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पाकिस्तान : पीपीपी नेता रब्बानी ने इमरान सरकार से पूछा- सीमाएं नहीं मानने वाले तालिबान की मदद में जल्दबाजी क्यों

सार

पाकिस्तान सीनेट के पूर्व अध्यक्ष और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के वरिष्ठ नेता रजा रब्बानी ने इमरान खान नेतृत्व वाली सरकार से सवाल किया कि जब अफगानिस्तान का तालिबान पाकिस्तान के साथ लगती सीमा को मान्यता देने के लिए तैयार नहीं है, तो ऐसे में उसकी मदद करने की क्या जल्दी है।

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पाकिस्तान सीनेट के पूर्व अध्यक्ष और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के वरिष्ठ नेता रजा रब्बानी ने इमरान खान नेतृत्व वाली सरकार से सवाल किया कि जब अफगानिस्तान का तालिबान पाकिस्तान के साथ लगती सीमा को मान्यता देने के लिए तैयार नहीं है, तो ऐसे में उसकी मदद करने की क्या जल्दी है।

पीपीपी नेता ने इमरान खान के नेतृत्व वाली सरकार से किए अफगानिस्तान को लेकर सवाल
दरअसल, अफगानिस्तान के रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता इनायतुल्ला ख्वारजमी ने बुधवार को कहा था कि तालिबान बलों ने पाकिस्तानी सेना को पूर्वी प्रांत नंगरहार के पास सीमा पर ‘अवैध’ तारबंदी से रोक दिया है। इस मुद्दे पर अब तक पाकिस्तान सरकार की ओर से किसी ने औपचारिक रूप से कोई बयान जारी नहीं किया है।

पूर्व में अमेरिका समर्थित शासन समेत अफगानिस्तान की सरकार का सीमा (डूरंड रेखा) पर विवाद रहा है और यह ऐतिहासिक रूप से दोनों पड़ोसियों के बीच एक विवादास्पद मुद्दा बना हुआ है। रब्बानी ने मांग की कि विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी को इस घटना पर संसद को भरोसे में लेना चाहिए। उन्होंने स्थानीय मीडिया में आई उन खबरों पर भी आगाह किया कि ‘पाकिस्तान में आतंकवाद को बढ़ावा देने के मकसद से प्रतिबंधित संगठन ‘टीटीपी’ अफगानिस्तान में फिर से संगठित होने की कोशिश कर रहा है।
 

पाक पीएम इमरान खान को दक्षेस शिखर सम्मेलन की मेजबानी की उम्मीद

प्रधानमंत्री इमरान खान ने शुक्रवार को उम्मीद जताई कि उनका देश लंबे समय से चल रहे सार्क शिखर सम्मेलन की मेजबानी करेगा, जिसके चलते इसके रास्ते में बनी कृत्रिम बाधा को दूर किया जाएगा।
 

विदेश कार्यालय के अनुसार, इमरान खान ने दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सार्क) के महासचिव एसाला रुवान वीराकून के साथ शिष्टाचार भेंट के दौरान यह टिप्पणी की। प्रधानमंत्री ने पाकिस्तान में सार्क शिखर सम्मेलन की मेजबानी करने की आशा व्यक्त की, इसके रास्ते में बनाई गई कृत्रिम बाधा को भी हटाया जाएगा।
 

सार्क जिसमें अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, भारत, मालदीव, नेपाल, पाकिस्तान और श्रीलंका का एक क्षेत्रीय समूह है। सार्क क्षेत्रीय समूह 2016 से बहुत प्रभावी नहीं रहा है क्योंकि 2014 में काठमांडू में पिछले एक के बाद से इसका द्विवार्षिक शिखर सम्मेलन नहीं हुआ है।
 

विस्तार

पाकिस्तान सीनेट के पूर्व अध्यक्ष और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के वरिष्ठ नेता रजा रब्बानी ने इमरान खान नेतृत्व वाली सरकार से सवाल किया कि जब अफगानिस्तान का तालिबान पाकिस्तान के साथ लगती सीमा को मान्यता देने के लिए तैयार नहीं है, तो ऐसे में उसकी मदद करने की क्या जल्दी है।

पीपीपी नेता ने इमरान खान के नेतृत्व वाली सरकार से किए अफगानिस्तान को लेकर सवाल

दरअसल, अफगानिस्तान के रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता इनायतुल्ला ख्वारजमी ने बुधवार को कहा था कि तालिबान बलों ने पाकिस्तानी सेना को पूर्वी प्रांत नंगरहार के पास सीमा पर ‘अवैध’ तारबंदी से रोक दिया है। इस मुद्दे पर अब तक पाकिस्तान सरकार की ओर से किसी ने औपचारिक रूप से कोई बयान जारी नहीं किया है।

पूर्व में अमेरिका समर्थित शासन समेत अफगानिस्तान की सरकार का सीमा (डूरंड रेखा) पर विवाद रहा है और यह ऐतिहासिक रूप से दोनों पड़ोसियों के बीच एक विवादास्पद मुद्दा बना हुआ है। रब्बानी ने मांग की कि विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी को इस घटना पर संसद को भरोसे में लेना चाहिए। उन्होंने स्थानीय मीडिया में आई उन खबरों पर भी आगाह किया कि ‘पाकिस्तान में आतंकवाद को बढ़ावा देने के मकसद से प्रतिबंधित संगठन ‘टीटीपी’ अफगानिस्तान में फिर से संगठित होने की कोशिश कर रहा है।

 

पाक पीएम इमरान खान को दक्षेस शिखर सम्मेलन की मेजबानी की उम्मीद

प्रधानमंत्री इमरान खान ने शुक्रवार को उम्मीद जताई कि उनका देश लंबे समय से चल रहे सार्क शिखर सम्मेलन की मेजबानी करेगा, जिसके चलते इसके रास्ते में बनी कृत्रिम बाधा को दूर किया जाएगा।

 

विदेश कार्यालय के अनुसार, इमरान खान ने दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सार्क) के महासचिव एसाला रुवान वीराकून के साथ शिष्टाचार भेंट के दौरान यह टिप्पणी की। प्रधानमंत्री ने पाकिस्तान में सार्क शिखर सम्मेलन की मेजबानी करने की आशा व्यक्त की, इसके रास्ते में बनाई गई कृत्रिम बाधा को भी हटाया जाएगा।

 

सार्क जिसमें अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, भारत, मालदीव, नेपाल, पाकिस्तान और श्रीलंका का एक क्षेत्रीय समूह है। सार्क क्षेत्रीय समूह 2016 से बहुत प्रभावी नहीं रहा है क्योंकि 2014 में काठमांडू में पिछले एक के बाद से इसका द्विवार्षिक शिखर सम्मेलन नहीं हुआ है।

 

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