न्यूज डेस्क, अमर उजाला
Published by: प्रशांत कुमार झा
Updated Tue, 21 Dec 2021 08:55 AM IST
सार
नीना गुप्ता रामानुजन पुरस्कार जीतने वाली चौथी भारतीय हैं। नीना को विकासशील देशों के युवा गणितज्ञों के लिए जारिस्की रद्दीकरण समस्या की दिशा में उनके काम के लिए डीएसटी-आईसीटीपी-आईएमयू रामानुजन पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।
नीना गुप्ता, प्रसिद्ध गणितज्ञ
– फोटो : सोशल मीडिया
इंडियन स्टैटिस्टकल इंस्टीट्यूट (ISI) कोलकाता की प्रोफेसर औरप्रसिद्ध गणितज्ञ नीना गुप्ता को गणित के क्षेत्र में सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कारों में से एक रामानुजन पुरस्कार मिला है। यह पुरस्कार पाने वाली नीना गुप्ता चौथी भारतीय हैं। नीना को विकासशील देशों के युवा गणितज्ञों के लिए जारिस्की रद्दीकरण समस्या की दिशा में उनके काम के लिए डीएसटी-आईसीटीपी-आईएमयू रामानुजन पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। जीमच करें कि गणित में उनका क्या योगदान है।
नीना गुप्ता ने विकासशील देशों के युवा गणितज्ञों के लिए डीएसटी-आईसीटीपी-आईएमयू रामानुजन पुरस्कार जीता है। उन्हें एफाइन बीजीय ज्यामिति और कम्यूटेटिव बीजगणित पर उनके काम के लिए देखकर लिया गया है। विशेष रूप से स्पेस के लिए जारिस्की रद्दीकरण समस्या को हल करने के लिए उनका काम इस पुरस्कार के माध्यम से सराहनीय और सम्मानित किया गया है।
क्या है रामानुजन पुरस्कार
गणित के क्षेत्र में रामानुजन पुरस्कार की गिनती दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कारों में होती है। यह पुरस्कार हर साल विकासशील देशो के युवा गणितज्ञों को दिया जाता है। उनकी उम्र 45 वर्ष से कम होनी चाहिए। महान भारतीय गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन की याद में वर्ष 2005 में इस पुरस्कार की शुरुआत हुई थी और तब से प्रतिवर्ष यह सिलसिला जारी है । इसे इंटरनेशनल सेंटर फॉर थियोरेटिकल फिजिक्स रामानुजन पुरस्कार भी कहा जाता है। यह पुरस्कार इटली में स्थित अंतर्राष्ट्रीय सैद्धांतिक भौतिकी केंद्र द्वारा प्रस्तुत किया जाता है. इसके लिए फंड अल्बेल फंड के माध्यम से दिए जाते हैं।
कौन थे श्रीनिवास रामानुजन?
श्रीनिवास रामानुजन एक महान भारतीय गणितज्ञ थे। रामानुजन का जन्म 22 दिसंबर, 1887 को तमिलनाडु के इरोड गांव में हुआ था. उन्होंने गणित के क्षेत्र में संख्या सिद्धांत, गणितीय विश्लेषण और अनंत श्रृंखला में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। एक अंग्रेज गणितज्ञ हार्डी ने उनके योगदान को सराहा था
विस्तार
इंडियन स्टैटिस्टकल इंस्टीट्यूट (ISI) कोलकाता की प्रोफेसर औरप्रसिद्ध गणितज्ञ नीना गुप्ता को गणित के क्षेत्र में सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कारों में से एक रामानुजन पुरस्कार मिला है। यह पुरस्कार पाने वाली नीना गुप्ता चौथी भारतीय हैं। नीना को विकासशील देशों के युवा गणितज्ञों के लिए जारिस्की रद्दीकरण समस्या की दिशा में उनके काम के लिए डीएसटी-आईसीटीपी-आईएमयू रामानुजन पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। जीमच करें कि गणित में उनका क्या योगदान है।
नीना गुप्ता ने विकासशील देशों के युवा गणितज्ञों के लिए डीएसटी-आईसीटीपी-आईएमयू रामानुजन पुरस्कार जीता है। उन्हें एफाइन बीजीय ज्यामिति और कम्यूटेटिव बीजगणित पर उनके काम के लिए देखकर लिया गया है। विशेष रूप से स्पेस के लिए जारिस्की रद्दीकरण समस्या को हल करने के लिए उनका काम इस पुरस्कार के माध्यम से सराहनीय और सम्मानित किया गया है।
क्या है रामानुजन पुरस्कार
गणित के क्षेत्र में रामानुजन पुरस्कार की गिनती दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कारों में होती है। यह पुरस्कार हर साल विकासशील देशो के युवा गणितज्ञों को दिया जाता है। उनकी उम्र 45 वर्ष से कम होनी चाहिए। महान भारतीय गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन की याद में वर्ष 2005 में इस पुरस्कार की शुरुआत हुई थी और तब से प्रतिवर्ष यह सिलसिला जारी है । इसे इंटरनेशनल सेंटर फॉर थियोरेटिकल फिजिक्स रामानुजन पुरस्कार भी कहा जाता है। यह पुरस्कार इटली में स्थित अंतर्राष्ट्रीय सैद्धांतिक भौतिकी केंद्र द्वारा प्रस्तुत किया जाता है. इसके लिए फंड अल्बेल फंड के माध्यम से दिए जाते हैं।
कौन थे श्रीनिवास रामानुजन?
श्रीनिवास रामानुजन एक महान भारतीय गणितज्ञ थे। रामानुजन का जन्म 22 दिसंबर, 1887 को तमिलनाडु के इरोड गांव में हुआ था. उन्होंने गणित के क्षेत्र में संख्या सिद्धांत, गणितीय विश्लेषण और अनंत श्रृंखला में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। एक अंग्रेज गणितज्ञ हार्डी ने उनके योगदान को सराहा था
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