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सम्मान: कौन हैं कर्नल सज्जाद अली जहीर, जिनको 50 साल से ढूंढ रहा पाकिस्तान, भारत ने दिया पद्मश्री पुरस्कार

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: Jeet Kumar
Updated Thu, 11 Nov 2021 04:14 AM IST

सार

कर्नल जहीर सियालकोट सेक्टर में तैनात पाकिस्तानी सेना में एक युवा अधिकारी थे और उसके बाद मार्च 1971 में पूर्वी पाकिस्तान में क्रूरता और नरसंहार को देखते हुए भारत में प्रवेश करने में सफल रहे। सीमा पार करते समय उनकी जेब में सिर्फ 20 रुपये थे। 

कर्नल सज्जाद अली जहीर को पद्मश्री पुरस्कार देते हुए राष्ट्रपित रामनाथ कोविंद
– फोटो : twitter

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राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मंगलवार को बांग्लादेशी नागरिक कर्नल काजी सज्जाद अली जहीर को साल 2021 के पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया। कर्नल काजी सज्जाद अली जहीर को सन 1971 के युद्ध नायक के तौर पर जाना जाता है। 

लेफ्टिनेंट कर्नल (सेवानिवृत्त) जहीर 71 साल के हो गए हैं। वह 20 साल की उम्र में पाकिस्तान की योजनाओं के बारे में दस्तावेजों और नक्शों के साथ भारत आए थे। भारत 1971 के बांग्लादेश मुक्ति संग्राम की 50वीं वर्षगांठ मना रहा है।

पाकिस्तानी सेना का अत्याचार देख देश छोड़कर भारत पहुंचे थे
सेना में शामिल होने के बाद कर्नल सज्जाद अली जहीर की नियुक्ति आर्टिलरी कोर (तोपखाना) में हुई थी। उस वक्त पूर्वी पाकिस्तान जो अब बाग्लादेश है, में पाकिस्तानी सेना की ओर से की किए जा रहे बर्बर अत्याचारों को देखकर कर्नल काजी सज्जाद अली जहीर देश छोड़कर भारत पहुंचे थे।

कर्नल काजी सज्जाद अली जहीर ने तब भारतीय सेना से संपर्क स्थापित किया और साल 1971 के युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। तब पाकिस्तानी सेना ने उनके खिलाफ मौत की सजा का वारंट जारी किया था जो आज तक जारी है यानि सीधे शब्दों में कहें तो कर्नल जहीर आज भी पाकिस्तान के लिए वांटेड हैं।

भारत में आते समय जेब में सिर्फ 20 रुपये थे
कर्नल जहीर सियालकोट सेक्टर में तैनात पाकिस्तानी सेना में एक युवा अधिकारी थे और उसके बाद मार्च 1971 में पूर्वी पाकिस्तान में क्रूरता और नरसंहार को देखते हुए भारत में प्रवेश करने में सफल रहे। सीमा पार करते समय उनकी जेब में सिर्फ 20 रुपये थे। 

शुरू में उन पर पाकिस्तानी जासूस होने का संदेह था। एक बार जब वह भारत आए, तो उन्हें पठानकोट ले जाया गया, जहां सैन्य अधिकारियों ने उससे और पाकिस्तानी सेना की तैनाती के बारे में पूछताछ की।

पाकिस्तानी सेना ने इनके घर में लगा दी थी आग
काजी सज्जाद अली जहीर के भारत भागने के बाद बांग्लादेश में उनके घर को पाकिस्तानी सेना आग लगा दी। उनकी मां और बहन को भी पाकिस्तानी सेना ने टॉरगेट किया, लेकिन वो दोनों भागकर सुरक्षित ठिकाने पर पहुंच गईं। कर्नल जहीर 1969 के आखिर में पाकिस्तानी सेना में शामिल हुए थे। तब बांग्लादेश पर भी पाकिस्तान का ही शासन था। पाकिस्तानी सेना की आर्टिलरी कोर (तोपखाना) में शामिल हुए जहीर को ट्रेनिंग के लिए पाकिस्तान के अलग-अलग हिस्सों में भेजा गया।

विस्तार

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मंगलवार को बांग्लादेशी नागरिक कर्नल काजी सज्जाद अली जहीर को साल 2021 के पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया। कर्नल काजी सज्जाद अली जहीर को सन 1971 के युद्ध नायक के तौर पर जाना जाता है। 

लेफ्टिनेंट कर्नल (सेवानिवृत्त) जहीर 71 साल के हो गए हैं। वह 20 साल की उम्र में पाकिस्तान की योजनाओं के बारे में दस्तावेजों और नक्शों के साथ भारत आए थे। भारत 1971 के बांग्लादेश मुक्ति संग्राम की 50वीं वर्षगांठ मना रहा है।

पाकिस्तानी सेना का अत्याचार देख देश छोड़कर भारत पहुंचे थे

सेना में शामिल होने के बाद कर्नल सज्जाद अली जहीर की नियुक्ति आर्टिलरी कोर (तोपखाना) में हुई थी। उस वक्त पूर्वी पाकिस्तान जो अब बाग्लादेश है, में पाकिस्तानी सेना की ओर से की किए जा रहे बर्बर अत्याचारों को देखकर कर्नल काजी सज्जाद अली जहीर देश छोड़कर भारत पहुंचे थे।

कर्नल काजी सज्जाद अली जहीर ने तब भारतीय सेना से संपर्क स्थापित किया और साल 1971 के युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। तब पाकिस्तानी सेना ने उनके खिलाफ मौत की सजा का वारंट जारी किया था जो आज तक जारी है यानि सीधे शब्दों में कहें तो कर्नल जहीर आज भी पाकिस्तान के लिए वांटेड हैं।

भारत में आते समय जेब में सिर्फ 20 रुपये थे

कर्नल जहीर सियालकोट सेक्टर में तैनात पाकिस्तानी सेना में एक युवा अधिकारी थे और उसके बाद मार्च 1971 में पूर्वी पाकिस्तान में क्रूरता और नरसंहार को देखते हुए भारत में प्रवेश करने में सफल रहे। सीमा पार करते समय उनकी जेब में सिर्फ 20 रुपये थे। 

शुरू में उन पर पाकिस्तानी जासूस होने का संदेह था। एक बार जब वह भारत आए, तो उन्हें पठानकोट ले जाया गया, जहां सैन्य अधिकारियों ने उससे और पाकिस्तानी सेना की तैनाती के बारे में पूछताछ की।

पाकिस्तानी सेना ने इनके घर में लगा दी थी आग

काजी सज्जाद अली जहीर के भारत भागने के बाद बांग्लादेश में उनके घर को पाकिस्तानी सेना आग लगा दी। उनकी मां और बहन को भी पाकिस्तानी सेना ने टॉरगेट किया, लेकिन वो दोनों भागकर सुरक्षित ठिकाने पर पहुंच गईं। कर्नल जहीर 1969 के आखिर में पाकिस्तानी सेना में शामिल हुए थे। तब बांग्लादेश पर भी पाकिस्तान का ही शासन था। पाकिस्तानी सेना की आर्टिलरी कोर (तोपखाना) में शामिल हुए जहीर को ट्रेनिंग के लिए पाकिस्तान के अलग-अलग हिस्सों में भेजा गया।

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