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राजस्थान: घेराबंदी से निपटने के लिए वसुंधरा की दिल्ली दौड़-धूप, पीएम मोदी से मिलने के लिए करना पड़ा इंतजार

सार

वसुंधरा राजे ने दिल्ली में भाजपा के केंद्रीय कार्यालय में भाजपा के संगठन महामंत्री बीएल संतोष से भी आधे घंटे मुलाकात की। जारी प्रेस नोट में बी.एल संतोष के साथ मुलाकात के वक्त के बारे में तो बताया गया है, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ उनकी मुलाकात कितनी देर चली, इसके बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई।

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चार राज्यों में भगवा परचम फहराने के बाद भाजपा के खेमे में खुशी की लहर है। सबसे ज्यादा खुशी उन राज्यों में नजर आ रही है जहां आने वाले वर्षों में विधानसभा के चुनाव होने है। इनमें से एक राजस्थान भी है। साल 2023 के चुनाव को देखते हुए जहां कांग्रेस और सीएम अशोक गहलोत ने तैयारी शुरू कर दी है। वहीं दूसरी तरफ पूर्व सीएम वसुंधरा राजे सिंधिया भी सड़क से लेकर सोशल मीडिया तक सक्रिय हो गई हैं। इस बीच पार्टी हाईकमान से मिलने के लिए राजे की दिल्ली की दौड़-धूप बढ़ गई है। बताया जा रहा है कि वसुंधरा की पीएम से जितनी देर मुलाकात हुई, उससे कहीं ज्यादा उन्हें मुलाकात के लिए इंतजार करना पड़ा। दोनों की मुलाकात की तस्वीरें भी जारी नहीं की गईं। बहरहाल अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव को देखते हुए दोनों नेताओं की यह मुलाकात बेहद अहम मानी जा रही है।

धामी के शपथ ग्रहण से शुरू हुआ मुलाकात का सिलसिला
पांच में से चार राज्यों के चुनाव में भाजपा की जीत होने के बाद वसुंधरा राजे ने संगठन में लोगों से मुलाकात का सिलसिला शुरू कर दिया है। पुष्कर सिंह धामी के शपथग्रहण समारोह में निमंत्रण मिलने पर वह देहरादून पहुंच गईं। वहां वसुंधरा जिस तरह से भाजपा नेताओं से स्टेज पर मिल रही थीं, उसे देखकर लग रहा था कि वह भाजपा की राजनीति की मुख्यधारा में लौटना चाहती हैं। राजे का पुष्कर सिंह धामी के शपथ ग्रहण समारोह में पहुंचना, इसलिए भी चर्चा का विषय बना है, क्योंकि राजे केंद्रीय संगठन में बड़े पद पर हैं। पार्टी की उपाध्यक्ष होने के बावजूद भी वे चुनाव के दौरान उत्तराखंड के पार्टी कैंपेन में शामिल नहीं हुई थीं। इसकी एक वजह राजे की पंजाब-उत्तराखंड के प्रभारी दुष्यंत गौतम से नाराजगी भी बताई जाती है। बावजूद इसके वे जीत के बाद वह धामी के शपथ ग्रहण समारोह में केंद्रीय मंत्रिमंडल के महत्वपूर्ण सदस्यों, मुख्यमंत्रियों और भाजपा अध्यक्ष जे.पी नड्डा के साथ शामिल हुईं।

संगठन महामंत्री से लेकर केंद्रीय मंत्रियों से की मुलाकात
वसुंधरा राजे ने दिल्ली में भाजपा के केंद्रीय कार्यालय में भाजपा के संगठन महामंत्री बीएल संतोष से भी आधे घंटे मुलाकात की। जारी प्रेस नोट में बी.एल संतोष के साथ मुलाकात के वक्त के बारे में तो बताया गया है, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ उनकी मुलाकात कितनी देर चली, इसके बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई। इसके अलावा पूर्व सीएम ने अपने दौरे के दौरान संसद भवन में कई केंद्रीय मंत्रियों से भी मुलाकात की। संसद भवन पहुंचने पर राजे का राजस्थान के सांसदों ने स्वागत किया और प्रदेश के सियासी मसलों पर मंथन भी किया। जयपुर शहर सांसद रामचरण बोहरा, दुष्यंत सिंह और मनोज राजोरिया राजे के साथ ही रहे। वहीं संसद भवन में ही राजे की पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान और असम के मुख्यमंत्री हेमंत बिस्वा सरमा भी मुलाकात हुई।

