वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, यंगून
Published by: Harendra Chaudhary
Updated Wed, 16 Feb 2022 06:48 PM IST
सार
सामने आई जानकारी के मुताबिक किरिन अब म्यांमार में अपने कारोबार को बंद करने की प्रक्रिया शुरू करने जा रही है। अब तक वह म्यांमार की सेना के स्वामित्व वाले म्यांमार इकॉनमिक होल्डिंग्स लिमिटेड (एमईएचएल) के साथ साझा उद्यम में कारोबार कर रही थी। अब किरिन इस उद्यम में मौजूद अपनी हिस्सेदारी किसी तीसरी कंपनी को बेच देगी। ये प्रक्रिया इस साल जून तक पूरा कर लेने का लक्ष्य रखा गया है…
जापान की वीवरेज (पेय) कंपनी किरिन होल्डिंग्स म्यांमार में अपना कारोबार समेटने जा रही है। कंपनी इस नतीजे पर पहुंची है कि साल भर पहले म्यांमार में सैनिक तख्ता पलट से पैदा हुए संकट का निकट भविष्य में कोई समाधान नहीं निकलने वाला है। ऐसे में कारोबार जारी रखना कठिन हो गया है।
कंपनी के अध्यक्ष और मुख्य कार्यकारी अधिकारी योशिनोरी इसोजाकी ने सोमवार को कहा- ‘यह बहुत निराशाजनक है। ऐसी धारणा थी कि हमारे बीयर ब्रांड का म्यांमार में बाजार मजबूत हो गया है। लेकिन अब हम कुछ कर सकने की स्थिति में नहीं हैं।’ इसोजाकी ने ये बातें अपनी कंपनी की कमाई के आकलन के लिए हुई बैठक के बाद टोक्यो में कही। उसके कुछ देर बाद जारी एक बयान में उन्होंने कहा- ‘म्यांमार में अपना काम समेटने की योजना लागू करते समय कंपनी स्थानीय कर्मचारियों और उनके परिजनों की आजीविका को सबसे ज्यादा अहमियत देगी। साथ ही अपनी मानव अधिकार नीति के तहत हम सभी हितधारकों (स्टेकहोल्डर्स) पर पूरा ध्यान देंगे।’
मानवाधिकारों की बिगड़ते हालात से चिंतित
सामने आई जानकारी के मुताबिक किरिन अब म्यांमार में अपने कारोबार को बंद करने की प्रक्रिया शुरू करने जा रही है। अब तक वह म्यांमार की सेना के स्वामित्व वाले म्यांमार इकॉनमिक होल्डिंग्स लिमिटेड (एमईएचएल) के साथ साझा उद्यम में कारोबार कर रही थी। अब किरिन इस उद्यम में मौजूद अपनी हिस्सेदारी किसी तीसरी कंपनी को बेच देगी। ये प्रक्रिया इस साल जून तक पूरा कर लेने का लक्ष्य रखा गया है।
किरिन कंपनी के सूत्रों ने कहा है कि पिछले साल एक फरवरी को जब म्यांमार में सैनिक तख्ता पलट हुआ, तभी कंपनी ने एमईएचएल के साथ अपनी साझेदारी खत्म करने की पहल की थी। कंपनी म्यांमार में मानवाधिकारों की बिगड़ती स्थिति से चिंतित थी। उसने पहले साझा उद्यम भंग करने की कोशिश की। इस मामले में हुई बातचीत के नाकाम रहने पर वह मामले को सिंगापुर स्थित इंटरनेशनल आर्बिट्रेशन सेंटर में ले गई। लेकिन वहां भी प्रगति की रफ्तार धीमी रहने के कारण अब उसने अपने शेयर बेच देने का फैसला किया है।
फ्रांस की टोटल-एनर्जी ने कहा अलविदा
पर्यवेक्षकों की राय है कि किरिन के लिए अपने शेयरों का खरीदार ढूंढना आसान नहीं होगा। लेकिन उसका ताजा फैसला म्यांमार में कारोबार की बिगड़ती स्थिति की झलक जरूरत देता है। इसी कारण हाल में कई अंतरराष्ट्रीय कंपनियों ने यहां अपना कारोबार समेटने का फैसला किया है। उनमें फ्रांस की टोटल-एनर्जी भी है, जिसने पिछले महीने ही ये घोषणा की। दक्षिण कोरिया की कंपनी पोस्को भी एमईएचएल के साथ अपना साझा उद्यम भंग करना चाहती है। लेकिन इसमें उसे रुकावटों का सामना करना पड़ रहा है।
किरिन के अलावा जापान की जो कंपनियां अभी म्यांमार में कारोबार कर रही हैं, उनमें फुजिता, टोक्यो टेटेमोनो, और योकोगावा ब्रिज होल्डिंग्स शामिल हैं। ये सभी म्यांमार की सेना के स्वामित्व वाली कंपनियों के साथ साझा उद्यम में हैं। किरिन के फैसले पर इन कंपनियों की प्रतिक्रिया नहीं मिली है। किरिन के अध्यक्ष इसोजाकी ने कहा- ‘म्यांमार में अपने कारोबार से हटना हमारा बड़ा नुकसान है।’ पर्यवेक्षकों का कहना है कि बाकी जापानी कंपनियां अभी ऐसा नुकसान सहने को तैयार नहीं दिख रही हैं।
