एजेंसी, बोस्टन।
Published by: Jeet Kumar
Updated Sat, 11 Dec 2021 12:50 AM IST
सार
रिपोर्ट के मुताबिक, चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) के शासन के तहत इन स्कूलों में तिब्बतियों के भविष्य में संभावित प्रतिरोध को बेअसर करने के लिए उनकी तिब्बती पहचान खत्म करने की कोशिश की जा रही है।
चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग (फाइल फोटो)
– फोटो : PTI
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विस्तार
तिब्बत एक्शन इंस्टीट्यूट की यह रिपोर्ट ‘तिब्बत में पनिवेशिक बोर्डिंग स्कूलों की चीनी प्रणाली’ शीर्षक से प्रकाशित हुई है। बच्चों में राष्ट्रपति शी जिनपिंग की चीनी कम्युनिस्ट विचारधारा के अभियान को विकसित किया जा रहा है।
रिपोर्ट में पाया गया कि छह से 18 साल के अनुमानित आठ से नौ लाख तिब्बती छात्र तथा चार से पांच साल के अज्ञात बच्चे इन सरकारी स्कूलों में हैं। ये स्कूल सीसीपी के प्रति वफादार चीनी नागरिकों के रूप में बच्चों को ढालने की जिम्मेदारी निभा रहे हैं। यहां बच्चों को चीनी भाषा में पढ़ाई कराई जाती है और उनके धर्म का पालन करने से रोक दिया जाता है।
तत्काल हस्तक्षेप की मांग
तिब्बत एक्शन इंस्टीट्यूट के निदेशक ल्हाडन टेथोंग ने कहा, तिब्बती बच्चों को उनके परिवारों और संस्कृति से उखाड़कर उन्हें सरकारी बोर्डिंग स्कूलों में रहने को बाध्य किया जा रहा है। इसके लिए चीनी अफसर तिब्बती पहचान पर हमला करने के लिए उपनिवेशवाद के सबसे जघन्य साधनों में से एक का उपयोग कर रहे हैं। टेथोंग ने इस संबंध में संयुक्त राष्ट्र और संबंधित सरकारों से तत्काल दखल की मांग की।
माता-पिता के पास विकल्प नहीं
पिछले एक दशक में, चीनी अधिकारियों ने तिब्बत में स्थानीय स्कूलों को व्यवस्थित रूप से समाप्त कर दिया है और उन्हें केंद्रीकृत बोर्डिंग स्कूलों से बदल दिया है। इनमें प्राथमिक आयु वर्ग के बच्चे भी शामिल हैं। मठ के स्कूलों और अन्य निजी तौर पर संचालित तिब्बती स्कूलों को भी बंद करने के लिए मजबूर किया गया है, माता-पिता के पास अपने बच्चों को दूर भेजने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। रिपोर्ट के मुताबिक, इसका विरोध करने पर माता-पिता को नियमों के अनुपालन के लिए धमकियों का इस्तेमाल किया जाता है।