Desh

लखीमपुर खीरी कांड: आशीष मिश्रा की जमानत रद्द करने वाली याचिका पर 18 अप्रैल को फैसला सुनाएगा सुप्रीम कोर्ट

सार

आशीष मिश्रा की जमानत रद्द करने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट अब 18 अप्रैल को फैसला सुनाएगा। इससे पहले चार अप्रैल को सुनवाई के दौरान जांच के लिए गठित की गई एसआईटी ने शीर्ष अदालत के समक्ष अपना पक्ष रखा था। एसआईटी ने कहा कि हमने किसानों को कुचलने के आरोपी आशीष मिश्रा की जमानत रद्द करने के लिए यूपी सरकार से दो बार कहा। लेकिन आशीष मिश्रा की जमानत रद्द नहीं हुई।

ख़बर सुनें

लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में आशीष मिश्रा की जमानत रद्द करने की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट 18 अप्रैल को फैसला सुनाएगा।  इससे पहले मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना की अध्यक्षता वाली पीठ ने चार अप्रैल को सभी पक्षों को सुनने के बाद आदेश सुरक्षित रख लिया था।

चार अप्रैल को सुनवाई के दौरान जांच के लिए गठित की गई एसआईटी ने शीर्ष अदालत के समक्ष अपना पक्ष रखा था। एसआईटी ने कहा कि हमने किसानों को कुचलने के आरोपी आशीष मिश्रा की जमानत रद्द करने के लिए यूपी सरकार से दो बार कहा। लेकिन आशीष मिश्रा की जमानत रद्द नहीं हुई।

वहीं यूपी सरकार तरफ से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता महेश जेठमलानी ने कहा कि मैं मानता हूं कि यह जघन्य अपराध है लेकिन आरोपी आशीष मिश्रा के भागने का खतरा नहीं है इसलिए अदालत सरकार की ओर से निश्चिंत रहें। यूपी सरकार के वकील ने आगे कहा कि हमने इस मामले की जांच कर रही एसआईटी की रिपोर्ट प्राप्त की है जिसे राज्य सरकार को भेज दिया गया है। इसपर मुख्य न्यायाधीश एन वी रमन ने कहा कि आपने ये नहीं बताया कि चिट्ठी कब लिखी गई थी और ये ऐसा मामला नहीं हो जिसमें आप इतना इंतजार करें।  

बता दें कि लखीमपुर हिंसा में चार किसानों सहित आठ लोगों की मौत के मामले में केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा को इलाहाबाद हाईकोर्ट से 10 फरवरी को जमानत मिली थी, जिसे पीड़ितों के परिजनों ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने लखीमपुर खीरी हिंसा की जांच की निगरानी के लिए पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश राकेश कुमार जैन की अध्यक्षता में एक समिति नियुक्त की थी। समिति ने भी आशीष मिश्रा की जमानत रद्द करने की अपील को प्राथमिकता देते हुए सिफारिश की थी। 

जानें एसआईटी ने अपनी रिपोर्ट में क्या कहा था
सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त समिति ने लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में दाखिल की गई अपनी स्टेटस रिपोर्ट में कहा था कि एसआईटी ने उत्तर प्रदेश सरकार को दो बार मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा को दी गई जमानत को रद्द करने की सिफारिश की थी। लेकिन जमानत रद्द करने पर कोई विचार नहीं किया गया है। इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि सबूत इस बात की पुष्टि करते हैं कि केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा टेनी के बेटे आशीष मिश्रा उस जगह पर थे, जिसमें आठ लोग मारे गए थे, और वे अक्तूबर में यूपी के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य द्वारा अपनाए गए मार्ग में बदलाव के बारे में जानते थे।

आरोपी के वकील की दलील, आपने जमानत खारिज की, तो कोई कोर्ट जमानत नहीं देगा
आशीष की ओर से पेश वरिष्ठ वकील रंजीत कुमार ने हाईकोर्ट के आदेश का बचाव करते हुए कहा था कि उनका मुवक्किल घटना के समय मौजूद नहीं था। अगर अदालत जमानत के लिए कोई शर्त जोड़ना चाहती है, तो जोड़ दे। लेकिन, शीर्ष कोर्ट ने जमानत खारिज कर दी तो उनके मुवक्किल को देश की कोई अदालत जमानत नहीं देगी।

एसयूवी से कुचले गए थे चार किसान
बीते साल 3 अक्तूबर को उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य की लखीमपुर खीरी जिले की यात्रा के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों में से चार किसान एक एसयूवी द्वारा कुचले जाने के बाद मारे गए थे।  मामले में केंद्रीय मंत्री मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा का नाम आया था। इसके बाद पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था।

लखीमपुर खीरी जिले के तिकुनिया गांव में हुई उक्त हिंसा के मामले में एसआईटी ने तीन महीने के अंदर सीजेएम अदालत में तीन जनवरी को 5000 पन्नों की चार्जशीट दाखिल की थी। इसमें आशीष मिश्र को मुख्य आरोपी बनाते हुए 13 लोगों को मुल्जिम बताया था। इन सभी के खिलाफ सोची समझी साजिश के तहत हत्या, हत्या का प्रयास, अंग भंग की धाराओं समेत आर्म्स एक्ट के तहत कार्रवाई की थी।

