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रणनीति: हिंदुत्व के खिलाफ साजिशों का पर्दाफाश करेगा संघ, होसबाले बोले- भारत के विमर्श को मजबूत और प्रभावी बनाने की जरूरत

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने साजिश के तहत हिंदुत्व के खिलाफ भ्रांतियां फैलाने का आरोप लगाते हुए भारत के विमर्श को मजबूत करने की लड़ाई लड़ने का फैसला किया है। संघ ने कहा है कि वह भारत और विदेश में जानबूझ कर हिंदुत्व के संदर्भ में भ्रांतियां फैलाने की साजिश का मुकाबला करते हुए इसकी सही तस्वीर पेश करेगा।

गुजरात में आयोजित संघ की तीन दिवसीय अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा के समापन के बाद सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने कहा कि हिंदुत्व की उचित व्याख्या के लिए वैचारिक लड़ाई की जरूरत है। जरूरत भारत के हिन्दू समाज, संस्कृति, इतिहास, यहां की जीवन पद्धति के बारे में एक सही चित्र सामने लाने की है। देश और विदेश में भारत के बारे में अज्ञानता के कारण और जानबूझ कर भ्रांतियां फैलाने की साजिश लंबे समय से हो रही है। संघ की योजना इस वैचारिक विमर्श को बदलना है।

उन्होंने कहा, हम चाहते हैं कि इस वैचारिक विमर्श में बदलाव आए। वैचारिक विमर्श को बदलने की जरूरत है। इसमें तथ्यों पर आधारित भारत बोध को शामिल कर सही विमर्श को आगे बढ़ाने की जरूरत है। इस संदर्भ में कई शोध हुए हैं। पुस्तकें लिखी गई हैं। संघ इस विमर्श को आगे बढ़ाने के लिए इनका सहारा लेगा।

विस्तार का तय किया लक्ष्य
तीन दिवसीय बैठक में संघ का विभिन्न क्षेत्रों में विस्तार करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। होसबाले ने कहा कि संघ का शताब्दी वर्ष नजदीक आ रहा है। संघ हर तीन वर्ष में विस्तर की योजना बनाता है।

अभी देशभर में 50 प्रतिशत मंडलों में संघ कार्य पहुंचा है, आने वाले दो वर्ष में सभी मंडलों में कार्य पहुंचाने का लक्ष्य रखा है व योजना भी बनी है। शहरी क्षेत्रों में 45 प्रतिशत बस्तियों में संघ कार्य है, दो वर्षों में इसे भी सभी बस्तियों में ले जाने का लक्ष्य तय किया गया है।

समाज की आंतरिक शक्ति लक्ष्य
सरकार्यवाह ने कहा, संघ का उद्देश्य यह नहीं है कि शाखाओं की संख्या में बढ़ोत्तरी हुई या नहीं। संघ की ताकत बढ़ाना भी हमारा उद्देश्य नहीं है। हमारा उद्देश्य समाज में आंतरिक शक्ति लाना है। वर्तमान में संघ का हर स्वयंसेवक देश के सभी बस्ती और मंडलों में है। हमारा उद्येश्य राष्ट्र भावना को आगे बढ़ाने का है। हमारा लक्ष्य सामाजिक एकता, समरसता, संगठन भाव को बनाना है।

समाज में सकारात्मक बदलाव जरूरी
होसबाले ने कहा, कि संघ किसी दौर में शामिल नहीं है। हम नहीं चाहते कि संघ किसी दौर में आगे रहे। हम चाहते हैं कि हमारी पहल पर समाज की शक्तियों के सहारे सकारात्मक परिवर्तन हो। संघ समाज में परिवर्तन के कार्य को सामाजिक आंदोलन बनाना चाहता है। संघ हर जिले के एक गांव को आदर्श गांव बनाना चाहता है। फिलहाल ऐसे 400 गांवों में कार्य हो रहा है, जिसे प्रभात गांव का नाम दिया गया है।

धार्मिक स्वतंत्रता सभी को मिली है मगर संतुलन बनाने की जरूरत
 वर्ष 2025 में आरएसएस के शताब्दी वर्ष समारोह से पहले इस प्रतिनिधि सभा की बैठक में 1,252 पदाधिकारियों और सदस्यों ने भाग लिया। बैठक के अंतिम दिन पत्रकारों से बात करते हुए आरएसएस के सरकार्यवाह होसबाले ने कर्नाटक के हिजाब विवाद का भी जिक्र किया।

उन्होंने कहा कि सभी को धार्मिक स्वतंत्रता मिली है, लेकिन इसे लागू करने के बारे में संतुलन बनाने की जरूरत है। संविधान की आड़ में धार्मिक स्वतंत्रता को अंजाम देना सही नहीं है। 

भारत की संस्कृति और परंपरा के खिलाफ कुछ भी बर्दाश्त नहीं
होसबाले ने कहा प्रतिनिधि सभा की तीन दिवसीय बैठक में कोरोना के बाद शिक्षा और रोजगार के क्षेत्र में बदलावों को लेकर भी चर्चा की गई। इस दौरान उन्होंने कहा कि ‘जय श्री राम’ अभिवादन का एक तरीका है, और यहां तक कि भारत आने वाले विदेशी भी ऐसा कहते हैं। अगर लोग इसका विरोध करते हैं, तो बच्चों, उनके माता-पिता को उनसे सवाल करना चाहिए। यह स्वाभाविक है कि अगर कुछ भी भारत की सांस्कृतिक परंपरा के खिलाफ जाता है तो समाज बर्दाश्त नहीं करेगा।

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