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दक्षिण कोरिया: चुनाव में गरमा रहा है ‘अमेरिका बनाम चीन’ का मुद्दा, यूएस मिसाइल सिस्टम से भी दिक्कत

वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, सिओल
Published by: Harendra Chaudhary
Updated Thu, 11 Nov 2021 06:42 PM IST

सार

दक्षिण कोरिया में अमेरिका के टर्मिनल हाई एल्टीटयूड एरिया डिफेंस (थाड) नाम का मिसाइल डिफेंस सिस्टम तैनात है। चीन इसे अपने लिए खतरा समझता है। इसलिए ली के इस बयान को पर्यवेक्षकों ने चीन के प्रति उनके नरम रुख का संकेत माना है…

थाड के खिलाफ प्रदर्शन
– फोटो : Agency (File Photo)

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दक्षिण कोरिया में अगले साल होने वाले राष्ट्रपति चुनाव के लिए सत्ताधारी दल के उम्मीदवार ने दो टूक एलान किया है कि वे अमेरिका और जापान के साथ मिल कर त्रिगुट बनाने के पक्ष में नहीं हैं। उन्होंने जापान की कड़ी आलोचना की और ये पूछा कि क्या वह एक ‘भरोसेमंद दोस्त’ हो सकता है। सत्ताधारी डेमोक्रेटिक पार्टी ने ली जाये-मयुंग को अपना राष्ट्रपति उम्मीदवार चुना है। ली ने कहा कि वे इस पक्ष में भी नहीं हैं कि दक्षिण कोरिया की जमीन पर और अधिक संख्या में अमेरिकी मिसाइल सिस्टम लगाए जाएं।

थाड से चीन को दिक्कत

दक्षिण कोरिया में अमेरिका के टर्मिनल हाई एल्टीटयूड एरिया डिफेंस (थाड) नाम का मिसाइल डिफेंस सिस्टम तैनात है। चीन इसे अपने लिए खतरा समझता है। इसलिए ली के इस बयान को पर्यवेक्षकों ने चीन के प्रति उनके नरम रुख का संकेत माना है। उन्होंने कहा है कि इसका एक कारण जापान के प्रति ली का सख्त रुख भी है। ली ने कहा- ‘क्या जापान एक दोस्त देश है, जिस पर भरोसा किया जाए?’ उन्होंने इसका जिक्र किया कि जापान लगातार दक्षिण कोरिया के इलाकों पर अपना दावा जता रहा है।

दोनों देशों के बीच डोकडो द्वीपों को लेकर तनाव है। दक्षिण कोरिया उन्हें अपना क्षेत्र समझता है। जबकि उन पर जापान का भी दावा है, जो इन्हें ताकेशिमा द्वीप कहता है। थाड सिस्टम के बारे में ली ने कहा- ‘मैं इस बात से पूरी तरह सहमत नहीं हूं कि इनकी तैनाती से दक्षिण कोरिया के राष्ट्रीय हित सधेंगे या इनकी वजह से इस क्षेत्र में स्थिरता आएगी।’ ली जाये-मयूंग ने कहा कि अमेरिका दक्षिण कोरिया का निकट सहयोगी है। उन्होंने कहा- ‘लेकिन अगर हमने चीन से मुंह मोड़ लिया, तो यह खतरनाक बात होगी।’

हांगकांग के अखबार साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट के मुताबिक ली की ये टिप्पणी इस बात का संकेत है कि अगर अगले मार्च में होने वाले चुनाव में वे जीते, तो वे नए थाड सिस्टम ना लगाने की वर्तमान राष्ट्रपति मून जाये-इन की नीति को जारी रखेंगे। थाड सिस्टम को सबसे पहले 2016 में दक्षिण कोरिया में लगाया गया था। उस समय कंजरवेटिव पीपुल्स पॉवर पार्टी की पार्क गियुन-हे राष्ट्रपति थीं। पार्क अभी भ्रष्टाचार के आरोप में जेल में हैं।

जनमत सर्वेक्षणों में यून की ली पर बढ़त

अगले चुनाव के लिए पीपुल्स पॉवर पार्टी ने पूर्व लोक अभियोजक यून सिओक-योउल को अपना उम्मीदवार चुना है। अभी तक जारी हुए चुनाव पूर्व जनमत सर्वेक्षणों में यून को ली पर बढ़त मिली हुई है। यून को चीन विरोधी समझा जाता है। बीते जुलाई में उन्होंने मांग की थी कि इसके पहले की चीन थाड सिस्टम हटाने की बात करे, उसे दक्षिण कोरिया की सीमा पर तैनात अपने रडार को हटा लेना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा था कि दक्षिण कोरिया के सुरक्षा और कूटनीतिक हित पूरी तरह अमेरिका से जुड़े हुए हैं। यून के उस बयान पर चीन ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की थी।

