सार
चौथी तिमाही में मेटा को 10.3 बिलियन डॉलर यानी करीब 77,106 करोड़ का शुद्ध लाभ हुआ है जो पिछले साल की तुलना में आठ फीसदी कम है।
पिछले के सीईओ मार्क जुकरबर्ग अपनी नाकामियों के लिए पिछले 14 सालों से लगातार माफी मांगते आ रहे हैं। 2004 में फेसबुक की लॉन्चिंग के बाद से कंपनी लगातार विवादों में रही है। कभी डाटा प्राइवेसी को लेकर तो कभी पक्षपात को लेकर। विवादों से कंपनी का पुराना नाता है। एक्सपर्ट के मुताबिक फेसबुक के नाम इतने विवाद जुड़ गए थे कि कंपनी ने अपना नाम मेटा (Meta) रख लिया। नए नाम को लेकर मार्क जुकरबर्ग ने कहा कि वे चाहते हैं कि दुनिया उनकी कंपनी को मेटावर्स के तौर पर जाने, लेकिन लगता है कि मार्केट को कंपनी का नया नाम पसंद नहीं आ रहा है।
गुरुवार दोपहर के कारोबार में मेटा के शेयर 26% से अधिक गिरकर $237.76 (करीब 17,800 रुपये) पर आ गए। कंपनी का बाजार पूंजीकरण में $230 बिलियन (लगभग 17,18,300 करोड़ रुपये) से अधिक की गिरावट आई। यह किसी कंपनी की पूंजीकरण में एक दिन की सबसे बड़ी गिरावट है। आइए समझने की कोशिश करते हैं कि आखिर एक दौर में लोगों के दिलों पर राज करने वाले फेसबुक से लोगों का मोहभंग क्यों होने लगा है?
18 साल मे पहली बार कंपनी को बड़ा नुकसान हुआ है और उसके यूजर्स की संख्या में भारी कमी देखने को मिली है। मेटा को हुए नुकसान के बाद मार्क जुकरबर्ग की संपत्ति 31 अरब डॉलर घटी है।पिछली तिमाही से कंपनी को 1.95 बिलियन डेली एक्टिव यूजर्स की उम्मीद थी लेकिन यह संख्या 1.93 बिलियन पर रुक गई है। एक तिमाही पहले यह संख्या 1.930 अरब थी। मेटा ने अपने पूर्वानुमानों के मुताबिक 33.67 बिलियन डॉलर यानी करीब 2,52,051 करोड़ रुपये का कारोबार किया। चौथी तिमाही में मेटा को 10.3 बिलियन डॉलर यानी करीब 77,106 करोड़ का शुद्ध लाभ हुआ है जो पिछले साल की तुलना में आठ फीसदी कम है।
पिछले एक साल में फेसबुक को TikTok और Telegram जैसे यूजर्स से कड़ी चुनौती मिली है। टिकटॉक और टेलीग्राम के अलावा मेटा को Slack एप से भी काफी नुकसान हुआ है जो कि एक मैसेजिंग प्लेटफॉर्म है। इन एप्स से मिल रही टक्कर के बाद मेटा इंस्टाग्राम के रील्स फीचर पर काफी निवेश कर रहा है और यूजर्स फ्रेंडली फीचर पेश कर रहा है। हाल ही में इंस्टाग्राम ने सब्सक्रिप्शन मोड पेश किया है। मेटा ने नुकसान के लिए यूट्यूब को भी जिम्मेदार ठहराया है।
मार्क जुकरबर्ग और Meta के कई अधिकारियों ने अपने इस घाटे का ठिकरा एपल की नई प्राइवेसी पॉलिसी पर फोड़ा है। मेटा का आरोप है कि एपल की नई प्राइवेसी पॉलिसी की वजह से उसे यूजर्स का 100 फीसदी डाटा नहीं मिल पाता है जिससे विज्ञापन दिखाने में दिक्कत होती है। एपल की नई पॉलिसी के मुताबिक किसी भी एप को यूजर्स के किसी भी डाटा का एक्सेस लेने से पहले उसकी इजाजत लेनी होगी। सीधे शब्दों में कहें तो एपल ने अपने यूजर्स को अपने डाटा पर पूरा कंट्रोल दिया है, जबकि एंड्रॉयड के साथ ऐसा नहीं है। iPhone यूजर्स फेसबुक एप्स के साथ डाटा शेयर करने से सीधा मना कर सकते हैं। मेटा के मुख्य वित्तीय अधिकारी डेविड वेहनर ने कहा, “हमारा मानना है कि 2022 में हमारे कारोबार पर कुल मिलाकर आईओएस का प्रभाव 10 अरब डॉलर के करीब पड़ेगा। यह हमारे व्यवसाय के लिए एक बहुत बड़ा सिरदर्द है।”
