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बेगम जिया का इलाजः हसीना सरकार का रुख कुछ नरम, लेकिन मुद्दा जहां का तहां

वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, ढाका
Published by: अजय सिंह
Updated Sun, 12 Dec 2021 03:17 PM IST

सार

बेगम जिया 76 साल की हैं। वे लीवर सायरोसिस से पीड़ित हैं। उनकी जांच करने वाले एक मेडिकल बोर्ड ने कुछ रोज पहले कहा था कि बेगम जिया की बीमारी काफी आगे बढ़ चुकी है।

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पूर्व प्रधानमंत्री और प्रमुख विपक्षी दल बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) की अध्यक्ष बेगम खालिदा जिया को इलाज के लिए विदेश जाने की इजाजत देने के मुद्दे बांग्लादेश सरकार का रुख कुछ नरम पड़ने के संकेत हैं। शेख हसीन वाजेद के नेतृत्व वाली अवामी लीग सरकार अब तक खालिदा जिया को ऐसी इजाजत देने से साफ इनकार कर रही थी। लेकिन अब देश के कानून मंत्री अनिसुल हक ने कहा है कि सरकार बेगम जिया को विदेश जाने की इजाजत देने की कानूनी संभावना तलाश रही है। 

इस बीच इस मसले पर बीएनपी का आंदोलन जारी है। पार्टी के नेताओं ने कहा है कि सरकार ने रुख में नरमी का जो संकेत दिया है, उस पर उन्हें भरोसा नहीं है। जबकि कानून मंत्री हक ने शुक्रवार को कहा कि बेगम जिया की सजा इस शर्त पर निलंबित की गई थी कि वे देश में रहते हुए इलाज करवाएंगी। उन्होंने कहा- सरकार ने यह कभी नहीं कहा कि वे अस्पताल में इलाज नहीं करवा सकतीं। हक ने कहा कि क्या बेगम जिया को विदेश जाने की इजाजत मिल सकती है, सरकार बारे में कानूनी संभावना पर विचार कर रही है।

इसके पहले प्रधानमंत्री शेख हसीना ने कहा था कि उनकी सरकार ने बेगम जिया के प्रति ‘पूरी उदारता’ दिखाई है। उन्हें घर पर रहने और अस्पताल में इलाज करवाने की इजाजत दी गई है। बीते 13 नवंबर से वे कई अस्पतालों में अपना इलाज करवा चुकी हैं।

बेगम जिया 76 साल की हैं। वे लीवर सायरोसिस से पीड़ित हैं। उनकी जांच करने वाले एक मेडिकल बोर्ड ने कुछ रोज पहले कहा था कि बेगम जिया की बीमारी काफी आगे बढ़ चुकी है। इसलिए उन्हें विदेश जाकर इलाज करवाना चाहिए। बीते 11 नवंबर को खालिदा जिया के छोटे भाई शमीम इस्कंदर ने पूर्व प्रधानमंत्री को विदेश जाने की इजाजत के लिए गृह मंत्रालय को एक अर्जी दी थी। लेकिन सरकार ने उसे ठुकरा दिया था। अब कानून मंत्री अनीसुल हक ने कहा है कि अगर बेगम जिया जेल लौट कर वहां से विदेश जाने की नई अर्जी दें, तो सरकार उस पर विचार करेगी।

बीएनपी ने सरकार के इस नजरिए को लापरवाही भरा बताया है। पार्टी के महासचिव मिर्जा फखरुल इस्लाम आलमगीर ने एक बयान में कहा- ‘खालिदा जिया गंभीर रूप  से बीमार हैं। वे जीवन और मौत के बीच झूल रही हैं। उन्हें जो इलाज चाहिए, वह बांग्लादेश में संभव नहीं है। उन्हें बिना देर किए किसी उन्नत मेडिकल सेंटर पर भेजने की जरूरत है।’

बीएनपी ने प्रधानमंत्री के इस बयान पर कड़ा एतराज जताया है कि बांग्लादेश सरकार ने बेगम खालिदा जिया के प्रति पूरी उदारता दिखाई है। पार्टी ने पूछा- ‘सरकार ने उनसे जो व्यवहार किया है, उसमें बाकी क्या रह गया है। ऐसा व्यवहार किसी सभ्य देश के नेता से अपेक्षित नहीं है।’ बीएनपी ने ध्यान दिलाया कि बांग्लादेश के स्वतंत्रता संग्राम और देश में लोकतंत्र बहाली के लंबे संघर्ष में बेगम जिया ने भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। लेकिन अब उन्हें जरूरी इलाज से भी वंचित रखा जा रहा है।

