वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, मॉस्को
Published by: कीर्तिवर्धन मिश्र
Updated Fri, 04 Feb 2022 03:37 PM IST
सार
क्रेमलिन की ओर से जारी बयान में अमेरिका पर भी निशाना साधा गया है। इसमें कहा गया कि एशिया-प्रशांत क्षेत्र में अमेरिका का नकारात्मक प्रभाव जारी है।
शी जिनपिंग-व्लादिमीर पुतिन
– फोटो : PTI
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विस्तार
रूस और यूक्रेन के बीच पिछले दो महीने से तनाव जारी है। रूस लगातार नाटो गठबंधन में शामिल देशों को इस तनाव का जिम्मेदार बताता रहा है। हालांकि, अब रूस के साथ चीन ने भी नाटो पर निशाना साधा है। रूसी रक्षा मंत्रालय क्रेमलिन की तरफ से जारी बयान के मुताबिक, दोनों देशों ने नाटो को अपना दायरा बढ़ाने की कोशिशों को रोकने की चेतावनी दी है।
क्रेमलिन की ओर से जारी बयान में अमेरिका पर भी निशाना साधा गया है। इसमें कहा गया कि एशिया-प्रशांत क्षेत्र में अमेरिका का नकारात्मक प्रभाव जारी है। दोनों देशों ने इसके लिए बाइडन प्रशासन की आलोचना की।
क्या है नाटो?
गौरतलब है कि नाटो यूरोप और उत्तरी अमेरिका के 30 देशों का संगठन है। इसमें अमेरिका के साथ फ्रांस, बेल्जियम, लक्जम्बर्ग, ब्रिटेन, नीदरलैंड, कनाडा, डेनमार्क, आइसलैंड, इटली, नॉर्वे, पुर्तगाल, जर्मनी और तुर्की जैसे देश शामिल हैं। नाटो का गठन ही रूस के बड़े खतरे को देखते हुए किया गया था। इस संधि के तहत गठबंधन के किसी भी देश पर हमला पूरे नाटो पर हमला माना जाएगा और ये संगठन दुश्मनों पर कार्रवाई के लिए स्वतंत्र होगा।
अमेरिका-यूरोप को यूक्रेन पर हमले की आशंका
अमेरिका को आशंका है कि रूस जल्द ही यूक्रेन पर हमला कर सकता है। बीते दिनों राष्ट्रपति जो बाइडन ने कहा था कि उन्हें लगता है कि उनके रूसी समकक्ष व्लादिमीर पुतिन यूक्रेन में दखलंदाजी करेंगे, लेकिन उन्हें जंग से बचना चाहिए। बाइडन ने कुछ दिन पहले भी एक बयान जारी कर कहा था कि रूस के यूक्रेन पर हमले के अंजाम भुगतने पड़ेंगे।