वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, बीजिंग
Published by: कीर्तिवर्धन मिश्र
Updated Sun, 09 Jan 2022 08:55 PM IST
सार
शोधकर्ताओं ने कहा कि चंद्रमा की मिट्टी में मिलने वाली आर्द्रता में सबसे अधिक योगदान सौर हवा का है, क्योंकि उसमें हाइड्रोजन के तत्व से पानी बनता है।
चांग ई-5 मिशन द्वारा चांद की मिट्टी की जांच की गई है।
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विस्तार
चीन के चांग ई 5 लूनर प्रोब को चांद की सतह पर पानी होने के साक्ष्य मिले हैं। साइंस मैगजीन ‘साइंस एडवांसेज’ में शनिवार को छपे एक अध्ययन में इसके बारे में जानकारी दी गई है। बताया गया है कि चंद्रमा पर यान के उतरने के स्थान पर मिट्टी में पानी मिला। हालांकि, इसकी मात्रा काफी कम है। स्टडी के मुताबिक, जिस जगह यान उतरा उस जगह प्रति टन मिट्टी में 120 ग्राम पानी मौजूद होने की संभावना है। यानी यह स्थान पृथ्वी की तुलना में बहुत अधिक शुष्क है।
गौरतलब है कि परीक्षणों में पहले भी चांद पर पानी की मौजूदगी की पुष्टि हुई थी। हालांकि, यान ने अब मौके पर ही चट्टानों और मिट्टी में पानी का पता लगाया है। प्रोब में लगाए गए एक विशेष उपकरण ने चट्टानों और सतह की जांच की और पहली बार मौके पर ही पानी का पता लगाया।
चीन की सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ ने चीनी विज्ञान अकादमी (सीएएस) के शोधकर्ताओं के हवाले से बताया कि पानी की मात्रा का अनुमान लगाया जा सकता है, क्योंकि पानी के अणु करीब तीन माइक्रोमीटर की आवृत्ति पर अवशोषित होते हैं। शोधकर्ताओं ने कहा कि चंद्रमा की मिट्टी में मिलने वाली आर्द्रता में सबसे अधिक योगदान सौर हवा का है, क्योंकि उसमें हाइड्रोजन के तत्व से पानी बनता है।
रिसर्चर्स के मुताबिक, इस जानकारी से चीन के अगले चांग ई-6 और चांग ई-7 मिशन की तैयारी का और मौका मिलता है। चांद पर पानी होने के सबूत ऐसे समय में मिले हैं, जब कई देश चंद्रमा की सतह पर लूनर स्टेशन तैयार करने की योजना बना रहे हैं।