videsh

रिपोर्ट: चीन-अमेरिका के कारोबारी युद्ध से 42 लाख करोड़ का नुकसान, आर्थिक वृद्धि दर भी प्रभावित

सार

सिंगापुर के अर्थशास्त्री जयंत मेनन कहते हैं, ‘चीन की कारोबारी नीति अमेरिका को लेकर प्रतिक्रियावादी बन चुकी है। यह बदले की भावना पर चल रही है। वह ऐसे देशों से भी आयात सीमित करता जा रहा है, जिन्हें वह अमेरिका के प्रभाव में काम करने वाला मानता है।’

ख़बर सुनें

एक ओर विश्व आर्थिक मंदी और रूस-यूक्रेन युद्ध से जूझ रहा है, तो दूसरी ओर अमेरिका व चीन के बीच कारोबारी युद्ध की वजह से करीब 42 लाख करोड़ का नुकसान भी उठाना पड़ा है। यह नुकसान आयात कर के रूप में हुआ, इसमें ज्यादातर हिस्सा चीन का है। शनिवार को जारी नई रिपोर्ट में यह दावे किए गए।

रिपोर्ट के अनुसार, चीन और अमेरिका में इस कारोबारी युद्ध की वजह से आर्थिक वृद्धि दर भी प्रभावित हुई। सिंगापुर के अर्थशास्त्री जयंत मेनन कहते हैं, ‘चीन की कारोबारी नीति अमेरिका को लेकर प्रतिक्रियावादी बन चुकी है। यह बदले की भावना पर चल रही है। वह ऐसे देशों से भी आयात सीमित करता जा रहा है, जिन्हें वह अमेरिका के प्रभाव में काम करने वाला मानता है।’ 2020 से उसने ऑस्ट्रेलिया से कोयले, चीनी, जौ, वाइन, लकड़ी आदि का आयात सीमित किया, वहीं जापान ने उसके खिलाफ स्टील आयात पर डंपिंग ड्यूटी लगाने की शिकायत विश्व व्यापार संगठन में की। 

लेकिन निर्यात में चीन मजबूत

चीन ने अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, जापान आदि से आयात भले ही समिति किया, लेकिन निर्यात मजबूत करते हुए 2020 में इसे 64,870 करोड़ डॉलर पर पहुंचाया। वहीं रीजनल कॉम्प्रिहेंसिव इकोनॉमिक पार्टनरशिप के जरिए भी निर्यात को बढ़ाया।

इनोवेशन के लिए अमेरिका पर निर्भर

सिंगापुर के एक अन्य अर्थ विशेषज्ञ एलन चोंग के अनुसार चीन कारोबारी युद्ध को तेज करते हुए नया वैश्विक कारोबार मॉडल बनाना चाहता है, लेकिन इनोवेशन के लिए वह अमेरिका पर निर्भर है। खासतौर से आईटी सेक्टर में वह खुद इनोवेशन के बजाय उत्पादन पर जोर दे रहा है।

विस्तार

एक ओर विश्व आर्थिक मंदी और रूस-यूक्रेन युद्ध से जूझ रहा है, तो दूसरी ओर अमेरिका व चीन के बीच कारोबारी युद्ध की वजह से करीब 42 लाख करोड़ का नुकसान भी उठाना पड़ा है। यह नुकसान आयात कर के रूप में हुआ, इसमें ज्यादातर हिस्सा चीन का है। शनिवार को जारी नई रिपोर्ट में यह दावे किए गए।

रिपोर्ट के अनुसार, चीन और अमेरिका में इस कारोबारी युद्ध की वजह से आर्थिक वृद्धि दर भी प्रभावित हुई। सिंगापुर के अर्थशास्त्री जयंत मेनन कहते हैं, ‘चीन की कारोबारी नीति अमेरिका को लेकर प्रतिक्रियावादी बन चुकी है। यह बदले की भावना पर चल रही है। वह ऐसे देशों से भी आयात सीमित करता जा रहा है, जिन्हें वह अमेरिका के प्रभाव में काम करने वाला मानता है।’ 2020 से उसने ऑस्ट्रेलिया से कोयले, चीनी, जौ, वाइन, लकड़ी आदि का आयात सीमित किया, वहीं जापान ने उसके खिलाफ स्टील आयात पर डंपिंग ड्यूटी लगाने की शिकायत विश्व व्यापार संगठन में की। 

लेकिन निर्यात में चीन मजबूत

चीन ने अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, जापान आदि से आयात भले ही समिति किया, लेकिन निर्यात मजबूत करते हुए 2020 में इसे 64,870 करोड़ डॉलर पर पहुंचाया। वहीं रीजनल कॉम्प्रिहेंसिव इकोनॉमिक पार्टनरशिप के जरिए भी निर्यात को बढ़ाया।


इनोवेशन के लिए अमेरिका पर निर्भर

सिंगापुर के एक अन्य अर्थ विशेषज्ञ एलन चोंग के अनुसार चीन कारोबारी युद्ध को तेज करते हुए नया वैश्विक कारोबार मॉडल बनाना चाहता है, लेकिन इनोवेशन के लिए वह अमेरिका पर निर्भर है। खासतौर से आईटी सेक्टर में वह खुद इनोवेशन के बजाय उत्पादन पर जोर दे रहा है।

Source link

Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Most Popular

To Top
%d bloggers like this: