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म्यांमार: सेना ने कई लोगों को दीं घोर यातनाएं, सुनियोजित तरीके से लिया गया हिरासत में

एजेंसी, जकार्ता
Published by: देव कश्यप
Updated Fri, 29 Oct 2021 01:33 AM IST

सार

तातमाडो और पुलिस के रूप में जानी जाने वाली सेना ने फरवरी से अब तक 1,200 से ज्यादा लोगों को मार डाला है। कैदियों ने बताया कि अधिकांश यातनाएं सैन्य परिसरों के भीतर हुई हैं।

म्यामांर में मचा है बवाल
– फोटो : पीटीआई

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म्यांमार में एक फरवरी को तख्तापलट के बाद से वहां की सेना ने कैदियों को बुरी तरह से प्रताड़ित किया है। समाचार एजेंसी एपी ने सैटेलाइट तस्वीरों के आधार पर जेलों और पुलिस लॉकअप के अलावा म्यांमार के दर्जनों पूछताछ केंद्रों की पहचान कर कई लोगों को साक्षात्कार के बाद यह जानकारी साझा की। प्रताड़ना में त्वचा में सरौता घुमाना, पिंडली पर लाठी घुमाना और लात-घूसों की बारिश आम बात है।

ग्रामीण म्यांमार में सैनिकों ने एक युवक की त्वचा को सरौता से घुमाया और उसके सीने में तब तक लात मारी जब तक उसकी सांस बंद नहीं हो गई। फिर उन्होंने युवक को मां और परिवार के बारे में गालियां देकर ताने मारे। समाचार एजेंसी ने ऐसे करीब 28 लोगों के साक्षात्कार में पाया कि हाल ही के महीनों में करीब 9,000 से ज्यादा लोग अब भी गवाही और जांच के दायरे में हैं।

तातमाडो और पुलिस के रूप में जानी जाने वाली सेना ने फरवरी से अब तक 1,200 से ज्यादा लोगों को मार डाला है। कैदियों ने बताया कि अधिकांश यातनाएं सैन्य परिसरों के भीतर हुई हैं। कैदियों में 16 वर्षीय लड़की से लेकर भिक्षुओं तक को शामिल किया गया है जो देश के कोने-कोने और विभिन्न जातीय समूहों से हैं। इन्हें चट्टानों पर घुटनों के बल बैठने और बिजली के झटके, पिटाई तथा घुटनों पर बेलन चलाने जैसी यातनाएं दी गई हैं।

सुनियोजित तरीके से लिया गया हिरासत में
सेना ने एक भिक्षु को शर्मिंदा करते हुए उन्हें एक मेंढक की तरह चलने पर मजबूर किया। एक लेखा अधिकारी को बिजली के झटके दिए गए और एक कलाकार के सिर पर तब तक चोट की गई जब तक कि वह बेहोश नहीं हो गया। इन लोगों को देश भर से बड़े ही सुनियोजित तरीके से हिरासत में लिया गया था। म्यांमार सेना ने ऐसे हजारों लोगों को अगवा किया और चिकित्साकर्मियों पर जानबूझकर हमले किए।

भिक्षुओं को गोली मारी गई, राइफलों से पीटा गया
सेना की पकड़ से भागते समय 31 वर्षीय भिक्षु को गोली मारी गई, उन्हें हथकड़ी लगाई गई और डंडों तथा राइफलों से पीटा गया। सुरक्षा बलों ने उनके सिर, छाती और पीठ में लात मारी। उन्होंने आपराधिक इरादे के सबूत बनाने के लिए भिक्षु और अन्य प्रदर्शनकारियों की गैसोलीन की बोतलों के साथ फोटो खिंचवाई। सैनिकों ने भिक्षु को आम लोगों जैसे कपड़े पहनने को मजबूर किया और उत्पीड़न केंद्र भेज दिया। 

