन अक्तूबर को कई किसान उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य की लखीमपुर खीरी जिले की यात्रा के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे थे तब चार किसान एक एसयूवी द्वारा कुचले जाने के बाद मारे गए थे।
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