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गुजरात: पीएम मोदी के गृहनगर के निवासी पहुंचे हाईकोर्ट, सरकार के खिलाफ दाखिल की याचिका

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, अहमदाबाद
Published by: शिव शरण शुक्ला
Updated Tue, 08 Mar 2022 02:17 AM IST

सार

गुजरात के मेहसाणा जिले के वडनगर के निवासी सरकार के खिलाफ हाईकोर्ट पहुंच गए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गृहनगर वडनगर के 11 परिवारों ने गुजरात हाईकोर्ट से सरकार की विज्ञप्ति को रद्द करने की मांग की है। 

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गुजरात के मेहसाणा जिले के वडनगर के निवासी सरकार के खिलाफ हाईकोर्ट पहुंच गए हैं। वडनगर के निवासियों ने हाईकोर्ट में सरकार के उस कदम का विरोध किया है, जिसमें शहर में पाए गए कुछ पुरात्तिवक स्थलों के लिए घोषित किए गए बफर जोन में आने वाली उनकी भूमि का अधिग्रहण करने का आदेश दिया गया था। गौरतलब है कि इलाके में बड़े पैमाने पर खुदाई का काम चल रहा है। 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गृहनगर वडनगर के 11 परिवारों ने गुजरात हाईकोर्ट से सरकार की विज्ञप्ति को रद्द करने की मांग की है। इन परिवारों का कहना है कि पुरातात्विक स्थलों के रखरखाव के लिए घोषित किए गए बफर जोन के लिए जमीन के अधिग्रहण के सामाजिक प्रभाव मूल्यांकन का अध्ययन नहीं किया गया। 

इस संबंध में पिछले हफ्ते अधिसूचना के खिलाफ इन परिवारों ने याचिका दाखिल की। निवासियों ने पिछले हफ्ते अधिसूचना के खिलाफ एक याचिका दायर की और सोमवार को मुख्य न्यायाधीश अरविंद कुमार और न्यायमूर्ति आशुतोष शास्त्री की खंडपीठ के समक्ष मामले को उठाया गया। बाद में पीठ ने सुनवाई 11 मार्च तक के लिए स्थगित कर दी।

याचिकाकर्ताओं के वकील ने कहा कि पुरातात्विक विभाग शहर में खोजे गए वास्तुशिल्प संरचनाओं के संरक्षण के लिए एक विशेष परियोजना के तहत बफर जोन बनाने के लिए वहां मौजूद 30 परिवारों को उनकी जमीन के बदले अलग स्थान पर जमीन देना चाहता है। वकील ने कहा कि यह एसईए अध्ययन के बिना किया जा रहा है क्योंकि सरकार इसे एक विशेष परियोजना मानती है।

वकील ने कहा कि प्रभावित परिवार पिछले 50 वर्षों से वहां रह रहे हैं और प्रस्तावित बफर जोन ऐसी परियोजना नहीं है जिसके लिए बिना एसआईए के भूमि अधिग्रहण की आवश्यकता होगी। इस दौरान याचिकाकर्ताओं ने सुझाव दिया कि सरकार को प्रभावित परिवारों के मौजूदा घरों को खाली करने के लिए उत्खनन स्थल के बाईं ओर खाली जगह पर बफर जोन बनाने पर विचार करना चाहिए।

गौरतलब है कि वडनगर में बड़े पैमाने पर उत्खनन कार्य किया जा रहा है और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा अब तक कई स्थापत्य स्थलों की खोज की गई है।

विस्तार

गुजरात के मेहसाणा जिले के वडनगर के निवासी सरकार के खिलाफ हाईकोर्ट पहुंच गए हैं। वडनगर के निवासियों ने हाईकोर्ट में सरकार के उस कदम का विरोध किया है, जिसमें शहर में पाए गए कुछ पुरात्तिवक स्थलों के लिए घोषित किए गए बफर जोन में आने वाली उनकी भूमि का अधिग्रहण करने का आदेश दिया गया था। गौरतलब है कि इलाके में बड़े पैमाने पर खुदाई का काम चल रहा है। 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गृहनगर वडनगर के 11 परिवारों ने गुजरात हाईकोर्ट से सरकार की विज्ञप्ति को रद्द करने की मांग की है। इन परिवारों का कहना है कि पुरातात्विक स्थलों के रखरखाव के लिए घोषित किए गए बफर जोन के लिए जमीन के अधिग्रहण के सामाजिक प्रभाव मूल्यांकन का अध्ययन नहीं किया गया। 

इस संबंध में पिछले हफ्ते अधिसूचना के खिलाफ इन परिवारों ने याचिका दाखिल की। निवासियों ने पिछले हफ्ते अधिसूचना के खिलाफ एक याचिका दायर की और सोमवार को मुख्य न्यायाधीश अरविंद कुमार और न्यायमूर्ति आशुतोष शास्त्री की खंडपीठ के समक्ष मामले को उठाया गया। बाद में पीठ ने सुनवाई 11 मार्च तक के लिए स्थगित कर दी।

याचिकाकर्ताओं के वकील ने कहा कि पुरातात्विक विभाग शहर में खोजे गए वास्तुशिल्प संरचनाओं के संरक्षण के लिए एक विशेष परियोजना के तहत बफर जोन बनाने के लिए वहां मौजूद 30 परिवारों को उनकी जमीन के बदले अलग स्थान पर जमीन देना चाहता है। वकील ने कहा कि यह एसईए अध्ययन के बिना किया जा रहा है क्योंकि सरकार इसे एक विशेष परियोजना मानती है।

वकील ने कहा कि प्रभावित परिवार पिछले 50 वर्षों से वहां रह रहे हैं और प्रस्तावित बफर जोन ऐसी परियोजना नहीं है जिसके लिए बिना एसआईए के भूमि अधिग्रहण की आवश्यकता होगी। इस दौरान याचिकाकर्ताओं ने सुझाव दिया कि सरकार को प्रभावित परिवारों के मौजूदा घरों को खाली करने के लिए उत्खनन स्थल के बाईं ओर खाली जगह पर बफर जोन बनाने पर विचार करना चाहिए।

गौरतलब है कि वडनगर में बड़े पैमाने पर उत्खनन कार्य किया जा रहा है और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा अब तक कई स्थापत्य स्थलों की खोज की गई है।

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