विस्तार

लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में आशीष मिश्रा की जमानत रद्द करने की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट 18 अप्रैल को फैसला सुनाएगा।  इससे पहले मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना की अध्यक्षता वाली पीठ ने चार अप्रैल को सभी पक्षों को सुनने के बाद आदेश सुरक्षित रख लिया था।

चार अप्रैल को सुनवाई के दौरान जांच के लिए गठित की गई एसआईटी ने शीर्ष अदालत के समक्ष अपना पक्ष रखा था। एसआईटी ने कहा कि हमने किसानों को कुचलने के आरोपी आशीष मिश्रा की जमानत रद्द करने के लिए यूपी सरकार से दो बार कहा। लेकिन आशीष मिश्रा की जमानत रद्द नहीं हुई।

वहीं यूपी सरकार तरफ से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता महेश जेठमलानी ने कहा कि मैं मानता हूं कि यह जघन्य अपराध है लेकिन आरोपी आशीष मिश्रा के भागने का खतरा नहीं है इसलिए अदालत सरकार की ओर से निश्चिंत रहें। यूपी सरकार के वकील ने आगे कहा कि हमने इस मामले की जांच कर रही एसआईटी की रिपोर्ट प्राप्त की है जिसे राज्य सरकार को भेज दिया गया है। इसपर मुख्य न्यायाधीश एन वी रमन ने कहा कि आपने ये नहीं बताया कि चिट्ठी कब लिखी गई थी और ये ऐसा मामला नहीं हो जिसमें आप इतना इंतजार करें।  

बता दें कि लखीमपुर हिंसा में चार किसानों सहित आठ लोगों की मौत के मामले में केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा को इलाहाबाद हाईकोर्ट से 10 फरवरी को जमानत मिली थी, जिसे पीड़ितों के परिजनों ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने लखीमपुर खीरी हिंसा की जांच की निगरानी के लिए पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश राकेश कुमार जैन की अध्यक्षता में एक समिति नियुक्त की थी। समिति ने भी आशीष मिश्रा की जमानत रद्द करने की अपील को प्राथमिकता देते हुए सिफारिश की थी। 

जानें एसआईटी ने अपनी रिपोर्ट में क्या कहा था

सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त समिति ने लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में दाखिल की गई अपनी स्टेटस रिपोर्ट में कहा था कि एसआईटी ने उत्तर प्रदेश सरकार को दो बार मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा को दी गई जमानत को रद्द करने की सिफारिश की थी। लेकिन जमानत रद्द करने पर कोई विचार नहीं किया गया है। इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि सबूत इस बात की पुष्टि करते हैं कि केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा टेनी के बेटे आशीष मिश्रा उस जगह पर थे, जिसमें आठ लोग मारे गए थे, और वे अक्तूबर में यूपी के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य द्वारा अपनाए गए मार्ग में बदलाव के बारे में जानते थे।

आरोपी के वकील की दलील, आपने जमानत खारिज की, तो कोई कोर्ट जमानत नहीं देगा

आशीष की ओर से पेश वरिष्ठ वकील रंजीत कुमार ने हाईकोर्ट के आदेश का बचाव करते हुए कहा था कि उनका मुवक्किल घटना के समय मौजूद नहीं था। अगर अदालत जमानत के लिए कोई शर्त जोड़ना चाहती है, तो जोड़ दे। लेकिन, शीर्ष कोर्ट ने जमानत खारिज कर दी तो उनके मुवक्किल को देश की कोई अदालत जमानत नहीं देगी।

एसयूवी से कुचले गए थे चार किसान

बीते साल 3 अक्तूबर को उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य की लखीमपुर खीरी जिले की यात्रा के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों में से चार किसान एक एसयूवी द्वारा कुचले जाने के बाद मारे गए थे।  मामले में केंद्रीय मंत्री मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा का नाम आया था। इसके बाद पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था।

लखीमपुर खीरी जिले के तिकुनिया गांव में हुई उक्त हिंसा के मामले में एसआईटी ने तीन महीने के अंदर सीजेएम अदालत में तीन जनवरी को 5000 पन्नों की चार्जशीट दाखिल की थी। इसमें आशीष मिश्र को मुख्य आरोपी बनाते हुए 13 लोगों को मुल्जिम बताया था। इन सभी के खिलाफ सोची समझी साजिश के तहत हत्या, हत्या का प्रयास, अंग भंग की धाराओं समेत आर्म्स एक्ट के तहत कार्रवाई की थी।

Source link

Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Most Popular

14
Desh

पढ़ें 14 अप्रैल के मुख्य और ताजा समाचार – लाइव ब्रेकिंग न्यूज़

11
Sports

जूनियर विश्वकप: कांस्य पदक के मुकाबले में शूटआउट में हारी महिला हॉकी टीम, इंग्लैंड से मिली हार

9
Entertainment

KGF Chapter 1 Recap: सोने की खदान… गरुड़ा और रॉकी भाई, चैप्टर-2 देखने से पहले पढ़ें केजीएफ चैप्टर-1 की पूरी कहानी

To Top
%d bloggers like this: