एजेंसी, नई दिल्ली।
Published by: Jeet Kumar
Updated Mon, 14 Mar 2022 02:08 AM IST
सार
स्वच्छ गंगा राष्ट्रीय मिशन (एनएमसीजी) के महानिदेशक जी. अशोक कुमार ने कहा कि 18 नालों से गंदा पानी यमुना में गिराया जा रहा है। अब इन नालों को बंद कर गंदा पानी अवजल शोधन संयंत्र (एसटीपी) की ओर मोड़ने की योजना है।
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विस्तार
एनएमसीजी के एक अधिकारी ने यह जानकारी दी। यमुना 1,300 किलोमीटर से ज्यादा लंबी है और देश की सर्वाधिक प्रदूषित नदियों में से एक है। इससे राष्ट्रीय राजधानी के आधे से ज्यादा हिस्से में पानी पहुंचता है।
स्वच्छ गंगा राष्ट्रीय मिशन (एनएमसीजी) के महानिदेशक जी. अशोक कुमार ने कहा कि 18 नालों से गंदा पानी यमुना में गिराया जा रहा है। अब इन नालों को बंद कर गंदा पानी अवजल शोधन संयंत्र (एसटीपी) की ओर मोड़ने की योजना है।
कुमार ने कहा, अवजल शोधन संयंत्र तैयार हैं, हम नदी में गिराए जा रहे इस गंदे पानी को इन संयंत्रों की ओर मोड़ सकते हैं। इसके बाद एसटीपी से प्राप्त शोधित जल को नदी में गिराया जा सकता है, ताकि नदी का प्रवाह सुधरे। इसलिए दिसंबर माह से यमुना नदी में गंदा पानी नहीं आ पाएगा और नदी के प्रवाह में भी सुधार होगा।
उन्होंने कहा, हम यह सुनिश्चित करने की कोशिश करेंगे तब तक यमुना का जल नहाने लायक हालत में हो जाए। यमुना का सिर्फ दो प्रतिशत या 22 किलोमीटर का हिस्सा दिल्ली में आता है, लेकिन यमुना में 98 प्रतिशत प्रदूषण गैरशोधित अथवा अल्प शोधित औद्योगिक अपशिष्टों या नाली के जरिये राष्ट्रीय राजधानी से आता है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के अनुमान के अनुसार दिल्ली में प्रतिदिन लाखों लीटर गंदा पानी निकलता है।