दक्षिण कोरिया के कूकमिन यूनिवर्सिटी में राजनीति शास्त्र के प्रोफेसर ली वोन-दियोग ने साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट से कहा कि ली के ताजा बयान से जापान से दक्षिण कोरिया के संबंध सुधारने की प्रक्रिया पर खराब असर पड़ सकता है। दोनों देशों के बीच दक्षिण कोरिया की इस मांग को लेकर भी टकराव रहा है कि जापान को उस दौर के पीड़ितों को मुआवजा देना चाहिए, जब जापान ने दक्षिण कोरिया को उपनिवेश बना लिया था। 1910 से 1954 तक दक्षिण कोरिया जापान का उपनिवेश था।

विस्तार

दक्षिण कोरिया में अगले साल होने वाले राष्ट्रपति चुनाव के लिए सत्ताधारी दल के उम्मीदवार ने दो टूक एलान किया है कि वे अमेरिका और जापान के साथ मिल कर त्रिगुट बनाने के पक्ष में नहीं हैं। उन्होंने जापान की कड़ी आलोचना की और ये पूछा कि क्या वह एक ‘भरोसेमंद दोस्त’ हो सकता है। सत्ताधारी डेमोक्रेटिक पार्टी ने ली जाये-मयुंग को अपना राष्ट्रपति उम्मीदवार चुना है। ली ने कहा कि वे इस पक्ष में भी नहीं हैं कि दक्षिण कोरिया की जमीन पर और अधिक संख्या में अमेरिकी मिसाइल सिस्टम लगाए जाएं।

थाड से चीन को दिक्कत

दक्षिण कोरिया में अमेरिका के टर्मिनल हाई एल्टीटयूड एरिया डिफेंस (थाड) नाम का मिसाइल डिफेंस सिस्टम तैनात है। चीन इसे अपने लिए खतरा समझता है। इसलिए ली के इस बयान को पर्यवेक्षकों ने चीन के प्रति उनके नरम रुख का संकेत माना है। उन्होंने कहा है कि इसका एक कारण जापान के प्रति ली का सख्त रुख भी है। ली ने कहा- ‘क्या जापान एक दोस्त देश है, जिस पर भरोसा किया जाए?’ उन्होंने इसका जिक्र किया कि जापान लगातार दक्षिण कोरिया के इलाकों पर अपना दावा जता रहा है।

दोनों देशों के बीच डोकडो द्वीपों को लेकर तनाव है। दक्षिण कोरिया उन्हें अपना क्षेत्र समझता है। जबकि उन पर जापान का भी दावा है, जो इन्हें ताकेशिमा द्वीप कहता है। थाड सिस्टम के बारे में ली ने कहा- ‘मैं इस बात से पूरी तरह सहमत नहीं हूं कि इनकी तैनाती से दक्षिण कोरिया के राष्ट्रीय हित सधेंगे या इनकी वजह से इस क्षेत्र में स्थिरता आएगी।’ ली जाये-मयूंग ने कहा कि अमेरिका दक्षिण कोरिया का निकट सहयोगी है। उन्होंने कहा- ‘लेकिन अगर हमने चीन से मुंह मोड़ लिया, तो यह खतरनाक बात होगी।’

हांगकांग के अखबार साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट के मुताबिक ली की ये टिप्पणी इस बात का संकेत है कि अगर अगले मार्च में होने वाले चुनाव में वे जीते, तो वे नए थाड सिस्टम ना लगाने की वर्तमान राष्ट्रपति मून जाये-इन की नीति को जारी रखेंगे। थाड सिस्टम को सबसे पहले 2016 में दक्षिण कोरिया में लगाया गया था। उस समय कंजरवेटिव पीपुल्स पॉवर पार्टी की पार्क गियुन-हे राष्ट्रपति थीं। पार्क अभी भ्रष्टाचार के आरोप में जेल में हैं।

जनमत सर्वेक्षणों में यून की ली पर बढ़त

अगले चुनाव के लिए पीपुल्स पॉवर पार्टी ने पूर्व लोक अभियोजक यून सिओक-योउल को अपना उम्मीदवार चुना है। अभी तक जारी हुए चुनाव पूर्व जनमत सर्वेक्षणों में यून को ली पर बढ़त मिली हुई है। यून को चीन विरोधी समझा जाता है। बीते जुलाई में उन्होंने मांग की थी कि इसके पहले की चीन थाड सिस्टम हटाने की बात करे, उसे दक्षिण कोरिया की सीमा पर तैनात अपने रडार को हटा लेना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा था कि दक्षिण कोरिया के सुरक्षा और कूटनीतिक हित पूरी तरह अमेरिका से जुड़े हुए हैं। यून के उस बयान पर चीन ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की थी।

दक्षिण कोरिया के कूकमिन यूनिवर्सिटी में राजनीति शास्त्र के प्रोफेसर ली वोन-दियोग ने साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट से कहा कि ली के ताजा बयान से जापान से दक्षिण कोरिया के संबंध सुधारने की प्रक्रिया पर खराब असर पड़ सकता है। दोनों देशों के बीच दक्षिण कोरिया की इस मांग को लेकर भी टकराव रहा है कि जापान को उस दौर के पीड़ितों को मुआवजा देना चाहिए, जब जापान ने दक्षिण कोरिया को उपनिवेश बना लिया था। 1910 से 1954 तक दक्षिण कोरिया जापान का उपनिवेश था।

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