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कामयाबी: ओमिक्रॉन को रोकने वाली एंटीबॉडीज की हुई पहचान, टीका लेना फायदेमंद

एजेंसी, वाशिंगटन।
Published by: Jeet Kumar
Updated Thu, 30 Dec 2021 06:03 AM IST

सार

ओमिक्रॉन के स्पाइक प्रोटीन में 37 प्रकार के म्यूटेशन हुए हैं। इनमें कोर वायरस के शुरुआती स्वरूप के मुकाबले मानव कोशिकाओं को पकड़ने की क्षमता 2.4 गुना ज्यादा है। इसलिए यह तेजी से फैल रहा है। 

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वैज्ञानिकों ने ऐसी एंटीबॉडीज की पहचान की है जो ओमिक्रॉन व अन्य कोरोना वायरस वेरिएंट्स को खत्म कर सकती हैं। यह एंटीबॉडीज वायरस के उन हिस्सों को टारगेट करती है जो म्यूटेशन के बाद भी जैसे के वैसे बने रहते हैं। 

नेचर जर्नल में प्रकाशित इस अध्ययन की मदद से निकट भविष्य में बेहतर टीके और एंटीबॉडीज से इलाज के तरीके तलाशने में मदद मिल सकती है। में अध्ययन शामिल वाशिंगटन विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ मेडिसिन में एसोसिएट प्रोफेसर डॉ डेविड वीसलर के अनुसार लगातार बदल रहे इस वायरस को उसके स्पाइक प्रोटीन को टारगेट करने वाली एंटीबॉडीज के जरिए खत्म किया जा सकता है। 

कोरोना वायरस के बाहरी हिस्से में हुक या कांटों जैसी संरचनाएं स्पाइक प्रोटीन होती हैं यह मानव शरीर में मौजूद कोशिकाओं कीसतह पर मौजूद एंजियोस्टीन कनर्विटिंग एंजाइम 2 रिसेप्टर नामक प्रोटीन से जुड़ जाती हैं। इनके जरिए यह वायरस मानव कोशिकाओं में दाखिल होता है। 

ओमिक्रॉन के स्पाइक प्रोटीन में 37 प्रकार के म्यूटेशन हुए हैं। इनमें कोर वायरस के शुरुआती स्वरूप के मुकाबले मानव कोशिकाओं को पकड़ने की क्षमता 2.4 गुना ज्यादा है। इसलिए यह तेजी से फैल रहा है। 
वैज्ञानिकों ने दो सूडो-वायरस बनाए 
अध्ययन के दौरान वैज्ञानिकों ने शुरुआती वायरस का सूडो – वायरस विकसित किया जो खुद की कॉपी नहीं कर सकता। इस पर स्पाइक प्रोटीन विकसित किया गया। एक और सूडो-वायरस भी बनाया जो ओमिक्रॉन के स्पाइक-प्रोटीन से युक्त था। इसके बाद कोरोना के शुरूआती वेरिएंट से संक्रमित होकर ठीक हुए व टीके ले चुके और संक्रमित होकर टीके ले चुके लोगों से एंटीबॉडीज लीं। इनका ओमिक्रॉन संक्रमण रोकने में असर मापा गया।

सावधान करने वाले नतीजे 

  • संक्रमण के बाद ठीक हुए और टीके की 1 डोज ले चुके लोगों की प्रतिरोधक क्षमता बाकियों से कमजोर रही। 
  • संक्रमण से ठीक हुए और टीके की 2 डोज ले चुके लोगों में सबसे कम संक्रमण हुआ, बचाव क्षमता बेहतर रही। यानी टीका लेना फायदेमंद रहा है।

विस्तार

वैज्ञानिकों ने ऐसी एंटीबॉडीज की पहचान की है जो ओमिक्रॉन व अन्य कोरोना वायरस वेरिएंट्स को खत्म कर सकती हैं। यह एंटीबॉडीज वायरस के उन हिस्सों को टारगेट करती है जो म्यूटेशन के बाद भी जैसे के वैसे बने रहते हैं। 

नेचर जर्नल में प्रकाशित इस अध्ययन की मदद से निकट भविष्य में बेहतर टीके और एंटीबॉडीज से इलाज के तरीके तलाशने में मदद मिल सकती है। में अध्ययन शामिल वाशिंगटन विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ मेडिसिन में एसोसिएट प्रोफेसर डॉ डेविड वीसलर के अनुसार लगातार बदल रहे इस वायरस को उसके स्पाइक प्रोटीन को टारगेट करने वाली एंटीबॉडीज के जरिए खत्म किया जा सकता है। 

कोरोना वायरस के बाहरी हिस्से में हुक या कांटों जैसी संरचनाएं स्पाइक प्रोटीन होती हैं यह मानव शरीर में मौजूद कोशिकाओं कीसतह पर मौजूद एंजियोस्टीन कनर्विटिंग एंजाइम 2 रिसेप्टर नामक प्रोटीन से जुड़ जाती हैं। इनके जरिए यह वायरस मानव कोशिकाओं में दाखिल होता है। 

ओमिक्रॉन के स्पाइक प्रोटीन में 37 प्रकार के म्यूटेशन हुए हैं। इनमें कोर वायरस के शुरुआती स्वरूप के मुकाबले मानव कोशिकाओं को पकड़ने की क्षमता 2.4 गुना ज्यादा है। इसलिए यह तेजी से फैल रहा है। 

वैज्ञानिकों ने दो सूडो-वायरस बनाए 

अध्ययन के दौरान वैज्ञानिकों ने शुरुआती वायरस का सूडो – वायरस विकसित किया जो खुद की कॉपी नहीं कर सकता। इस पर स्पाइक प्रोटीन विकसित किया गया। एक और सूडो-वायरस भी बनाया जो ओमिक्रॉन के स्पाइक-प्रोटीन से युक्त था। इसके बाद कोरोना के शुरूआती वेरिएंट से संक्रमित होकर ठीक हुए व टीके ले चुके और संक्रमित होकर टीके ले चुके लोगों से एंटीबॉडीज लीं। इनका ओमिक्रॉन संक्रमण रोकने में असर मापा गया।

सावधान करने वाले नतीजे 

  • संक्रमण के बाद ठीक हुए और टीके की 1 डोज ले चुके लोगों की प्रतिरोधक क्षमता बाकियों से कमजोर रही। 
  • संक्रमण से ठीक हुए और टीके की 2 डोज ले चुके लोगों में सबसे कम संक्रमण हुआ, बचाव क्षमता बेहतर रही। यानी टीका लेना फायदेमंद रहा है।

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