बंदीगृहों में बेहद गंदा माहौल
एक कैदी ने बताया कि उन्हें ऐसे बंदीगृह में रखा गया, जहां शौचालय नहीं था। कैदियों को एक कोने में पेशाब करना पड़ता था और प्लास्टिक की थैलियों में मल त्याग करना होता था। इन बंदीगृहों में कैदियों के ऐसे अंगों पर वार किए गए जिन्हें कपड़ों से छिपाया जाता है। कई कैदियों को बर्फ का पानी डालकर उन्हें रात भर जगाया भी गया, उन्हें बिजली के झटके दिए गए।

विस्तार

म्यांमार में एक फरवरी को तख्तापलट के बाद से वहां की सेना ने कैदियों को बुरी तरह से प्रताड़ित किया है। समाचार एजेंसी एपी ने सैटेलाइट तस्वीरों के आधार पर जेलों और पुलिस लॉकअप के अलावा म्यांमार के दर्जनों पूछताछ केंद्रों की पहचान कर कई लोगों को साक्षात्कार के बाद यह जानकारी साझा की। प्रताड़ना में त्वचा में सरौता घुमाना, पिंडली पर लाठी घुमाना और लात-घूसों की बारिश आम बात है।

ग्रामीण म्यांमार में सैनिकों ने एक युवक की त्वचा को सरौता से घुमाया और उसके सीने में तब तक लात मारी जब तक उसकी सांस बंद नहीं हो गई। फिर उन्होंने युवक को मां और परिवार के बारे में गालियां देकर ताने मारे। समाचार एजेंसी ने ऐसे करीब 28 लोगों के साक्षात्कार में पाया कि हाल ही के महीनों में करीब 9,000 से ज्यादा लोग अब भी गवाही और जांच के दायरे में हैं।

तातमाडो और पुलिस के रूप में जानी जाने वाली सेना ने फरवरी से अब तक 1,200 से ज्यादा लोगों को मार डाला है। कैदियों ने बताया कि अधिकांश यातनाएं सैन्य परिसरों के भीतर हुई हैं। कैदियों में 16 वर्षीय लड़की से लेकर भिक्षुओं तक को शामिल किया गया है जो देश के कोने-कोने और विभिन्न जातीय समूहों से हैं। इन्हें चट्टानों पर घुटनों के बल बैठने और बिजली के झटके, पिटाई तथा घुटनों पर बेलन चलाने जैसी यातनाएं दी गई हैं।

सुनियोजित तरीके से लिया गया हिरासत में

सेना ने एक भिक्षु को शर्मिंदा करते हुए उन्हें एक मेंढक की तरह चलने पर मजबूर किया। एक लेखा अधिकारी को बिजली के झटके दिए गए और एक कलाकार के सिर पर तब तक चोट की गई जब तक कि वह बेहोश नहीं हो गया। इन लोगों को देश भर से बड़े ही सुनियोजित तरीके से हिरासत में लिया गया था। म्यांमार सेना ने ऐसे हजारों लोगों को अगवा किया और चिकित्साकर्मियों पर जानबूझकर हमले किए।

भिक्षुओं को गोली मारी गई, राइफलों से पीटा गया

सेना की पकड़ से भागते समय 31 वर्षीय भिक्षु को गोली मारी गई, उन्हें हथकड़ी लगाई गई और डंडों तथा राइफलों से पीटा गया। सुरक्षा बलों ने उनके सिर, छाती और पीठ में लात मारी। उन्होंने आपराधिक इरादे के सबूत बनाने के लिए भिक्षु और अन्य प्रदर्शनकारियों की गैसोलीन की बोतलों के साथ फोटो खिंचवाई। सैनिकों ने भिक्षु को आम लोगों जैसे कपड़े पहनने को मजबूर किया और उत्पीड़न केंद्र भेज दिया। 

बंदीगृहों में बेहद गंदा माहौल

एक कैदी ने बताया कि उन्हें ऐसे बंदीगृह में रखा गया, जहां शौचालय नहीं था। कैदियों को एक कोने में पेशाब करना पड़ता था और प्लास्टिक की थैलियों में मल त्याग करना होता था। इन बंदीगृहों में कैदियों के ऐसे अंगों पर वार किए गए जिन्हें कपड़ों से छिपाया जाता है। कई कैदियों को बर्फ का पानी डालकर उन्हें रात भर जगाया भी गया, उन्हें बिजली के झटके दिए गए।

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