महाराष्ट्र एटीएस ने एक अखबार में जारी विज्ञापन में कहा कि इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन (आईआरएफ) की गतिविधियों में हिस्सा लेने, चंदा इकट्ठा करने या उसका सदस्य बनने पर गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) कानून के तहत आतंकवाद विरोधी कानून का आरोप लगाया जाएगा।
विवादास्पद इस्लामी उपदेशक जाकिर नाइक के इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन (आईआरएफ) पर केंद्र द्वारा प्रतिबंध को पांच साल और बढ़ाने के मद्देनजर महाराष्ट्र एटीएस ने शनिवार को कहा कि इस संगठन से सक्रिय रूप से जुड़े किसी भी व्यक्ति पर सख्त आतंकवाद विरोधी कानून का आरोप लगाया जाएगा।
एक अखबार में जारी विज्ञापन में एटीएस ने कहा कि आईआरएफ की गतिविधियों में हिस्सा लेने, चंदा इकट्ठा करने या उसका सदस्य बनने पर गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) कानून के तहत आरोप लगाया जाएगा।
जिसके पास इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन (आईआरएफ) की सदस्यता है, वह रैलियों में भाग लेता है, रैली को एकत्र करता है या उन्हें दान देता है या संगठन के उद्देश्य को प्रचारित करने में मदद करता है, वह व्यक्ति यूएपीए की धाराओं के तहत अभियोजन के लिए उत्तरदायी होगा।
केंद्र सरकार ने इस साल नवंबर में आईआरएफ पर लगे प्रतिबंध को पांच साल के लिए बढ़ा दिया था। आईआरएफ को पहली बार 17 नवंबर, 2016 को केंद्र सरकार द्वारा गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, 1967 (1967 का 37) के तहत एक गैरकानूनी संगठन घोषित किया गया था।
विस्तार
विवादास्पद इस्लामी उपदेशक जाकिर नाइक के इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन (आईआरएफ) पर केंद्र द्वारा प्रतिबंध को पांच साल और बढ़ाने के मद्देनजर महाराष्ट्र एटीएस ने शनिवार को कहा कि इस संगठन से सक्रिय रूप से जुड़े किसी भी व्यक्ति पर सख्त आतंकवाद विरोधी कानून का आरोप लगाया जाएगा।
एक अखबार में जारी विज्ञापन में एटीएस ने कहा कि आईआरएफ की गतिविधियों में हिस्सा लेने, चंदा इकट्ठा करने या उसका सदस्य बनने पर गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) कानून के तहत आरोप लगाया जाएगा।
जिसके पास इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन (आईआरएफ) की सदस्यता है, वह रैलियों में भाग लेता है, रैली को एकत्र करता है या उन्हें दान देता है या संगठन के उद्देश्य को प्रचारित करने में मदद करता है, वह व्यक्ति यूएपीए की धाराओं के तहत अभियोजन के लिए उत्तरदायी होगा।
केंद्र सरकार ने इस साल नवंबर में आईआरएफ पर लगे प्रतिबंध को पांच साल के लिए बढ़ा दिया था। आईआरएफ को पहली बार 17 नवंबर, 2016 को केंद्र सरकार द्वारा गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, 1967 (1967 का 37) के तहत एक गैरकानूनी संगठन घोषित किया गया था।