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रिदम कला महोत्सव: गुरुजी अश्विनी निगम व चरण गिरधर महाराज ने डांस में फ्यूजन पर रखे विचार, बोले- देखकर बहुत दुख होता है

अमर उजाला और अंजना वेलफेयर सोसायटी के सहयोग से रिदम कला महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है। इस महोत्सव के दौरान संगीत एवं नृत्य की कार्यशाला आयोजित की जा रही है। ये महोत्सव 26 जनवरी से शुरू हुआ है और यह कला महोत्सव पूरे 45 दिनों तक आयोजित किया जाएगा। अंजना वेलफेयर सोसाइटी की फाउंडर कथक नृत्यांगना माया कुलश्रेष्ठ ने बताया कि  युवा कलाकारों को गुरुजनों का मार्ग दर्शन देना इस संस्था का उद्देश्य है। उन्हीं के लिए समय-समय पर इस तरह के महोत्सव का आयोजन किया जाता है।

इस महोत्सव में मंगलवार को आयोजित हुई कार्यशाला में गुरुजी अश्विनी निगम और चरण गिरधर महाराज हिस्सा बने। इस कार्यशाला में गुरुजी अश्विनी निगम और चरण गिरधर महाराज ने अपने करियर से जुड़ी कई सारी बातों को बताया। साथ ही उन्होंने कथक में होने वाले फ्यूजन पर भी अपने विचार रखे।

 

गुरुजी अश्विनी निगम ने अपनी शुरुआत सात साल की उम्र से की थी लेकिन आज के समय में वह रशिया में रहकर अपने नृत्य से भारत का नाम रोशन कर रहे हैं। अपने करियर के बारे में बात करते हुए गुरुजी अश्विनी निगम ने बताया कि उन्होंने सात साल की उम्र में सब शुरू कर दिया था। तब उनके परिवार के सब बच्चों को म्यूजिक स्कूल में भेज दिया गया। यहां पर नृत्य भी सिखाया जाता था। शुरुआत में उन्होंने तबला बजाना सीखा। लेकिन सबको देखते देखते थोड़ा डांस करना भी सीख गए। एक दिन उन्होंने कुछ बच्चों को डांस के बारे में बता दिया क्योंकि गुरुजी देर से आए थे। तब गुरुजी ने उन्हें पकड़ भी लिया था। ऐसे ही उनकी डांस की जर्नी शुरू हुई।

 

उन्होंने ये भी बताया कि उनके पिता जी कभी डांस के सपोर्ट में नहीं थे। इसी वजह से वह डांस बचपन में सीखते जरूर थे लेकिन कभी स्टेज पर परफॉर्म नहीं किया था। उन्होंने 17 साल की उम्र में अपने गुरूजी की पहली जयंती पर पहली बार स्टेज पर डांस किया था। लेकिन इसके बाद उन्होंने इंजीनियरिंग की पढ़ाई की और उसमें ही जॉब भी की। हालांकि, शुरू से ही वह नृत्य में आना चाहते थे इसी वजह से नौकरी को भी छोड़ दिया था। गुरुजी अश्विनी निगम ने ये भी बताया कि उन्हें सोभना दीदी ने सुझाव दिया कि कहीं बाहर जाकर सीखाना शुरू करना चाहिए। फिर उन्होंने आईसीसी में फॉर्म भरा। इसके बाद ही वह मॉस्को आ गए थे।

 

वहीं, दूसरी तरफ अपनी जर्नी के बारे में बात करते हुए चरण गिरधर महाराज ने बताया कि उनके परिवार में कई पीढ़ियां संगीत और नृत्य से जुड़ी हैं और इसी वजह से उनका बचपन से ही माहौल ऐसे बना हुआ था। उनके रियाज का कोई समय नहीं था और कई बार वह घंटों तक रियाज करते थे और कई बार उनका रियाज होता नहीं था। उन्होंने ये भी बताया कि उनकी यात्रा काफी सुंदर रही है। उन्होंने कई महान कलाकारों के साथ काम किया है। इसी दौरान उन्होंने नृत्य नाटिका भी सीखी है। उन्होंने अब तक 12 नृत्य नाटिका बनाई है।

