वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, मास्को
Published by: Harendra Chaudhary
Updated Wed, 23 Mar 2022 04:39 PM IST
सार
रूस की इकोनॉमिक्स नेशनल रिसर्च यूनिवर्सिटी में स्थित- सेंटर फॉर कॉम्प्रिहेंसिव यूरोपियन एंड इंटरनेशनल स्टडीज के निदेशक वेसिली कशिन ने अपनी एक टिप्पणी में कहा है- ‘चीन ने तटस्थता का रुख अपनाया है। लेकिन मौजूदा संकट के बीच यह रूस के प्रति दोस्ताना रुख है…
यूक्रेन पर हमले के बाद पश्चिमी देशों की तरफ से लगाए गए प्रतिबंधों के कारण अब रूस अपने अंतरराष्ट्रीय संबंधों और आर्थिक मॉडल को नया रूप देने की कोशिश में जुट गया है। वह अपने सुरक्षा संबंधों पर भी पुनर्विचार कर रहा है। इसके बीच चीन उसका सबसे बड़ा सहारा बन कर उभरा है। रूसी विशेषज्ञों ने अपना ये आकलन रूसी मीडिया में छपी अपनी टिप्पणियों में पेश किया है।
जानकारों का कहना है कि रूस के रुख में आ रहे बदलावों का फौरी असर पूर्वी एशिया में महसूस किया जाएगा। यह क्षेत्र अमेरिका और चीन के बीच बढ़ते तनाव से प्रभावित रहा है। यूक्रेन संकट में रूस के साथ चीन की दोस्ती और मजबूत हुई है। उधर अमेरिका को अपना काफी ध्यान फिर से यूरोप में लगाना पड़ा है। इन कारणों से पूर्वी एशिया और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के समीकरण प्रभावित सकते हैँ।
रुस के लिए दोस्ताना रुख
रूस की इकोनॉमिक्स नेशनल रिसर्च यूनिवर्सिटी में स्थित- सेंटर फॉर कॉम्प्रिहेंसिव यूरोपियन एंड इंटरनेशनल स्टडीज के निदेशक वेसिली कशिन ने अपनी एक टिप्पणी में कहा है- ‘चीन ने तटस्थता का रुख अपनाया है। लेकिन मौजूदा संकट के बीच यह रूस के प्रति दोस्ताना रुख है। चीन के विदेश मंत्रालय और चीनी बैंकों के अधिकारियों ने बार-बार इस बात पर जोर दिया है कि मौजूदा हालात के बावजूद वे रूस के साथ अपने सभी संबंध बनाए रखेंगे।’
रूसी मीडिया में छपी टिप्पणियों से साफ है कि रूसी रणनीतिकारों ने इन अमेरिकी बयानों को बिल्कुल अहमियत नहीं दी है कि यूक्रेन मसले पर अमेरिका और चीन के बीच विचार-विमर्श चल रहा है। उन्होंने इन खबरों को भी गंभीरता से नहीं लिया है कि पश्चिमी देशों के संभावित प्रतिबंधों के डर से चीनी कंपनियां और बैंक रूस के साथ कारोबार करने में हिचक रही हैं। इन टिप्पणियों में कहा गया है कि प्रतिबंधों के असर को लेकर चिंतित होना एक स्वाभाविक प्रतिक्रिया है। लेकिन इन चिंताओं के बावजूद चीनी कंपनियां रूस से कारोबार जारी रखने के रास्ते ढूंढ लेंगी।
रूसी विदेशी मुद्रा भंडार में युवान शामिल
वेसिली कशिन ने ध्यान दिलाया है कि यूक्रेन संकट खड़ा होने के बाद चीन और रूस ने ऐसे सुरक्षित तंत्र खड़ा करने की ठोस पहल की है, जिससे द्विपक्षीय व्यापार जारी रहे। अब दोनों देश रूसी मुद्रा रुबल और चीनी मुद्रा युवान में आपसी कारोबार करने के उपायों को लागू कर चुके हैं। पश्चिमी प्रतिबंध लगने के बाद रूसी विदेशी मुद्रा भंडार में युवान का हिस्सा तेजी से बढ़ा है।
कुछ विश्लेषणों में बताया गया है कि रूस अपने कच्चे माल का ज्यादा हिस्सा चीन को निर्यात करे, इसमें चीन का भी स्वार्थ है। उससे चीन को भारी आर्थिक फायदा होगा। साथ ही यह उसके राजनीतिक और रणनीतिक हितों के अनुरूप भी है।
रशिया टुडे में छपे एक अन्य विश्लेषण मे कहा गया है कि आने वाले दिनों में चीन रूस का सबसे बड़ा ट्रेड पार्टनर बन जाएगा। अभी ये दर्जा यूरोपियन यूनियन को मिला हुआ है। इससे अंतरराष्ट्रीय कारोबार में चीनी मुद्रा युवान का उपयोग बढ़ेगा। चीन लंबे समय से अपनी मुद्रा को अंतरराष्ट्रीय स्वरूप देने की कोशिशों में जुटा रहा है। इस नजरिए से कई पर्यवेक्षकों की राय है कि यूक्रेन संकट उसके लिए अवसर के रूप में आया है।
