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पाकिस्तान: टीटीपी से वार्ता पर घिरी इमरान सरकार, विपक्ष ने उठाए सवाल

एजेंसी, इस्लामाबाद।
Published by: देव कश्यप
Updated Fri, 12 Nov 2021 01:17 AM IST

सार

पाकिस्तानी उच्च सदन (सीनेट) के पूर्व अध्यक्ष और पीपीपी के नेता मियां रजा रब्बानी ने भड़कते हुए कहा कि टीटीपी से वार्ता का फैसला संसद में लिया जाना था। यदि संसद की इसी तरह तौहीन करनी है तो क्यों न संसद पर ताला लगा दिया जाए।

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पाक में 2007 से सक्रिय तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) अब तक देश में सैकड़ों की जान ले चुका है लेकिन इमरान सरकार ने उसके आगे समर्पण करते हुए बातचीत का रास्ता अपनाया है। इसे लेकर पेशावर आर्मी स्कूल के मामले में सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश से फटकार खाने के बाद विपक्ष ने भी इमरान सरकार को संसद में आड़े हाथों लेते हुए घेराबंदी बढ़ा दी है।

पाकिस्तानी उच्च सदन (सीनेट) के पूर्व अध्यक्ष और पीपीपी के नेता मियां रजा रब्बानी ने भड़कते हुए कहा कि टीटीपी से वार्ता का फैसला संसद में लिया जाना था। यदि संसद की इसी तरह तौहीन करनी है तो क्यों न संसद पर ताला लगा दिया जाए। बिलावल भुट्टो जरदारी ने इस मुद्दे पर विरोध जताते हुए संसद तक रैलियां आयोजित करने की चेतावनी दी है।

पाकिस्तान मुस्लिम लीग – नवाज (पीएमएल-एन) के अध्यक्ष शहबाज शरीफ ने इमरान सरकार के इस फैसले को टीटीपी आतंकवादियों के आगे आत्मसमर्पण करार दिया। इस बीच, राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर सरकार द्वारा बुलाई गई एक बैठक में सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा ने सभी पार्टियों को अहम जानकारी दी जबकि इसमें पीएम इमरान खान मौजूद नहीं रहे। विपक्षी नेताओं ने कहा है कि वे इस मुद्दे पर सरकार को किसी भी सूरत में बख्शने वाले नहीं हैं।

वैश्विक चिंता का कारण बनेगा टीएलपी पर से प्रतिबंध हटाना 
पाकिस्तान सरकार टीटीपी के अलावा तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (टीएलपी) के साथ भी बातचीत कर रही है। इसे विश्लेषकों ने इमरान सरकार की अस्पष्ट नीति बताते हुए कहा है कि यह जल्द ही वैश्विक चिंता का कारण बनेगी। डॉन अखबार ने कहा है कि इमरान सरकार के कामकाज में भ्रम और उथल-पुथल जारी है। टीएलपी पर जारी प्रतिबंध हटने से विदेशों में पाक की छवि धूमिल होगी क्योंकि इस संगठन के कार्यकर्ता फ्रांसीसी राजदूत को हटाने की मांग कर रहे थे। इसका सीधा असर पाकिस्तान की विदेश नीति पर पड़ना तय है।

पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट में बोले इमरान- कोई दूध का धुला नहीं
पेशावर में 16 दिसंबर 2014 को आर्मी पब्लिक स्कूल पर हुए टीटीपी हमले की सुनवाई करते हुए पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने इस मामले में उठाए गए कदमों को लेकर सीधे पीएम इमरान खान को तलब कर लिया। जियो न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक, इमरान ने शीर्ष अदालत में पेश होकर मुख्य न्यायाधीश गुलजार अहमद के सवालों का जवाब दिया। उन्होंने बुधवार को कोर्ट से कहा कि पाक में कोई दूध का धुला नहीं है। इससे पहले चीफ जस्टिस ने पेशावर स्कूल हमले में 140 से ज्यादा लोगों के मारे जाने के बाद पीड़ितों के परिजनों की शिकायतों का निवारण करने के बारे में सरकार द्वारा उठाए गए कदमों के बारे में पूछा। अहमद ने कहा, मारे गए बच्चों के माता-पिता मुआवजा नहीं मांग रहे बल्कि जानना चाहते हैं कि उस दिन पूरा सुरक्षा तंत्र कहां था। उन्होंने हिदायत दी कि मामले की पारदर्शी जांच होनी चाहिए।

तालिबान से अमेरिकी हथियार खरीदेगा पाक
आतंक की फैक्टरी चलाने वाला पाकिस्तान आतंकवादियों के डर से इन दिनों अफगानिस्तान में तालिबान द्वारा कब्जे में लिए गए अमेरिकी हथियार खरीदने जा रहा है। द एक्सप्रेस ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिकी सेना जब अफगानिस्तान छोड़कर लौटी तो उसके कई हथियारों पर तालिबान ने पहुंच बना ली। ये हथियार अब तालिबान सरकार पाकिस्तान को सप्लाई करने जा रही है। हालांकि अमेरिकी रक्षा मंत्रालय ने कहा था कि उसकी सैन्य वापसी से पहले वह उन्नत हथियार निष्क्रिय कर चुका था लेकिन अब भी तालिबान के पास बड़ी मात्रा में अमेरिकी हथियार मौजूद हैं जिन्हें दुकानों पर खुलेतौर पर बेचा जा रहा है।