 

आज के समय में कई लोग नृत्य के साथ जॉब भी करते हैं और गुरुजी अश्विनी निगम ने भी अपने जीवन में ऐसा किया था। इस बारे में उन्होंने बताया कि इंजीनियरिंग की नौकरी छोड़ने के बाद ही वह कथक केंद्र में शामिल हुए थे। लेकिन इसके लिए उन्होंने पहले ही सेविंग करके रखी थी। इन पैसों का उन्होंने अपने शुरुआती दिनों में इस्तेमाल किए थे। हालांकि, जब उनके घर में नौकरी छोड़ने के बारे में पता चला तब खूब हंगामा भी हुआ था। गुरुजी अश्विनी निगम ने इस मौके पर ये भी बताया कि उन्होंने अपने करियर में नेपोटिज्म और फेवरेटिज्म भी महससू किया। इस दौरान उन्होंने कभी कथक छोड़ने के बारे में नहीं सोचा। लेकिन उन्हें बुरा जरूर महसूस होता था। इस दौरान उन्हें उनके महाराज जी ने एक सलाह दी और उन्होंने अश्विनी निगम को अलग होकर स्ट्रगल करने का सुझाव दिया और ये बात उन्होंने मानी भी।

 

इस कार्यक्रम में चरण गिरधर महाराज ने लयकारी पर अपने विचार रखे। बच्चों द्वारा लयकारी सीखने पर उन्होंने बताया कि लयकारी बहुत कठिन चीज है। बेसिक लेवल पर तो लय ठीक है लेकिन जब बाद में आर्क-वार्क चलती है वो आपको किसी परिपक्त गुरू को सामने बैठाकर करना चाहिए। ऐसा ना होने पर सब कुछ खराब हो सकता है। गलत रियाज होगा तो सही करने में मुश्किल होगा। इस दौरान पूरा अभ्यास व्यक्ति के गुणों के आधार पर ही करना होता है।

 

गुरुजी अश्विनी निगम भावपक्ष में एक्सपर्ट माने जाते हैं और इसी वजह से उन्होंने भावपक्ष को सीखने के बारे में कहा कि भाव सीखने से पहले आपको चेहरे का अभ्यास करना जरूरी है। लोग चेहरे बनाने में डरते हैं। हर आदमी को अपने चेहरे के हिसाब से अभ्यास करना पड़ेगा। दूसरा ये है कि अगर आप किसी चीज पर भाव दिखाना चाहते हैं तो आपको पता होना चाहिए कि आप क्या दिखाना चाहते हैं। अपने अंदर चीजों को पहले क्लियर करना होगा कि आप दर्शकों को क्या बताना चाहते हैं। ऐसा करने पर ही ये सफल हो जाएगा। इस दौरान उन्होंने ये भी बताया कि आज के समय में आधा पका कुछ भी दिखा दिया जाता है और लाइक्स मिल जाते हैं। सोशल मीडिया ही आर्टिस्ट को बर्बाद कर देता है क्योंकि वो फॉलोअर्स के बारे में सोचने लगता है। इसी वजह से कोशिश करें तो गुरुओं को फॉलो करें।

  

इस कार्यक्रम में आगे गुरु शिष्य परंपरा पर भी बात हुई। चरण गिरधर महाराज इस बारे में अपने विचार रखते हुए बोले कि गुरु जो गुण देते हैं वो गुरु ही दे सकते हैं और सच्चे शिष्य ही ये ले सकते हैं। गुरु शिष्य परंपरा सिर्फ शब्द नहीं है और ना टीजर और स्टूडेंट का रिश्ता है। गुरु की जो महिमा होती है गुरु आपको एक तरीके से निखारता है। गुरु की तमन्ना होती है कि उसका शिष्य उससे आगे जाए। शिष्य ये होता है कि जो गुरु में समर्पित हो जाए और उनसे सब प्राप्त करे। गुरुओं के घर में पहले काम भी करवाते थे जिसमें भी गुण मिलते थे। हम गुरुजी को कभी ये नहीं बोल सकते थे कि आपने कुछ नहीं करवाया।

