न्यूज डेस्क, अमर उजाला, मुंबई
Published by: सुरेंद्र जोशी
Updated Thu, 14 Apr 2022 10:38 AM IST
सार
प्रथम श्रेणी के कोच पर हिंदी, मराठी, अंग्रेजी व रोमन में भी लिखा था। यह देखकर मन में सवाल आया कि अनपढ़ व्यक्ति इसे कैसे समझेगा कि यह दूसरी श्रेणी का डिब्बा है।
कई बार छोटी-छोटी बातों पर गौर करने से बड़े सकारात्मक बदलाव लाए जा सकते हैं। पश्चिम रेलवे व खासकर मुंबई उपनगरीय रेलवे के नजरिए में छोटा किंतु महत्वपूर्ण बदलाव लाने में मुंबई की 12 साल की बच्ची सफल रही।
मुंबई के अंधेरी उपनगर की रहने वाली कक्षा आठवीं की विद्यार्थी बीते दिनों अपने किसी परिजन के साथ लोकल ट्रेन के प्लेटफॉर्म पर खड़ी थी। तभी उसकी नजर लोकल ट्रेन के दूसरी श्रेणी के डिब्बे पर पड़ी। उस कोच पर रोमन नंबर में सेकंड क्लास (II) लिखा था, जबकि प्रथम श्रेणी के कोच पर हिंदी, मराठी, अंग्रेजी व रोमन नंबर में भी फर्स्ट क्लास लिखा था। यह देखकर उसके मन में सवाल आया कि अनपढ़ व्यक्ति इसे कैसे समझेगा कि यह दूसरी श्रेणी का डिब्बा है। उसने यह सवाल अपने परिजनों से साझा किया।
इसके बाद उसके पिता ने अपने एक मित्र से इस पर बात की। यह मित्र रेलवे सलाहकार समिति के सदस्य थे। उनके जरिए रेलवे के उच्चाधिकारियों तक यह सवाल पहुंचाया गया। आखिरकार मध्य व पश्चिम रेलवे ने दूसरी श्रेणी के कोच पर भी हिंदी के अलावा अन्य भाषाओं में द्वितीय श्रेणी कोच नंबर लिखना शुरू किया। हुमैरा अंधेरी के हंसराज मोरारजी पब्लिक स्कूल की छात्रा है।
पश्चिम रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी सुमित ठाकुर ने कहा है कि हम सकारात्मक सुझावों पर अमल के लिए हमेशा तैयार रहते हैं, ताकि सुधार होते रहें। वहीं, मध्य रेलवे के पीआरओ शिवाजी सुतार ने कहा कि हुमैरा के सुझाव पर अमल किया जा रहा है।
उपनगरी ट्रेनें मुंबई की लाइफ लाइन मानी जाती हैं। इनमें रोजाना लाखों लोग सफर करते हैं। हुमैरा का यह छोटा लेकिन अहम सुझाव लोगों को परेशानी से बचाएगा।
विस्तार
कई बार छोटी-छोटी बातों पर गौर करने से बड़े सकारात्मक बदलाव लाए जा सकते हैं। पश्चिम रेलवे व खासकर मुंबई उपनगरीय रेलवे के नजरिए में छोटा किंतु महत्वपूर्ण बदलाव लाने में मुंबई की 12 साल की बच्ची सफल रही।
मुंबई के अंधेरी उपनगर की रहने वाली कक्षा आठवीं की विद्यार्थी बीते दिनों अपने किसी परिजन के साथ लोकल ट्रेन के प्लेटफॉर्म पर खड़ी थी। तभी उसकी नजर लोकल ट्रेन के दूसरी श्रेणी के डिब्बे पर पड़ी। उस कोच पर रोमन नंबर में सेकंड क्लास (II) लिखा था, जबकि प्रथम श्रेणी के कोच पर हिंदी, मराठी, अंग्रेजी व रोमन नंबर में भी फर्स्ट क्लास लिखा था। यह देखकर उसके मन में सवाल आया कि अनपढ़ व्यक्ति इसे कैसे समझेगा कि यह दूसरी श्रेणी का डिब्बा है। उसने यह सवाल अपने परिजनों से साझा किया।
इसके बाद उसके पिता ने अपने एक मित्र से इस पर बात की। यह मित्र रेलवे सलाहकार समिति के सदस्य थे। उनके जरिए रेलवे के उच्चाधिकारियों तक यह सवाल पहुंचाया गया। आखिरकार मध्य व पश्चिम रेलवे ने दूसरी श्रेणी के कोच पर भी हिंदी के अलावा अन्य भाषाओं में द्वितीय श्रेणी कोच नंबर लिखना शुरू किया। हुमैरा अंधेरी के हंसराज मोरारजी पब्लिक स्कूल की छात्रा है।
पश्चिम रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी सुमित ठाकुर ने कहा है कि हम सकारात्मक सुझावों पर अमल के लिए हमेशा तैयार रहते हैं, ताकि सुधार होते रहें। वहीं, मध्य रेलवे के पीआरओ शिवाजी सुतार ने कहा कि हुमैरा के सुझाव पर अमल किया जा रहा है।
उपनगरी ट्रेनें मुंबई की लाइफ लाइन मानी जाती हैं। इनमें रोजाना लाखों लोग सफर करते हैं। हुमैरा का यह छोटा लेकिन अहम सुझाव लोगों को परेशानी से बचाएगा।
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