एजेंसी, इम्फाल
Published by: देव कश्यप
Updated Tue, 22 Feb 2022 07:49 AM IST
सार
महिलाओं को राज्य में बड़े सामाजिक आंदोलनों से लेकर सामान्य मुद्दों पर सबसे मुखरता से आवाज उठाने वाला माना जाता है। इन सबके बावजूद राजनीति में उपयुक्त प्रतिनिधित्व न मिलना चिंताजनक कहा जा रहा है।
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विस्तार
महिलाओं को राज्य में बड़े सामाजिक आंदोलनों से लेकर सामान्य मुद्दों पर सबसे मुखरता से आवाज उठाने वाला माना जाता है। इन सबके बावजूद राजनीति में उपयुक्त प्रतिनिधित्व न मिलना चिंताजनक कहा जा रहा है। माना जा रहा है कि 33 प्रतिशत आरक्षण के बिना न हालात सुधरेंगे न राजनीतिक प्रतिनिधित्व बढ़ेगा। इस बार चुनाव में राकांपा व नेशनल पीपल्स पार्टी ने भी दो-दो व जनता दल यूनाइटेड ने महज एक महिला प्रत्याशी को टिकट दिया है।
राजनीति के लिए समाज प्रोत्साहन ही नहीं देता
भाजपा की मणिपुर प्रदेश अध्यक्ष ए शारदा देवी कहती हैं ‘पूर्वोत्तर में महिलाओं का जीवन के हर क्षेत्र में महत्वपूर्ण स्थान है। लेकिन राजनीति की बात आती है तो बात कुछ अलग हो जाती है।’ वे कहती है कि राजनीति में आने वाली महिलाओं को समाज प्रोत्साहित नहीं करता, बल्कि नीचा दिखाता है। राजनीति में भागीदारी बढ़ाए बिना उनका सशक्तिकरण मुश्किल है।
आरक्षण के बिना प्रतिनिधित्व संभव नहीं
कांग्रेस नेता व पूर्व मंत्री एके मीराबाई देवी के अनुसार समाज पुरुष प्रभुत्ववादी है। पुरुषों से टिकट छीनना महिलाओं के लिए मुश्किल है। कम से कम 33 प्रतिशत आरक्षण के बिना महिला विधायकों की संख्या विधानसभा में बहुत कम ही रहेगी चुनाव प्रक्रिया में विभिन्न स्तर पर पुरुषों का वर्चस्व है।
पुरुष प्रतिद्वंदी नीचा दिखाने वाली टिप्पणियां करते हैं
नेशनल पीपल्स पार्टी की नेता पुखरमबम सुमति देवी बताती है कि मणिपुरी समाज में भले महिलाओं ने शक्तिशाली स्थान बनाया, लेकिन राजनीति में वे नजर नहीं आतीं। कोई सार्वजनिक या पारिवारिक आयोजन महिलाओं के बिना पूरा नहीं होता लेकिन राजनीतिक या चुनाव में उन्हें शामिल होने से रोका जाता है। सुमति अपने दिवंगत पति डब्ल्यू ब्रजविधु सिंह की लामशांग सीट मे चुनाव लड़ रही हैं। वे बताती है कि सामने चार पुरुष प्रतिद्वंदी है, जो उनके लिए नीचा दिखाने वाली टिप्पणियां अक्सर करते हैं।