तीन दिन में तीन बार पीएम से मुलाकात
पूर्व सीएम राजे शुक्रवार को यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के शपथ ग्रहण समारोह में हिस्सा लेंगी। इस दौरान पीएम मोदी समेत संगठन के कई बड़े पदाधिकारी व केंद्रीय मंत्री वहां मौजूद होंगे। वसुंधरा इस दौरान भी सभी से मुलाकात करेंगी। जाहिर है कि तीन दिनों में वसुंधरा राजे की प्रधानमंत्री मोदी से तीसरी बार मुलाकात होगी। इसके पहले बुधवार को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के शपथ ग्रहण समारोह के दौरान भी राजे की प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात हुई थी। इसके बाद दूसरे दिन गुरुवार को प्रधानमंत्री से संसद में मुलाकात हुई थी।

राजे और केंद्रीय संगठन के बीच चल रही है तकरार
विधानसभा चुनाव से पहले प्रदेश भाजपा में गुटबाजी चरम पर है। भाजपा में मुख्यमंत्री पद के चेहरे को लेकर खींचतान जारी है। वसुंधरा राजे कैंप के विधायक उन्हें मुख्यमंत्री पद का चेहरा बनाने की मांग कर रहे हैं, जबकि प्रदेश भाजपा के नेताओं का कहना है कि पार्टी का संसदीय बोर्ड मुख्यमंत्री का चेहरा तय करेगा। वहीं केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और पूनिया गुट वसुंधरा राजे सिंधिया का विरोध कर रहे हैं, जबकि वसुंधरा गुट खुलकर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष का विरोध कर रहा है। राजस्थान के राजनीति के जानकारों का कहना है कि, राजस्थान में मुख्यमंत्री पद पर एक ही नेता दावेदार न हो, इसके लिए पार्टी संगठन की ओर से प्रदेश में सतीश पूनिया के रूप में दूसरा धड़ा खड़ा किया गया है। पार्टी की ओर से कई ऐसे नेताओं को दोबारा पार्टी में भी शामिल किया है, जिससे वसुंधरा राजे की ताकत कमजोर हो। इसी बात पर राजे की नाराजगी भी कई बार सामने आ चुकी है, लेकिन अब माना जा रहा है चुनावों को देखते हुए राजे और केंद्रीय संगठन दोनों ही आपस में सब सुलझाना चाहते हैं, ताकि राजस्थान में पार्टी की जीत सुनिश्चित हो सके।

लगातार शक्ति प्रदर्शन कर रही हैं वसुंधरा
भले ही वसुंधरा राजे ने प्रदेश भाजपा के कार्यक्रमों से खुद को अलग कर रखा हो, लेकिन वह देव-दर्शन और जन्मदिन के बहाने राजस्थान में दौरे कर अपना शक्ति प्रदर्शन कर रही हैं। वसुंधरा राजे सिंधिया ने आठ मार्च को अपने जन्मदिन पर शक्ति प्रदर्शन किया था। हालांकि प्रदेश भाजपा ने वसुंधरा के जन्मदिन कार्यक्रम से दूरी बना ली थी। वसुंधरा के धुर विरोधी प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सतीश पूनिया ने कहा था कि वसुंधरा का जन्मदिन संगठन का कार्यक्रम नहीं है। वहीं दूसरी तरफ वसुंधरा राजे भी गहलोत सरकार के खिलाफ होने वाले किसी धरना-प्रदर्शन में शामिल नहीं होती हैं। इसलिए राजस्थान में हुए विधानसभा उपचुनाव में भाजपा ने वसुंधरा को चुनाव प्रचार के लिए नहीं बुलाया। वसुंधरा ने भी भाजपा उम्मीदवारों को जिताने के लिए एक ट्वीट तक नहीं किया था।