मेटा का पूरा फोकस फिलहाल विज्ञापन पर है, ऐसे में यूजर्स एक्सपेरियंस को किसी कोने में छोड़ दिया गया है। हर रोज लाखों यूजर्स शिकायत कर रहे हैं कि उनके पोस्ट पर रीच नहीं मिल रही, उन्हें टैगिंग आदि के नोटिफिकेशन देर से मिलते हैं। पिछले कुछ महीनों में फेसबुक यूजर्स को अचानक से ग्रुप पोस्ट के नोटिफिकेशन थोक में मिलने लगे हैं। कंपनी का फोकस शुरू से ही वीडियो पर रहा है। इसके लिए उसने अलग से एक वॉच टैब भी जोड़ा है। इसके अलावा यूजर्स के पर्सनल पोस्ट की रीच को कंपनी ने हमेशा से कम ही किया है। ऐसे में युवाओं का फेसबुक से मोहभंग होना कोई बड़ी बात नहीं है।
मेटा के लिए साल 2021 किसी काल से कम साबित नहीं हुआ है। महामारी के दौरान मेटा पर कोविड-19 महामारी और वैक्सीनेशन से जुड़ी कई फर्जी प्रोफाइल को प्रमोट करने का आरोप लगा है। कंपनी की एक गलती की वजह से इन फर्जी फेसबुक और इंस्टाग्राम प्रोफाइल के जरिए लाखों लोगों तक गलत जानकारी पहुंची। इसके अलावा फेसबुक पर मानव तस्करी का भी आरोप लगा है। फेसबुक व्हिसलब्लोअर फ्रांसेस हौगेन ने दावा किया था कि फेसबुक पर अरबी में ‘खादीमा’ या ‘मेड्स’ सर्च करने पर अफ्रीकियों और दक्षिण एशियाई महिलाओं की उम्र और उनकी फोटोज के साथ कीमत के रिजल्ट सामने आते हैं। फेसबुक पर इस बात को स्वीकार कर चुका है कि वह अपने प्लेटफॉर्म पर मानव तस्करी की समस्या से जूझ रहा है।
विस्तार
पिछले के सीईओ मार्क जुकरबर्ग अपनी नाकामियों के लिए पिछले 14 सालों से लगातार माफी मांगते आ रहे हैं। 2004 में फेसबुक की लॉन्चिंग के बाद से कंपनी लगातार विवादों में रही है। कभी डाटा प्राइवेसी को लेकर तो कभी पक्षपात को लेकर। विवादों से कंपनी का पुराना नाता है। एक्सपर्ट के मुताबिक फेसबुक के नाम इतने विवाद जुड़ गए थे कि कंपनी ने अपना नाम मेटा (Meta) रख लिया। नए नाम को लेकर मार्क जुकरबर्ग ने कहा कि वे चाहते हैं कि दुनिया उनकी कंपनी को मेटावर्स के तौर पर जाने, लेकिन लगता है कि मार्केट को कंपनी का नया नाम पसंद नहीं आ रहा है।
गुरुवार दोपहर के कारोबार में मेटा के शेयर 26% से अधिक गिरकर $237.76 (करीब 17,800 रुपये) पर आ गए। कंपनी का बाजार पूंजीकरण में $230 बिलियन (लगभग 17,18,300 करोड़ रुपये) से अधिक की गिरावट आई। यह किसी कंपनी की पूंजीकरण में एक दिन की सबसे बड़ी गिरावट है। आइए समझने की कोशिश करते हैं कि आखिर एक दौर में लोगों के दिलों पर राज करने वाले फेसबुक से लोगों का मोहभंग क्यों होने लगा है?
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