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ग्लासगो : जलवायु परिवर्तन से निपटने को साथ आए अमेरिका-चीन, इन प्रमुख मुद्दों पर बनी सहमति

स्कॉटलैंड के ग्लासगो शहर में संयुक्त राष्ट्र द्वारा आयोजित सीओपी-26 शिखर सम्मेलन के अंतिम चरण में अमेरिका और चीन ने जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए एक-दूसरे के साथ सहयोग की प्रतिबद्धता जताई है।

दुनिया की दोनों बड़ी महाशक्तियां जलवायु परिवर्तन पर 2015 के पेरिस समझौते के दिशा निर्देशों पर आधारित एक साझा बयान में अपनी कोशिशों का खाका पेश करने पर सहमत हो गई हैं।

अमेरिका और चीन के दूतों ने कहा कि वे जलवायु परिवर्तन संबंधी समस्याओं पर काम करने के लिए अन्य मतभेदों को अलग रखने पर सहमत हो गए हैं। संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंतोनियो गुटेरस ने अमेरिका-चीन समझौते का स्वागत किया है।

बीजिंग के जलवायु दूत शी झेंहुआ ने कहा, दोनों देश मानते हैं कि मौजूदा प्रयास और पेरिस समझौते के लक्ष्यों के बीच एक अंतर है, इसलिए हम साथ में जलवायु परिवर्तन से निबटने पर काम करेंगे। वहीं अमेरिका के विशेष दूत जॉन केरी के मुताबिक, समझौते को लेकर जारी दस्तावेज में मीथेन उत्सर्जन को घटाने की बात कही है।

साथ ही कहा गया है कि जलवायु संकट को दूर करने के लिए दोनों पक्ष नियमित रूप से मिलेंगे। घोषणा में कहा गया है कि दोनों देश जलवायु संकट की गंभीरता को जानते हैं, इसलिए इस समस्या के समाधान को लेकर हर प्रयास करेंगे।

चीन-अमेरिका सबसे बड़े कार्बन उत्सर्जक
चीन और अमेरिका दुनिया के दो सबसे बड़े कार्बन उत्सर्जक हैं। यह कुल कार्बन प्रदूषण का लगभग 40 प्रतिशत हिस्सा है। अमेरिका कार्बन प्रदूषण को कम करने के लिए पहले से ही अपनी प्रतिबद्धता जता चुका है। वह साल 2050 तक कार्बन के उत्सर्जन को न्यूनतन स्तर पर करने की योजना बना रहा है। वहीं चीन ने साल 2060 से पहले शून्य उत्सर्जन तक पहुंचने की अपनी मंशा जताई है।

जलवायु वित्त दान नहीं, यह एक दायित्व, जिम्मेदारी, कर्तव्य और प्रतिज्ञा है : भूपेंद्र 
भारत के पर्यावरण व जलवायु मंत्री भूपेंद्र यादव का कहना है कि विकासशील देशों को जलवायु वित्त प्रदान करना अमीर देशों का एक दायित्व, जिम्मेदारी, कर्तव्य और एक प्रतिज्ञा है। उन्हें 100 अरब डॉलर वार्षिक जुटाने का अधूरा वादा पूरा करना चाहिए।

भूपेंद्र यादव ने एक इंटरव्यू में कहा कि सीओपी-26 को सफल बनाने के लिए वित्त की कमियों को दूर करना सर्वोपरि है। इसकी सबसे बड़ी जिम्मेदारी विकसित देशों पर है। क्योंकि अगर कोई मतभेद बाकी है तो वह जलवायु वित्त के लिए कार्रवाई को लेकर है। यादव शुक्रवार को खत्म होने वाले इस दो सप्ताह के सम्मेलन में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे हैं। 

सऊदी अरब का जलवायु वार्ता में बाधक की भूमिका से इनकार
संयुक्त राष्ट्र जलवायु वार्ता में सऊदी अरब द्वारा अप्रत्यक्ष रूप से बाधा डालने के बार-बार लग रहे आरोपों पर देश के ऊर्जा मंत्री ने आश्चर्य जताया है। वार्ता में शहजादा अब्दुलअजीज बिन सलमान अल सऊद उन पत्रकारों से बात रहे थे जो उन आरोपों पर प्रतिक्रिया का दबाव डाल रहे थे कि सऊदी अरब के वार्ताकार जलवायु संबंधी उन कदमों को अवरुद्ध करने के लिए काम कर रहे हैं जिससे तेल की मांग को खतरा हो सकता है।

शहजादा ने कहा, यह गलत है क्योंकि हम अच्छे से काम कर रहे हैं। हम जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए 200 देशों के वार्ताकारों के साथ काम कर रहे हैं। उन्होंने बाधक की भूमिका से इनकार किया। 

इन प्रमुख मुद्दों पर सहमति
1. समझौते के तहत मीथेन उत्सर्जन को हर हाल में कम किया जाएगा 
2. दोनों देश अपने-अपने क्षेत्र में हो रही कोशिशों का खाका पेश करेंगे
3. जलवायु संकट घटाने को नियमित बैठकें करेंगे चीनी-अमेरिकी अफसर
4. कार्बन उत्सर्जन घटाने को लेकर एक-दूसरे से साझा करेंगे दस्तावेज

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