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भड़काऊ भाषण मामला: हिंदू युवा वाहिनी के कार्यक्रम में नहीं बोले गए नफरत भरे बोल, दिल्ली पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट में कहा

पीटीआई, नई दिल्ली
Published by: सुरेंद्र जोशी
Updated Thu, 14 Apr 2022 12:54 PM IST

सार

सुप्रीम कोर्ट दिल्ली व हरिद्वार में आयोजित कार्यक्रम के दौरान कथित तौर पर नफरत फैलाने वाले भाषण देने वालों के खिलाफ एसआईटी जांच का निर्देश देने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही है। 

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गत वर्ष दिसंबर में राजधानी दिल्ली व हरिद्वार में आयोजित हिंदू युवा वाहिनी के कार्यक्रम में किसी समुदाय के खिलाफ नफरत भरी बातें (hate speech) नहीं कही गईं। दिल्ली पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट में दायर हलफनामे में यह दावा किया है। 

हलफनामे में कहा गया है कि दिल्ली में हुए एक कार्यक्रम के दौरान किसी भी समुदाय के खिलाफ कोई विशेष शब्द नहीं कहे गए। सुप्रीम कोर्ट दिल्ली व हरिद्वार में आयोजित कार्यक्रम के दौरान कथित तौर पर नफरत फैलाने वाले भाषण देने वालों के खिलाफ एसआईटी जांच और कार्रवाई का निर्देश देने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही है। सुप्रीम कोर्ट में दायर जवाबी हलफनामे में दिल्ली पुलिस ने कहा है कि याचिकाकर्ताओं ने इस संबंध में कार्रवाई के लिए उससे कोई संपर्क नहीं किया और सीधे शीर्ष कोर्ट का रुख किया। इस तरह की परंपरा को खत्म किया जाना चाहिए। 

यह याचिका पत्रकार कुर्बान अली और पटना उच्च न्यायालय की पूर्व जज व वरिष्ठ अधिवक्ता अंजना प्रकाश ने दायर की है। इसमें मांग की गई है कि मुस्लिम समुदाय के खिलाफ की गई नफरतभरी बातों की एक विशेष जांच दल (SIT) गठित कर स्वतंत्र, विश्वसनीय व निष्पक्ष जांच कराई जाए। 

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली पुलिस से जवाब मांगा था
इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली पुलिस से जवाब मांगा था। अपने हलफनामे में दिल्ली पुलिस ने कहा है कि पिछले साल 19 दिसंबर को हिंदू युवा वाहिनी द्वारा आयोजित कार्यक्रम में नफरत भरे भाषण नहीं दिए गए। इस तरह की कुछ शिकायतें प्राप्त हुई थीं और उन सबको मिलाकर एक समग्र जांच शुरू की गई थी।  पुलिस ने कहा कि गहन जांच व कार्यक्रम के वीडियो को देखने के बाद शिकायत में लगाए गए आरोपों की तरह हैट स्पीच के कोई सबूत नहीं मिले। जांच में किसी समुदाय के खिलाफ नफरत भरे भाषण के कोई सबूत नहीं मिले, इसलिए समग्र आकलन के बाद जांच बंद कर दी गई। 

मुस्लिमों के नरसंहार का आह्वान नहीं
दिल्ली पुलिस ने हलफनामे में कहा कि भाषणों में इस तरह के शब्दों का कोई उपयोग नहीं किया गया है, जिनका अर्थ या व्याख्या मुसलमानों के नरसंहार के आह्वान का निकलता हो।  दिल्ली में किसी भी समूह, समुदाय, जातीयता, धर्म या आस्था के खिलाफ उक्त कार्यक्रम में कोई नफरत नहीं व्यक्त की गई थी। 

 

विस्तार

गत वर्ष दिसंबर में राजधानी दिल्ली व हरिद्वार में आयोजित हिंदू युवा वाहिनी के कार्यक्रम में किसी समुदाय के खिलाफ नफरत भरी बातें (hate speech) नहीं कही गईं। दिल्ली पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट में दायर हलफनामे में यह दावा किया है। 

हलफनामे में कहा गया है कि दिल्ली में हुए एक कार्यक्रम के दौरान किसी भी समुदाय के खिलाफ कोई विशेष शब्द नहीं कहे गए। सुप्रीम कोर्ट दिल्ली व हरिद्वार में आयोजित कार्यक्रम के दौरान कथित तौर पर नफरत फैलाने वाले भाषण देने वालों के खिलाफ एसआईटी जांच और कार्रवाई का निर्देश देने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही है। सुप्रीम कोर्ट में दायर जवाबी हलफनामे में दिल्ली पुलिस ने कहा है कि याचिकाकर्ताओं ने इस संबंध में कार्रवाई के लिए उससे कोई संपर्क नहीं किया और सीधे शीर्ष कोर्ट का रुख किया। इस तरह की परंपरा को खत्म किया जाना चाहिए। 

यह याचिका पत्रकार कुर्बान अली और पटना उच्च न्यायालय की पूर्व जज व वरिष्ठ अधिवक्ता अंजना प्रकाश ने दायर की है। इसमें मांग की गई है कि मुस्लिम समुदाय के खिलाफ की गई नफरतभरी बातों की एक विशेष जांच दल (SIT) गठित कर स्वतंत्र, विश्वसनीय व निष्पक्ष जांच कराई जाए। 

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली पुलिस से जवाब मांगा था

इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली पुलिस से जवाब मांगा था। अपने हलफनामे में दिल्ली पुलिस ने कहा है कि पिछले साल 19 दिसंबर को हिंदू युवा वाहिनी द्वारा आयोजित कार्यक्रम में नफरत भरे भाषण नहीं दिए गए। इस तरह की कुछ शिकायतें प्राप्त हुई थीं और उन सबको मिलाकर एक समग्र जांच शुरू की गई थी।  पुलिस ने कहा कि गहन जांच व कार्यक्रम के वीडियो को देखने के बाद शिकायत में लगाए गए आरोपों की तरह हैट स्पीच के कोई सबूत नहीं मिले। जांच में किसी समुदाय के खिलाफ नफरत भरे भाषण के कोई सबूत नहीं मिले, इसलिए समग्र आकलन के बाद जांच बंद कर दी गई। 

मुस्लिमों के नरसंहार का आह्वान नहीं

दिल्ली पुलिस ने हलफनामे में कहा कि भाषणों में इस तरह के शब्दों का कोई उपयोग नहीं किया गया है, जिनका अर्थ या व्याख्या मुसलमानों के नरसंहार के आह्वान का निकलता हो।  दिल्ली में किसी भी समूह, समुदाय, जातीयता, धर्म या आस्था के खिलाफ उक्त कार्यक्रम में कोई नफरत नहीं व्यक्त की गई थी। 

 

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