एजेंसी, स्टॉकहोम।
Published by: देव कश्यप
Updated Fri, 24 Dec 2021 12:43 AM IST
सार
जिन लोगों ने इस माइक्रोचिप का इंप्लांट कराया है उन्होंने इसमें बिजनेस कार्ड और सार्वजनिक यातायात कार्ड जैसी कई जानकारियां डलवाई हैं।
माइक्रोचिप (सांकेतिक तस्वीर)
– फोटो : सोशल मीडिया
स्वीडन में डिसरप्टिव सब-डर्मल्स कंपनी एक ऐसी माइक्रोचिप बना रही है जिसमें कोई भी अपना निजी डाटा सुरक्षित कर शरीर में इंप्लांट करा सकता है। चिप में निजी डाटा को अनलॉक करने के कोड भी डाला जा सकता है। इस माइक्रोचिप का अभी बड़े स्तर पर इस्तेमाल शुरू नहीं हुआ है लेकिन हजारों लोग इसे इंप्लांट करा चुके हैं।
जिन लोगों ने इस माइक्रोचिप का इंप्लांट कराया है उन्होंने इसमें बिजनेस कार्ड और सार्वजनिक यातायात कार्ड जैसी कई जानकारियां डलवाई हैं। चिप को इंप्लांट करा चुकी स्टॉकहोम निवासी अमैंडा बैक ने बताया, मुझे लगता है कि इस तरीके से मेरा अपने डाटा पर पूरा नियंत्रण बन गया है क्योंकि स्वीडन में बड़ी संख्या में बायोहैकर मेरे डाटा से छेड़छाड़ कर सकते थे।
कंपनी के प्रबंध संचालक हैंस सोबलाद ने भी अपने हाथ में एक चिप इंप्लांट कराई हुई है। उन्होंने बताया कि इसमें मैंने अपना कोविड पासपोर्ट भी डलवा दिया है ताकि जब चाहूं उस तक पहुंच सकूं। सोबलाद ने अपने फोन पर अपने वैक्सीन प्रमाणपत्र का पीडीएफ खुलते हुए भी दिखाया। उन्होंने बताया कि इस चिप को इंप्लांट कराने का कुल खर्च 100 यूरो (करीब 8,500 रुपये) है।
हैल्थ वेयरेबल से ज्यादा टिकाऊ
इन दिनों हैल्थ वेयरेबल व रिस्ट वेयरेबल का इस्तेमाल बढ़ा है। जबकि चिप इंप्लांटेशन इससे काफी सस्ता है। वेयरेबल का इस्तेमाल सिर्फ तीन से चार साल तक हो सकता है जबकि एक चिप इंप्लांट का लाभ 20, 30 और 40 सालों तक लिया जा सकता है। कंपनी के एमडी हैंस सोबलाद ने कहा, कई लोग चिप इंप्लांट को एक डरावनी या सर्विलांस तकनीक समझते हैं, लेकिन यह वास्तव में पहचान के टैग की तरह है।
स्मार्टफोन से छूते ही शुरू होता है काम
शरीर में लगी माइक्रोचिप में कोई बैटरी नहीं होती है। ये खुद कोई सिग्नल नहीं भेज सकती है। ये अपना इस्तेमाल करने वाले शख्स की लोकेशन तक नहीं बता सकते। हकीकत में ये चिप सोई रहती है व स्मार्टफोन से इनको छूने पर ही जागृत होती है। यह कई मामलों में काफी उपयोगी साबित हो सकती है।
विस्तार
स्वीडन में डिसरप्टिव सब-डर्मल्स कंपनी एक ऐसी माइक्रोचिप बना रही है जिसमें कोई भी अपना निजी डाटा सुरक्षित कर शरीर में इंप्लांट करा सकता है। चिप में निजी डाटा को अनलॉक करने के कोड भी डाला जा सकता है। इस माइक्रोचिप का अभी बड़े स्तर पर इस्तेमाल शुरू नहीं हुआ है लेकिन हजारों लोग इसे इंप्लांट करा चुके हैं।
जिन लोगों ने इस माइक्रोचिप का इंप्लांट कराया है उन्होंने इसमें बिजनेस कार्ड और सार्वजनिक यातायात कार्ड जैसी कई जानकारियां डलवाई हैं। चिप को इंप्लांट करा चुकी स्टॉकहोम निवासी अमैंडा बैक ने बताया, मुझे लगता है कि इस तरीके से मेरा अपने डाटा पर पूरा नियंत्रण बन गया है क्योंकि स्वीडन में बड़ी संख्या में बायोहैकर मेरे डाटा से छेड़छाड़ कर सकते थे।
कंपनी के प्रबंध संचालक हैंस सोबलाद ने भी अपने हाथ में एक चिप इंप्लांट कराई हुई है। उन्होंने बताया कि इसमें मैंने अपना कोविड पासपोर्ट भी डलवा दिया है ताकि जब चाहूं उस तक पहुंच सकूं। सोबलाद ने अपने फोन पर अपने वैक्सीन प्रमाणपत्र का पीडीएफ खुलते हुए भी दिखाया। उन्होंने बताया कि इस चिप को इंप्लांट कराने का कुल खर्च 100 यूरो (करीब 8,500 रुपये) है।
हैल्थ वेयरेबल से ज्यादा टिकाऊ
इन दिनों हैल्थ वेयरेबल व रिस्ट वेयरेबल का इस्तेमाल बढ़ा है। जबकि चिप इंप्लांटेशन इससे काफी सस्ता है। वेयरेबल का इस्तेमाल सिर्फ तीन से चार साल तक हो सकता है जबकि एक चिप इंप्लांट का लाभ 20, 30 और 40 सालों तक लिया जा सकता है। कंपनी के एमडी हैंस सोबलाद ने कहा, कई लोग चिप इंप्लांट को एक डरावनी या सर्विलांस तकनीक समझते हैं, लेकिन यह वास्तव में पहचान के टैग की तरह है।
स्मार्टफोन से छूते ही शुरू होता है काम
शरीर में लगी माइक्रोचिप में कोई बैटरी नहीं होती है। ये खुद कोई सिग्नल नहीं भेज सकती है। ये अपना इस्तेमाल करने वाले शख्स की लोकेशन तक नहीं बता सकते। हकीकत में ये चिप सोई रहती है व स्मार्टफोन से इनको छूने पर ही जागृत होती है। यह कई मामलों में काफी उपयोगी साबित हो सकती है।
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