 

विस्तार

पूर्व प्रधानमंत्री और प्रमुख विपक्षी दल बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) की अध्यक्ष बेगम खालिदा जिया को इलाज के लिए विदेश जाने की इजाजत देने के मुद्दे बांग्लादेश सरकार का रुख कुछ नरम पड़ने के संकेत हैं। शेख हसीन वाजेद के नेतृत्व वाली अवामी लीग सरकार अब तक खालिदा जिया को ऐसी इजाजत देने से साफ इनकार कर रही थी। लेकिन अब देश के कानून मंत्री अनिसुल हक ने कहा है कि सरकार बेगम जिया को विदेश जाने की इजाजत देने की कानूनी संभावना तलाश रही है। 

इस बीच इस मसले पर बीएनपी का आंदोलन जारी है। पार्टी के नेताओं ने कहा है कि सरकार ने रुख में नरमी का जो संकेत दिया है, उस पर उन्हें भरोसा नहीं है। जबकि कानून मंत्री हक ने शुक्रवार को कहा कि बेगम जिया की सजा इस शर्त पर निलंबित की गई थी कि वे देश में रहते हुए इलाज करवाएंगी। उन्होंने कहा- सरकार ने यह कभी नहीं कहा कि वे अस्पताल में इलाज नहीं करवा सकतीं। हक ने कहा कि क्या बेगम जिया को विदेश जाने की इजाजत मिल सकती है, सरकार बारे में कानूनी संभावना पर विचार कर रही है।

इसके पहले प्रधानमंत्री शेख हसीना ने कहा था कि उनकी सरकार ने बेगम जिया के प्रति ‘पूरी उदारता’ दिखाई है। उन्हें घर पर रहने और अस्पताल में इलाज करवाने की इजाजत दी गई है। बीते 13 नवंबर से वे कई अस्पतालों में अपना इलाज करवा चुकी हैं।

बेगम जिया 76 साल की हैं। वे लीवर सायरोसिस से पीड़ित हैं। उनकी जांच करने वाले एक मेडिकल बोर्ड ने कुछ रोज पहले कहा था कि बेगम जिया की बीमारी काफी आगे बढ़ चुकी है। इसलिए उन्हें विदेश जाकर इलाज करवाना चाहिए। बीते 11 नवंबर को खालिदा जिया के छोटे भाई शमीम इस्कंदर ने पूर्व प्रधानमंत्री को विदेश जाने की इजाजत के लिए गृह मंत्रालय को एक अर्जी दी थी। लेकिन सरकार ने उसे ठुकरा दिया था। अब कानून मंत्री अनीसुल हक ने कहा है कि अगर बेगम जिया जेल लौट कर वहां से विदेश जाने की नई अर्जी दें, तो सरकार उस पर विचार करेगी।

बीएनपी ने सरकार के इस नजरिए को लापरवाही भरा बताया है। पार्टी के महासचिव मिर्जा फखरुल इस्लाम आलमगीर ने एक बयान में कहा- ‘खालिदा जिया गंभीर रूप  से बीमार हैं। वे जीवन और मौत के बीच झूल रही हैं। उन्हें जो इलाज चाहिए, वह बांग्लादेश में संभव नहीं है। उन्हें बिना देर किए किसी उन्नत मेडिकल सेंटर पर भेजने की जरूरत है।’

बीएनपी ने प्रधानमंत्री के इस बयान पर कड़ा एतराज जताया है कि बांग्लादेश सरकार ने बेगम खालिदा जिया के प्रति पूरी उदारता दिखाई है। पार्टी ने पूछा- ‘सरकार ने उनसे जो व्यवहार किया है, उसमें बाकी क्या रह गया है। ऐसा व्यवहार किसी सभ्य देश के नेता से अपेक्षित नहीं है।’ बीएनपी ने ध्यान दिलाया कि बांग्लादेश के स्वतंत्रता संग्राम और देश में लोकतंत्र बहाली के लंबे संघर्ष में बेगम जिया ने भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। लेकिन अब उन्हें जरूरी इलाज से भी वंचित रखा जा रहा है।

 

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