विस्तार

चार राज्यों में भगवा परचम फहराने के बाद भाजपा के खेमे में खुशी की लहर है। सबसे ज्यादा खुशी उन राज्यों में नजर आ रही है जहां आने वाले वर्षों में विधानसभा के चुनाव होने है। इनमें से एक राजस्थान भी है। साल 2023 के चुनाव को देखते हुए जहां कांग्रेस और सीएम अशोक गहलोत ने तैयारी शुरू कर दी है। वहीं दूसरी तरफ पूर्व सीएम वसुंधरा राजे सिंधिया भी सड़क से लेकर सोशल मीडिया तक सक्रिय हो गई हैं। इस बीच पार्टी हाईकमान से मिलने के लिए राजे की दिल्ली की दौड़-धूप बढ़ गई है। बताया जा रहा है कि वसुंधरा की पीएम से जितनी देर मुलाकात हुई, उससे कहीं ज्यादा उन्हें मुलाकात के लिए इंतजार करना पड़ा। दोनों की मुलाकात की तस्वीरें भी जारी नहीं की गईं। बहरहाल अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव को देखते हुए दोनों नेताओं की यह मुलाकात बेहद अहम मानी जा रही है।

धामी के शपथ ग्रहण से शुरू हुआ मुलाकात का सिलसिला

पांच में से चार राज्यों के चुनाव में भाजपा की जीत होने के बाद वसुंधरा राजे ने संगठन में लोगों से मुलाकात का सिलसिला शुरू कर दिया है। पुष्कर सिंह धामी के शपथग्रहण समारोह में निमंत्रण मिलने पर वह देहरादून पहुंच गईं। वहां वसुंधरा जिस तरह से भाजपा नेताओं से स्टेज पर मिल रही थीं, उसे देखकर लग रहा था कि वह भाजपा की राजनीति की मुख्यधारा में लौटना चाहती हैं। राजे का पुष्कर सिंह धामी के शपथ ग्रहण समारोह में पहुंचना, इसलिए भी चर्चा का विषय बना है, क्योंकि राजे केंद्रीय संगठन में बड़े पद पर हैं। पार्टी की उपाध्यक्ष होने के बावजूद भी वे चुनाव के दौरान उत्तराखंड के पार्टी कैंपेन में शामिल नहीं हुई थीं। इसकी एक वजह राजे की पंजाब-उत्तराखंड के प्रभारी दुष्यंत गौतम से नाराजगी भी बताई जाती है। बावजूद इसके वे जीत के बाद वह धामी के शपथ ग्रहण समारोह में केंद्रीय मंत्रिमंडल के महत्वपूर्ण सदस्यों, मुख्यमंत्रियों और भाजपा अध्यक्ष जे.पी नड्डा के साथ शामिल हुईं।

संगठन महामंत्री से लेकर केंद्रीय मंत्रियों से की मुलाकात

वसुंधरा राजे ने दिल्ली में भाजपा के केंद्रीय कार्यालय में भाजपा के संगठन महामंत्री बीएल संतोष से भी आधे घंटे मुलाकात की। जारी प्रेस नोट में बी.एल संतोष के साथ मुलाकात के वक्त के बारे में तो बताया गया है, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ उनकी मुलाकात कितनी देर चली, इसके बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई। इसके अलावा पूर्व सीएम ने अपने दौरे के दौरान संसद भवन में कई केंद्रीय मंत्रियों से भी मुलाकात की। संसद भवन पहुंचने पर राजे का राजस्थान के सांसदों ने स्वागत किया और प्रदेश के सियासी मसलों पर मंथन भी किया। जयपुर शहर सांसद रामचरण बोहरा, दुष्यंत सिंह और मनोज राजोरिया राजे के साथ ही रहे। वहीं संसद भवन में ही राजे की पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान और असम के मुख्यमंत्री हेमंत बिस्वा सरमा भी मुलाकात हुई।