विस्तार
जापान की वीवरेज (पेय) कंपनी किरिन होल्डिंग्स म्यांमार में अपना कारोबार समेटने जा रही है। कंपनी इस नतीजे पर पहुंची है कि साल भर पहले म्यांमार में सैनिक तख्ता पलट से पैदा हुए संकट का निकट भविष्य में कोई समाधान नहीं निकलने वाला है। ऐसे में कारोबार जारी रखना कठिन हो गया है।
कंपनी के अध्यक्ष और मुख्य कार्यकारी अधिकारी योशिनोरी इसोजाकी ने सोमवार को कहा- ‘यह बहुत निराशाजनक है। ऐसी धारणा थी कि हमारे बीयर ब्रांड का म्यांमार में बाजार मजबूत हो गया है। लेकिन अब हम कुछ कर सकने की स्थिति में नहीं हैं।’ इसोजाकी ने ये बातें अपनी कंपनी की कमाई के आकलन के लिए हुई बैठक के बाद टोक्यो में कही। उसके कुछ देर बाद जारी एक बयान में उन्होंने कहा- ‘म्यांमार में अपना काम समेटने की योजना लागू करते समय कंपनी स्थानीय कर्मचारियों और उनके परिजनों की आजीविका को सबसे ज्यादा अहमियत देगी। साथ ही अपनी मानव अधिकार नीति के तहत हम सभी हितधारकों (स्टेकहोल्डर्स) पर पूरा ध्यान देंगे।’
मानवाधिकारों की बिगड़ते हालात से चिंतित
सामने आई जानकारी के मुताबिक किरिन अब म्यांमार में अपने कारोबार को बंद करने की प्रक्रिया शुरू करने जा रही है। अब तक वह म्यांमार की सेना के स्वामित्व वाले म्यांमार इकॉनमिक होल्डिंग्स लिमिटेड (एमईएचएल) के साथ साझा उद्यम में कारोबार कर रही थी। अब किरिन इस उद्यम में मौजूद अपनी हिस्सेदारी किसी तीसरी कंपनी को बेच देगी। ये प्रक्रिया इस साल जून तक पूरा कर लेने का लक्ष्य रखा गया है।
किरिन कंपनी के सूत्रों ने कहा है कि पिछले साल एक फरवरी को जब म्यांमार में सैनिक तख्ता पलट हुआ, तभी कंपनी ने एमईएचएल के साथ अपनी साझेदारी खत्म करने की पहल की थी। कंपनी म्यांमार में मानवाधिकारों की बिगड़ती स्थिति से चिंतित थी। उसने पहले साझा उद्यम भंग करने की कोशिश की। इस मामले में हुई बातचीत के नाकाम रहने पर वह मामले को सिंगापुर स्थित इंटरनेशनल आर्बिट्रेशन सेंटर में ले गई। लेकिन वहां भी प्रगति की रफ्तार धीमी रहने के कारण अब उसने अपने शेयर बेच देने का फैसला किया है।
फ्रांस की टोटल-एनर्जी ने कहा अलविदा
पर्यवेक्षकों की राय है कि किरिन के लिए अपने शेयरों का खरीदार ढूंढना आसान नहीं होगा। लेकिन उसका ताजा फैसला म्यांमार में कारोबार की बिगड़ती स्थिति की झलक जरूरत देता है। इसी कारण हाल में कई अंतरराष्ट्रीय कंपनियों ने यहां अपना कारोबार समेटने का फैसला किया है। उनमें फ्रांस की टोटल-एनर्जी भी है, जिसने पिछले महीने ही ये घोषणा की। दक्षिण कोरिया की कंपनी पोस्को भी एमईएचएल के साथ अपना साझा उद्यम भंग करना चाहती है। लेकिन इसमें उसे रुकावटों का सामना करना पड़ रहा है।
किरिन के अलावा जापान की जो कंपनियां अभी म्यांमार में कारोबार कर रही हैं, उनमें फुजिता, टोक्यो टेटेमोनो, और योकोगावा ब्रिज होल्डिंग्स शामिल हैं। ये सभी म्यांमार की सेना के स्वामित्व वाली कंपनियों के साथ साझा उद्यम में हैं। किरिन के फैसले पर इन कंपनियों की प्रतिक्रिया नहीं मिली है। किरिन के अध्यक्ष इसोजाकी ने कहा- ‘म्यांमार में अपने कारोबार से हटना हमारा बड़ा नुकसान है।’ पर्यवेक्षकों का कहना है कि बाकी जापानी कंपनियां अभी ऐसा नुकसान सहने को तैयार नहीं दिख रही हैं।
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