विस्तार

पाक में 2007 से सक्रिय तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) अब तक देश में सैकड़ों की जान ले चुका है लेकिन इमरान सरकार ने उसके आगे समर्पण करते हुए बातचीत का रास्ता अपनाया है। इसे लेकर पेशावर आर्मी स्कूल के मामले में सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश से फटकार खाने के बाद विपक्ष ने भी इमरान सरकार को संसद में आड़े हाथों लेते हुए घेराबंदी बढ़ा दी है।

पाकिस्तानी उच्च सदन (सीनेट) के पूर्व अध्यक्ष और पीपीपी के नेता मियां रजा रब्बानी ने भड़कते हुए कहा कि टीटीपी से वार्ता का फैसला संसद में लिया जाना था। यदि संसद की इसी तरह तौहीन करनी है तो क्यों न संसद पर ताला लगा दिया जाए। बिलावल भुट्टो जरदारी ने इस मुद्दे पर विरोध जताते हुए संसद तक रैलियां आयोजित करने की चेतावनी दी है।

पाकिस्तान मुस्लिम लीग – नवाज (पीएमएल-एन) के अध्यक्ष शहबाज शरीफ ने इमरान सरकार के इस फैसले को टीटीपी आतंकवादियों के आगे आत्मसमर्पण करार दिया। इस बीच, राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर सरकार द्वारा बुलाई गई एक बैठक में सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा ने सभी पार्टियों को अहम जानकारी दी जबकि इसमें पीएम इमरान खान मौजूद नहीं रहे। विपक्षी नेताओं ने कहा है कि वे इस मुद्दे पर सरकार को किसी भी सूरत में बख्शने वाले नहीं हैं।

वैश्विक चिंता का कारण बनेगा टीएलपी पर से प्रतिबंध हटाना 

पाकिस्तान सरकार टीटीपी के अलावा तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (टीएलपी) के साथ भी बातचीत कर रही है। इसे विश्लेषकों ने इमरान सरकार की अस्पष्ट नीति बताते हुए कहा है कि यह जल्द ही वैश्विक चिंता का कारण बनेगी। डॉन अखबार ने कहा है कि इमरान सरकार के कामकाज में भ्रम और उथल-पुथल जारी है। टीएलपी पर जारी प्रतिबंध हटने से विदेशों में पाक की छवि धूमिल होगी क्योंकि इस संगठन के कार्यकर्ता फ्रांसीसी राजदूत को हटाने की मांग कर रहे थे। इसका सीधा असर पाकिस्तान की विदेश नीति पर पड़ना तय है।

पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट में बोले इमरान- कोई दूध का धुला नहीं

पेशावर में 16 दिसंबर 2014 को आर्मी पब्लिक स्कूल पर हुए टीटीपी हमले की सुनवाई करते हुए पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने इस मामले में उठाए गए कदमों को लेकर सीधे पीएम इमरान खान को तलब कर लिया। जियो न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक, इमरान ने शीर्ष अदालत में पेश होकर मुख्य न्यायाधीश गुलजार अहमद के सवालों का जवाब दिया। उन्होंने बुधवार को कोर्ट से कहा कि पाक में कोई दूध का धुला नहीं है। इससे पहले चीफ जस्टिस ने पेशावर स्कूल हमले में 140 से ज्यादा लोगों के मारे जाने के बाद पीड़ितों के परिजनों की शिकायतों का निवारण करने के बारे में सरकार द्वारा उठाए गए कदमों के बारे में पूछा। अहमद ने कहा, मारे गए बच्चों के माता-पिता मुआवजा नहीं मांग रहे बल्कि जानना चाहते हैं कि उस दिन पूरा सुरक्षा तंत्र कहां था। उन्होंने हिदायत दी कि मामले की पारदर्शी जांच होनी चाहिए।

तालिबान से अमेरिकी हथियार खरीदेगा पाक

आतंक की फैक्टरी चलाने वाला पाकिस्तान आतंकवादियों के डर से इन दिनों अफगानिस्तान में तालिबान द्वारा कब्जे में लिए गए अमेरिकी हथियार खरीदने जा रहा है। द एक्सप्रेस ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिकी सेना जब अफगानिस्तान छोड़कर लौटी तो उसके कई हथियारों पर तालिबान ने पहुंच बना ली। ये हथियार अब तालिबान सरकार पाकिस्तान को सप्लाई करने जा रही है। हालांकि अमेरिकी रक्षा मंत्रालय ने कहा था कि उसकी सैन्य वापसी से पहले वह उन्नत हथियार निष्क्रिय कर चुका था लेकिन अब भी तालिबान के पास बड़ी मात्रा में अमेरिकी हथियार मौजूद हैं जिन्हें दुकानों पर खुलेतौर पर बेचा जा रहा है।

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