तीन दिन में तीन बार पीएम से मुलाकात

पूर्व सीएम राजे शुक्रवार को यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के शपथ ग्रहण समारोह में हिस्सा लेंगी। इस दौरान पीएम मोदी समेत संगठन के कई बड़े पदाधिकारी व केंद्रीय मंत्री वहां मौजूद होंगे। वसुंधरा इस दौरान भी सभी से मुलाकात करेंगी। जाहिर है कि तीन दिनों में वसुंधरा राजे की प्रधानमंत्री मोदी से तीसरी बार मुलाकात होगी। इसके पहले बुधवार को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के शपथ ग्रहण समारोह के दौरान भी राजे की प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात हुई थी। इसके बाद दूसरे दिन गुरुवार को प्रधानमंत्री से संसद में मुलाकात हुई थी।

राजे और केंद्रीय संगठन के बीच चल रही है तकरार

विधानसभा चुनाव से पहले प्रदेश भाजपा में गुटबाजी चरम पर है। भाजपा में मुख्यमंत्री पद के चेहरे को लेकर खींचतान जारी है। वसुंधरा राजे कैंप के विधायक उन्हें मुख्यमंत्री पद का चेहरा बनाने की मांग कर रहे हैं, जबकि प्रदेश भाजपा के नेताओं का कहना है कि पार्टी का संसदीय बोर्ड मुख्यमंत्री का चेहरा तय करेगा। वहीं केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और पूनिया गुट वसुंधरा राजे सिंधिया का विरोध कर रहे हैं, जबकि वसुंधरा गुट खुलकर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष का विरोध कर रहा है। राजस्थान के राजनीति के जानकारों का कहना है कि, राजस्थान में मुख्यमंत्री पद पर एक ही नेता दावेदार न हो, इसके लिए पार्टी संगठन की ओर से प्रदेश में सतीश पूनिया के रूप में दूसरा धड़ा खड़ा किया गया है। पार्टी की ओर से कई ऐसे नेताओं को दोबारा पार्टी में भी शामिल किया है, जिससे वसुंधरा राजे की ताकत कमजोर हो। इसी बात पर राजे की नाराजगी भी कई बार सामने आ चुकी है, लेकिन अब माना जा रहा है चुनावों को देखते हुए राजे और केंद्रीय संगठन दोनों ही आपस में सब सुलझाना चाहते हैं, ताकि राजस्थान में पार्टी की जीत सुनिश्चित हो सके।

लगातार शक्ति प्रदर्शन कर रही हैं वसुंधरा

भले ही वसुंधरा राजे ने प्रदेश भाजपा के कार्यक्रमों से खुद को अलग कर रखा हो, लेकिन वह देव-दर्शन और जन्मदिन के बहाने राजस्थान में दौरे कर अपना शक्ति प्रदर्शन कर रही हैं। वसुंधरा राजे सिंधिया ने आठ मार्च को अपने जन्मदिन पर शक्ति प्रदर्शन किया था। हालांकि प्रदेश भाजपा ने वसुंधरा के जन्मदिन कार्यक्रम से दूरी बना ली थी। वसुंधरा के धुर विरोधी प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सतीश पूनिया ने कहा था कि वसुंधरा का जन्मदिन संगठन का कार्यक्रम नहीं है। वहीं दूसरी तरफ वसुंधरा राजे भी गहलोत सरकार के खिलाफ होने वाले किसी धरना-प्रदर्शन में शामिल नहीं होती हैं। इसलिए राजस्थान में हुए विधानसभा उपचुनाव में भाजपा ने वसुंधरा को चुनाव प्रचार के लिए नहीं बुलाया। वसुंधरा ने भी भाजपा उम्मीदवारों को जिताने के लिए एक ट्वीट तक नहीं किया था।

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