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पाकिस्तान : सरकार ने अल्पसंख्यक समुदाय के मंदिरों की देखभाल के लिए हिंदू नेताओं की पहली समिति का किया गठन

पाकिस्तान ने बुधवार को घोषणा की कि उसने मुस्लिम बहुल देश में अल्पसंख्यक समुदाय के मंदिरों की देखभाल के लिए हिंदू नेताओं की पहली संस्था का गठन किया है।

धार्मिक मामलों के मंत्रालय ने पहले से काम कर रहे पाकिस्तान सिख गुरुद्वारा प्रबंधन समिति की तर्ज पर पाकिस्तान हिंदू मंदिर प्रबंधन समिति का गठन किया। एक आधिकारिक बयान के अनुसार, पाकिस्तान हिंदू मंदिर प्रबंधन समिति की उद्घाटन बैठक की अध्यक्षता धार्मिक मामलों के मंत्री पीर नूर-उल-हक कादरी ने की।

इवैक्यूई ट्रस्ट प्रॉपर्टी बोर्ड (ईटीपीबी) के अध्यक्ष आसिफ हाशमी ने बैठक को मामलों की जानकारी दी। ईटीपीबी एक वैधानिक बोर्ड है जो विभाजन के बाद भारत में प्रवास करने वाले हिंदुओं और सिखों की धार्मिक संपत्तियों और तीर्थस्थलों का प्रबंधन करता है। कादरी ने कहा, समिति हिंदू पूजा स्थलों से संबंधित मामलों की देख-रेख करेगी।

हिंदू समुदाय की मांग पर कमेटी बनाकर रचा इतिहास : समिति अध्यक्ष
समिति में दीवान चंद चावला, हारून सरब दयाल, मोहनदास, नारंजन कुमार, मेघा अरोड़ा, अमित शदानी, अशोक कुमार, वर्सी मिल दीवानी और अमर नाथ रंधावा होगें जिसके अध्यक्ष कृष्णा शर्मा होंगे। कृष्णा शर्मा ने कहा, पाकिस्तान ने हिंदू समुदाय की मांग पर कमेटी बनाकर इतिहास रच दिया है।

कादरी ने कहा कि पाकिस्तान की गैर-मुस्लिम आबादी की समस्याओं को प्राथमिकता के आधार पर हल किया जा रहा है और समिति का गठन पाकिस्तानी हिंदू समुदाय के मुद्दों को सुलझाने में सहायक होगा।

मंत्री ने कहा कि धार्मिक और सांस्कृतिक विविधता के बावजूद, सहिष्णुता और एक-दूसरे की स्वीकृति मानवता है, यह कहते हुए कि दुष्ट तत्व पाकिस्तान में धर्म, संप्रदाय और भाषा विज्ञान के आधार पर टकराव चाहते हैं। उन्होंने कहा कि नई समिति गैर-मुस्लिम आबादी और राज्य के बीच एक सेतु का काम करेगी।

पाकिस्तान देश में 75 लाख हिंदू रहते हैं : अनुमान
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री इमरान खान के विजन के मुताबिक गैर मुस्लिम आबादी के कल्याण के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। पाकिस्तान में हिंदू सबसे बड़े अल्पसंख्यक समुदाय हैं। आधिकारिक अनुमान के मुताबिक देश में 75 लाख हिंदू रहते हैं।

पाकिस्तान की अधिकांश हिंदू आबादी सिंध प्रांत में बसी है जहां वे मुस्लिम निवासियों के साथ संस्कृति, परंपरा और भाषा साझा करते हैं। वे अक्सर चरमपंथियों द्वारा उत्पीड़न की शिकायत करते हैं।

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