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मेडिकल साइंस ने रचा इतिहास: बिना फेफेड़े ट्रांसप्लांट किए 12 साल का शौर्य हुआ स्वस्थ, 65 दिनों तक लाइफ सपोर्ट सिस्टम रहा बच्चा

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, हैदराबाद
Published by: प्रशांत कुमार झा
Updated Sat, 25 Dec 2021 11:56 AM IST

सार

एशिया में पहली बार ऐसा हुआ है कि बिना फेफड़े ट्रांसप्लांट किए बच्चा स्वस्थ हो गया है। उत्तर प्रदेश का रहने वाला 12 साल का लड़का चार महीने पहले कोरोना संक्रमित हुआ था। जिससे उसके दोनों लंग्स खराब हो गए थे, लेकिन 65 दिनों तक लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर रहने के बाद वह पूरी तरह ठीक हो गया है। 

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भारत का मेडिकल साइंस लगातार इतिहास रच रहा है। यहां की चिकित्सा प्रणाली ने एक ऐसा कीर्तिमान हासिल किया है कि 12 साल के बच्चे को बिना फेफड़े ट्रांसप्लांट किए स्वस्थ कर दिया है। हैदराबाद में 65 दिनों तक ईसीएमओ लाइफ सपोर्ट पर रहकर बच्चा आज स्वस्थ है। बच्चे के ठीक होने पर परिवार डॉक्टरों के प्रति आभार व्यक्त किया है। देश और एशिया में ऐसा पहली बार हुआ है कि बिना लंग्स ट्रांसप्लांट किए बच्चा पूरी तरह से ठीक हो गया है। 

उत्तर प्रदेश का रहने वाला 12 साल का शौर्य चार महीने पहले कोरोना संक्रमित हुआ था। कोरोना संक्रमण के दौरान उसके दोनों फेफेड़े संक्रमित हो गए थे। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में डॉक्टरों ने उसे लंग्स ट्रांसप्लांट करने की सलाह दी, लेकिन इसी बीच परिवार को किसी ने हैदराबाद के डॉक्टरों से मिलने का सुझाव दिया। शौर्य का परिवार उसे हैदराबाद लेकर गया और वहां 65 दिनों तक ईसीएमओ लाइफ सपोर्ट पर रखा गया। आज शौर्य पूरी तरह ठीक हैं। 

माता-पिता ने डॉक्टरों का जताया आभार
हैदराबाद के कृष्णा इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज के डॉक्टरों ने अत्याधुनिक तकनीक  ईसीएमओ लाइफ सपोर्ट पर रखकर बच्चे को ठीक किया है। डॉक्टरों का कहना है कि बहुत जल्द मरीज को छुट्टी दे दी जाएगी। शौर्य की मां रेणु श्रीवास्तव ने बताया कि “मैं डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ की बहुत आभारी हूं, जिन्होंने मुझे ने सिर्फ मेरा बेटा लौटाया है, बल्कि मेरा पूरा जीवन वापस कर दिया।”

‘भारतीय चिकित्सा विज्ञान में असंभव को संभव करने की क्षमता’
शौर्य के पिता राजीव सरन लखनऊ में वकील हैं। उन्होंने भारत की आधुनिक चिकित्सा पद्धति पर फर्क करते हुए कहा कि भारतीय डॉक्टरों में आज असंभव को संभव करने की ताकत है। उन्होंने बताया कि भारत का आधुनिक चिकित्सा विज्ञान दुनिया के लिए मिसाल है। उन्होंने कहा कि लखनऊ में ईसीएमओ ( ECMO) की व्यवस्था नहीं है, लेकिन हैदराबाद में यह देखकर बहुत प्रसन्नता हो रही है। आज आधुनिक तकनीक ईसीएमओ नहीं होता बेटे की जान बच पाना मुश्किल था। मुझे गर्व है कि भारत में इस तरह के डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ का एक सेटअप है। बता दें कि शौर्य से पहले चेन्नई का एक 56 वर्षीय व्यक्ति 109 दिनों तक ईसीएमओ पर रहने के बाद ठीक हो गया था। डॉक्टरों ने फेफड़े प्रत्यारोपण किए बिना ही उन्हें ठीक कर दिया था। 

विस्तार

भारत का मेडिकल साइंस लगातार इतिहास रच रहा है। यहां की चिकित्सा प्रणाली ने एक ऐसा कीर्तिमान हासिल किया है कि 12 साल के बच्चे को बिना फेफड़े ट्रांसप्लांट किए स्वस्थ कर दिया है। हैदराबाद में 65 दिनों तक ईसीएमओ लाइफ सपोर्ट पर रहकर बच्चा आज स्वस्थ है। बच्चे के ठीक होने पर परिवार डॉक्टरों के प्रति आभार व्यक्त किया है। देश और एशिया में ऐसा पहली बार हुआ है कि बिना लंग्स ट्रांसप्लांट किए बच्चा पूरी तरह से ठीक हो गया है। 

उत्तर प्रदेश का रहने वाला 12 साल का शौर्य चार महीने पहले कोरोना संक्रमित हुआ था। कोरोना संक्रमण के दौरान उसके दोनों फेफेड़े संक्रमित हो गए थे। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में डॉक्टरों ने उसे लंग्स ट्रांसप्लांट करने की सलाह दी, लेकिन इसी बीच परिवार को किसी ने हैदराबाद के डॉक्टरों से मिलने का सुझाव दिया। शौर्य का परिवार उसे हैदराबाद लेकर गया और वहां 65 दिनों तक ईसीएमओ लाइफ सपोर्ट पर रखा गया। आज शौर्य पूरी तरह ठीक हैं। 

माता-पिता ने डॉक्टरों का जताया आभार

हैदराबाद के कृष्णा इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज के डॉक्टरों ने अत्याधुनिक तकनीक  ईसीएमओ लाइफ सपोर्ट पर रखकर बच्चे को ठीक किया है। डॉक्टरों का कहना है कि बहुत जल्द मरीज को छुट्टी दे दी जाएगी। शौर्य की मां रेणु श्रीवास्तव ने बताया कि “मैं डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ की बहुत आभारी हूं, जिन्होंने मुझे ने सिर्फ मेरा बेटा लौटाया है, बल्कि मेरा पूरा जीवन वापस कर दिया।”

‘भारतीय चिकित्सा विज्ञान में असंभव को संभव करने की क्षमता’

शौर्य के पिता राजीव सरन लखनऊ में वकील हैं। उन्होंने भारत की आधुनिक चिकित्सा पद्धति पर फर्क करते हुए कहा कि भारतीय डॉक्टरों में आज असंभव को संभव करने की ताकत है। उन्होंने बताया कि भारत का आधुनिक चिकित्सा विज्ञान दुनिया के लिए मिसाल है। उन्होंने कहा कि लखनऊ में ईसीएमओ ( ECMO) की व्यवस्था नहीं है, लेकिन हैदराबाद में यह देखकर बहुत प्रसन्नता हो रही है। आज आधुनिक तकनीक ईसीएमओ नहीं होता बेटे की जान बच पाना मुश्किल था। मुझे गर्व है कि भारत में इस तरह के डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ का एक सेटअप है। बता दें कि शौर्य से पहले चेन्नई का एक 56 वर्षीय व्यक्ति 109 दिनों तक ईसीएमओ पर रहने के बाद ठीक हो गया था। डॉक्टरों ने फेफड़े प्रत्यारोपण किए बिना ही उन्हें ठीक कर दिया था। 

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