विएना स्थित अंतरराष्ट्रीय मादक पदार्थ नियंत्रण ब्यूरो (आईएनसीबी) ने साल 2021 की अपनी वार्षिक रिपोर्ट में ‘वैश्विक स्थिति के विश्लेषण’ विषय के तहत भारत और दक्षिण एशिया में मादक पदार्थों की तस्करी के परिदृश्य पर प्रकाश डाला है।
रिपोर्ट में कहा गया है, आईएनसीबी को सोशल मीडिया के इस्तेमाल और नशीले पदार्थों की लत के बीच संबंधों के पुख्ता सबूत मिले हैं, क्योंकि ये साइटें प्रतिबंधित पदार्थों की खरीदारी करने और नकारात्मक व्यवहार को आकर्षक ढंग से पेश करने के लिए एक बड़ा मंच उपलब्ध कराती हैं। आईएनसीबी की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भारत की प्रमुख दवा निर्माता कंपनियों के उत्पादों को अवैध रूप से मादक पदार्थों की तस्करी के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है।
क्रिप्टो करेंसी के जरिये खरीदारी का बढ़ा वैश्विक चलन
रिपोर्ट में इंटरनेट, खासकर क्रिप्टो करेंसी के जरिये डार्कनेट पर मादक पदार्थों की खरीदारी करने के वैश्विक चलन में तेजी आने की बात कही गई है। इसमें बताया गया है कि दक्षिण एशिया में भी यह चलन जोर पकड़ रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2011 से 2020 के बीच यूएनओडीसी द्वारा 19 प्रमुख डार्कनेट बाजारों पर किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि भारत कृत्रिम उत्तेजक पदार्थों की आपूर्ति के लिए सबसे अधिक बार सूचीबद्ध किया गया। एनसीबी ने हाल ही में एक देशव्यापी अभियान चलाकर 22 लोगों को गिरफ्तार भी किया था।
विशेष सॉफ्टवेयर से गुप्त इंटरनेट प्लेटफॉर्म होते हैं संचालित
डार्कनेट के दायरे में कुछ गुप्त इंटरनेट प्लेटफॉर्म आते हैं, जिनका इस्तेमाल केवल विशेष सॉफ्टवेयर और गोपनीय संवाद के लिए पूर्व-निर्धारित संचार प्रोटोकॉल के जरिये ही किया जा सकता है। मादक पदार्थों की तस्करी में शामिल गिरोह कानूनी एजेंसियों से बचने के लिए डार्कनेट का सहारा लेते हैं।
संयुक्त राष्ट्र की संस्था ने इन बाजारों में किया अध्ययन
संयुक्त राष्ट्र की संस्था ने जिन बाजारों का अध्ययन किया है उनमें सिल्क रोड, सिल्क रोड-2, पेंडोरा, हाइड्रा, ब्लैक मार्केट रिलोडेड, अगोरा, एवोल्यूशन, अल्फाबे, बर्लुस्कोनी मार्केट, ट्रेडरआउट, वल्लाह, वॉलस्ट्रीट, ड्रीम मार्केट, कैनजोन, एंपायर, डार्क मार्केट, हाइड्रा मार्केट, वर्सेज और व्हाइटहाउस शामिल हैं।