 

गुरुजी अश्विनी निगम ने कहा कि गुरु और शिष्य एक रिश्ता होता है। स्कूल में आप गए और वहां गुरु ने आपको काम करवाया और आपने कोर्स खत्म किया। वो अलग बात है। लेकिन एक व्यक्ति पर आप पूरा विश्वास करते हैं और वो आपके विश्वास को आगे बढ़ाए। यही गुरु शिष्य परंपरा है। अगर गुरु डांटेगा भी तो उसमें एक मर्म छुपा है। गुरु हमेशा चाहेगा कि आप आगे जाकर हमेशा अच्छा करें। गुरु जीवन में माता-पिता से पहले जगह दी गई है। गुरु चाह कर भी आपका बुरा नहीं करेगा।

 

इस कार्यक्रम के आखिर में डांस में हो रहे फ्यूजन के बारे में भी बात हुई। गुरुजी अश्विनी निगम ने कहा कि आज एक खुला जंगल है और सब अपनी क्रिएशन कर रहे हैं। घराने लिखना बंद हो रहे हैं। आज के समय में परंपरा के नाम सोचना पड़ता है। ट्रेडिशनल टूट रहा है। इस दौरान गुरुजी अश्विनी निगम ने चरण गिरधर महाराज को नमन करते हुए कहा कि उन्होंने कथक को बचाया है और इसके लिए नमन है।

उन्होंने आगे कहा कि आज के समय में कथक के नाम पर शोज में क्या हो रहा है। उसे देखकर तो आंखों को सूरदास वाली कर देने का मन करता है। दुख की बात है कि आज लोग कथक को अलग तरह से देख रहे हैं। आज के समय में न्यू जनरेशन सभी क्लासिकल डांस में एक्सपेरिमेंट कर रही है। कथक की तरह भरतनाट्यम् में भी लोग ऐसा ही कर रहे हैं और उससे जुड़े लोग ये देखकर अपना सिर पीट लेते हैं।

 

चरण गिरधर महाराज ने इस पर अपने विचार रखते हुए बताया कि आज के समय में फ्यूजन के नाम पर कंफ्यूजन ज्यादा है। ब्लेक कपड़े पहन लेते हैं पीठ करके ऑडियंस की तरफ खड़े हो जाते हैं। अलग अलग मेकअप के नाम को फ्यूजन दिखाया जा रहा है। कथक शब्द जब कहते हैं जब एक मिठास होती है। लेकिन अब देखकर मन को दुख होता है। इसके आगे सही फ्यूजन के बारे में बताते हुए चरण गिरधर ने कहा कि कथक में कई शैलियों से ज्यादा खुलापन है। कथक के अंदर हर बात को खूबसूरती से दिखा सकते हैं। इसमें अच्छा बना सकते हैं लेकिन ज्यादा कुछ मत करिए।

 

गौरतलब है कि महोत्सव के तहत होने वाली सभी कार्यशालाएं पूरी तरह निशुल्क हैं। इसके तहत 45 दिन का ऑनलाइन कार्यक्रम है। वहीं तीन दिन का कार्यक्रम ऑफलाइन होगा। कार्यशाला के दौरान कार्यक्रम की संचालिका माया कुलश्रेष्ठ ने जानकारी दी कि इस कार्यक्रम से जुड़ने के लिए अंजना वेलफयेर सोसाइटी के फेसबुक पेज पर जाकर इस कार्यक्रम से जुड़ सकते हैं।

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