विस्तार
यूक्रेन पर हमले के बाद पश्चिमी देशों की तरफ से लगाए गए प्रतिबंधों के कारण अब रूस अपने अंतरराष्ट्रीय संबंधों और आर्थिक मॉडल को नया रूप देने की कोशिश में जुट गया है। वह अपने सुरक्षा संबंधों पर भी पुनर्विचार कर रहा है। इसके बीच चीन उसका सबसे बड़ा सहारा बन कर उभरा है। रूसी विशेषज्ञों ने अपना ये आकलन रूसी मीडिया में छपी अपनी टिप्पणियों में पेश किया है।
जानकारों का कहना है कि रूस के रुख में आ रहे बदलावों का फौरी असर पूर्वी एशिया में महसूस किया जाएगा। यह क्षेत्र अमेरिका और चीन के बीच बढ़ते तनाव से प्रभावित रहा है। यूक्रेन संकट में रूस के साथ चीन की दोस्ती और मजबूत हुई है। उधर अमेरिका को अपना काफी ध्यान फिर से यूरोप में लगाना पड़ा है। इन कारणों से पूर्वी एशिया और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के समीकरण प्रभावित सकते हैँ।
रुस के लिए दोस्ताना रुख
रूस की इकोनॉमिक्स नेशनल रिसर्च यूनिवर्सिटी में स्थित- सेंटर फॉर कॉम्प्रिहेंसिव यूरोपियन एंड इंटरनेशनल स्टडीज के निदेशक वेसिली कशिन ने अपनी एक टिप्पणी में कहा है- ‘चीन ने तटस्थता का रुख अपनाया है। लेकिन मौजूदा संकट के बीच यह रूस के प्रति दोस्ताना रुख है। चीन के विदेश मंत्रालय और चीनी बैंकों के अधिकारियों ने बार-बार इस बात पर जोर दिया है कि मौजूदा हालात के बावजूद वे रूस के साथ अपने सभी संबंध बनाए रखेंगे।’
रूसी मीडिया में छपी टिप्पणियों से साफ है कि रूसी रणनीतिकारों ने इन अमेरिकी बयानों को बिल्कुल अहमियत नहीं दी है कि यूक्रेन मसले पर अमेरिका और चीन के बीच विचार-विमर्श चल रहा है। उन्होंने इन खबरों को भी गंभीरता से नहीं लिया है कि पश्चिमी देशों के संभावित प्रतिबंधों के डर से चीनी कंपनियां और बैंक रूस के साथ कारोबार करने में हिचक रही हैं। इन टिप्पणियों में कहा गया है कि प्रतिबंधों के असर को लेकर चिंतित होना एक स्वाभाविक प्रतिक्रिया है। लेकिन इन चिंताओं के बावजूद चीनी कंपनियां रूस से कारोबार जारी रखने के रास्ते ढूंढ लेंगी।
रूसी विदेशी मुद्रा भंडार में युवान शामिल
वेसिली कशिन ने ध्यान दिलाया है कि यूक्रेन संकट खड़ा होने के बाद चीन और रूस ने ऐसे सुरक्षित तंत्र खड़ा करने की ठोस पहल की है, जिससे द्विपक्षीय व्यापार जारी रहे। अब दोनों देश रूसी मुद्रा रुबल और चीनी मुद्रा युवान में आपसी कारोबार करने के उपायों को लागू कर चुके हैं। पश्चिमी प्रतिबंध लगने के बाद रूसी विदेशी मुद्रा भंडार में युवान का हिस्सा तेजी से बढ़ा है।
कुछ विश्लेषणों में बताया गया है कि रूस अपने कच्चे माल का ज्यादा हिस्सा चीन को निर्यात करे, इसमें चीन का भी स्वार्थ है। उससे चीन को भारी आर्थिक फायदा होगा। साथ ही यह उसके राजनीतिक और रणनीतिक हितों के अनुरूप भी है।
रशिया टुडे में छपे एक अन्य विश्लेषण मे कहा गया है कि आने वाले दिनों में चीन रूस का सबसे बड़ा ट्रेड पार्टनर बन जाएगा। अभी ये दर्जा यूरोपियन यूनियन को मिला हुआ है। इससे अंतरराष्ट्रीय कारोबार में चीनी मुद्रा युवान का उपयोग बढ़ेगा। चीन लंबे समय से अपनी मुद्रा को अंतरराष्ट्रीय स्वरूप देने की कोशिशों में जुटा रहा है। इस नजरिए से कई पर्यवेक्षकों की राय है कि यूक्रेन संकट उसके लिए अवसर के रूप में आया है।
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