videsh

सीओपी-26 : पहला मसौदा जारी, ग्लोबल वार्मिंग को लेकर दी चेतावनी, धरती का तापमान घटाने पर जोर

संयुक्त राष्ट्र जलवायु वार्ता में वार्ताकार एक ऐसे मसौदा फैसले पर विचार कर रहे हैं जो पहले से ही धरती पर महसूस किए जा रहे ग्लोबल वार्मिंग को लेकर चेतावनी व चिंता उजागर करते हैं। इसमें 2030 तक गर्मी बढ़ाने वाली गैसों के उत्सर्जन में आधे से भी अधिक की कटौती करने की दुनिया से अपेक्षा शामिल है।

स्कॉटलैंड के ग्लासगो शहर में सीओपी-26 संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन में ब्रिटिश मेजबानों ने प्रस्ताव दिया है कि अगले तीन दिनों में बातचीत में शामिल राजनीतिक निर्णय के मसौदे में अगले साल तक ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन के कम करने के लिए सभी देश अपनी महत्वाकांक्षाएं बढ़ाएंगे। यह प्रस्ताव जलवायु विशेषज्ञों और कार्यकर्ताओं की चिंताओं को भी रेखांकित करता है कि मौजूदा प्रतिबद्धताओं और तेजी से उत्सर्जन कटौती के बीच एक बड़ा अंतर है।

इसे पाटना दुनिया को एक एक पूर्ण विकसित जलवायु संकट से उबारने के लिए जरूरी है। संयुक्त राष्ट्र ने पहला मसौदा बुधवार सुबह जारी किया जिसमें 2030 के अंत तक पेरिस समझौते के अनुरूप धरती के तापमान लक्ष्यों को मजबूत करने की प्रतिबद्धता को जरूरी बताया गया है। यह मसौदा बताता है कि 2010 के मुकाबले 2030 तक हमें 45 फीसदी उत्सर्जन कम करना है।

गरीब देशों को मदद की नाकामी स्वीकार की
मसौदे के मुताबिक, दुनिया के देश कोयले से चरणबद्ध ढंग से बाहर निकलें और जीवाश्म ईंधन के लिए सब्सिडी में तेजी लाएं। हालांकि इस में तेल-गैस का उपयोग खत्म करने के बारे में कोई स्पष्ट संदर्भ नहीं है। मसौदे में खेद के साथ यह भी स्वीकार किया गया है कि अमीर देश जलवायु परिवर्तन के शिकार गरीब देशों की मदद करने के लिए 2020 तक हर साल 100 अरब डॉलर की वित्तीय मदद देने की अपनी प्रतिबद्धता को पूरा करने में नाकाम रहे हैं। 

पेरिस समझौते के लक्ष्य न पाना विनाशकारी
दुनिया इस सदी के अंत तक पूर्व-औद्योगिक काल से तापमान में 2.4 डिग्री सेल्सियस वृद्धि होने की राह पर है। यह 2015 के पेरिस जलवायु समझौते की 1.5 डिग्री सेल्सियस की सीमा से बहुत दूर है। इस वार्ता में जलवायु लक्ष्यों को पूरा करने की चुनौती पर प्रकाश डालते हुए ग्लोबल वार्मिंग के प्रति चेताते हुए चिंता जताई गई। बताया गया कि पेरिस समझौतों के लक्ष्यों को हासिल न कर पाना बेहद विनाशकारी है।

जॉनसन ने सभी देशों से बाधाएं दूर करने की अपील की
ब्रिटिश पीएम बोरिस जॉनसन बुधवार को ग्लासगो के जलवायु शिखर सम्मेलन में लौटे और जैसे ही समझौते के तहत पहला मसौदा जारी किया गया, उन्होंने सभी देशों से ‘समस्त बाधाओं को खत्म करने का आह्वान’ किया। इस मसौदे को ‘कवर डिसिजन’ का नाम दिया गया है। वार्ताकारों को उम्मीद है कि यह सीओपी26 वार्ताओं का निष्कर्ष निकलेगा और विकसित देशों को विकासशील देशों की मदद के लिए प्रोत्साहित करेगा।

मसौदा जारी होने के बाद जॉनसन ने कहा, यदि हम तापमान में वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करना चाहते हैं तो सभी बाधाएं दूर करना होंगी। उन्होंने कहा, वार्ताकारों की टीम जलवायु परिवर्तन पर कार्रवाई के सभी वादों को पूरा करने के लिए सीओपी-26 के अंतिम दिनों में एड़ी चोटी का जोर लगाए हुए हैं।

संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम का भारत में स्थापित होगा कार्यालय
केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने बुधवार को ग्लासगो में कहा कि भारत और संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी) ने निकाय का राष्ट्रीय कार्यालय देश में स्थापित करने के लिए एक समझौता किया है। यादव ग्लासगो में जारी 26वें जलवायु सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। उन्होंने इस समझौते के लिए भारत में यूएनईपी की कार्यकारी निदेशक एंडरसन को बधाई दी। इससे पहले यादव ने भूमि बहाली के विषय में विचारों का आदान-प्रदान करने के लिए यूएनसीसीडी के कार्यकारी सचिव इब्राहिम थियाव से मुलाकात भी की।

बेसिक समूह के मंत्रियों ने की मुलाकात
बेसिक (BASIC) ग्रुप का प्रतिनिधित्व करने वाले ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका, भारत और चीन के मंत्रियों ने बुधवार को ग्लासगो में सीओपी26 में मुलाकात की। बैठक की अध्यक्षता भारत के पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने की।

एक संयुक्त बयान में, बेसिक समूह का प्रतिनिधित्व करने वाले ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका, भारत और चीन के मंत्रियों ने कहा कि उन्होंने और अन्य विकासशील देशों ने जलवायु परिवर्तन पर पहला कदम उठाया है और “विकसित देशों से अपेक्षा है कि वे नेतृत्व दिखाएं और प्रयास की समान प्रगति के साथ प्रतिक्रिया दें।”

Source link

Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Most Popular

To Top
%d bloggers like this: