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Election 2022: सोशल मीडिया के मुफ्त प्रचारकों के बीच है असली लड़ाई, राष्ट्रवाद से प्रेरित भाजपा समर्थकों का मुकाबला कैसे करेंगी सपा-कांग्रेस?

सार

सोशल मीडिया पर हर दल के भारी संख्या में समर्थक मौजूद हैं। वे न केवल अपनी विचारधारा की बात को आगे बढ़ाते हैं, बल्कि दूसरी विचारधारा के दलों, नेताओं पर करारा हमला भी करते हैं। माना जा रहा है कि इस चुनाव में यह वर्ग सत्ता निर्धारण में बड़ी भूमिका निभा सकता है।

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चुनाव आयोग ने पांच राज्यों में मतदान की तिथियों की घोषणा के साथ ही रैलियों-जनसभाओं और पदयात्राओं पर रोक लगा दिया है। अब 15 जनवरी तक केवल डिजिटल माध्यम से ही चुनाव प्रचार किया जा सकेगा, लेकिन जिस प्रकार से कोरोना-ओमिक्रॉन के मामले लगातार बढ़ रहे हैं, माना जा रहा है कि आगे भी ये प्रतिबंध जारी रहेंगे। अनुमान यही है कि इन चुनावों में असली लड़ाई डिजिटल माध्यमों और सोशल मीडिया के मंच पर ही लड़ी जाएगी। इस माध्यम में जो दल लीड करेगा, वह चुनावों का रुख अपनी ओर मोड़ सकता है।

समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव कह चुके हैं कि डिजिटल मीडिया में विभिन्न पार्टियों के बीच भारी असंतुलन है। सत्ता में होने और बड़ा आर्थिक स्रोत होने के कारण भाजपा इस मंच पर सबसे आगे है। उन्होंने कहा है कि चुनाव आयोग को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि केवल धनबल के कारण किसी दल विशेष को अवांछित लाभ न मिले। हालांकि सच्चाई यह है कि भाजपा के बड़ी राष्ट्रीय पार्टी होने, व्यापक जनाधार होने, भारी संख्या में नेता और उनके प्रशंसक वर्ग होने के कारण उसको इस मंच पर बड़ा लाभ मिलने की संभावना जताई जा रही है।

सोशल मीडिया पर हर दल के भारी संख्या में समर्थक मौजूद हैं। वे न केवल अपनी विचारधारा की बात को आगे बढ़ाते हैं, बल्कि दूसरी विचारधारा के दलों, नेताओं पर करारा हमला भी करते हैं। माना जा रहा है कि इस चुनाव में यह वर्ग सत्ता निर्धारण में बड़ी भूमिका निभा सकता है। लेकिन ज्यादा बड़े दलों के बड़ी संख्या में समर्थक होने के कारण यह असंतुलन भी पैदा कर सकता है।

विपक्ष समझे कि युवा क्यों कर रहे समर्थन?
भारतीय जनता पार्टी के युवा मोर्चे के राष्ट्रीय मंत्री तजिंदर पाल सिंह बग्गा ने अमर उजाला से कहा कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक ट्रेंड देखने को मिल रहा है कि आज का युवा वर्ग राष्ट्रवाद से बहुत प्रेरित है। वह इन मुद्दों पर मुखरता के साथ अपनी बात रख रहा है और उन्हीं दलों को वोट कर रहा है जो राष्ट्रीय मुद्दों पर गंभीरता से काम कर रही हैं। इस संदर्भ में भारत का युवा बिल्कुल अपवाद नहीं है और वह भी राष्ट्रीय मुद्दों, सेना के प्रश्न और हिंदुत्व के मुद्दों से प्रेरित है। यही कारण है कि भारी संख्या में युवाओं का समर्थन भाजपा को मिल रहा है। उनका कहना है कि विपक्ष को आत्मचिंतन करना चाहिए कि भाजपा को युवाओं का समर्थन क्यों मिल रहा है। उन्होंने कहा कि विपक्ष को आरोप लगाने की बजाय अपनी रणनीति में बदलाव करना चाहिए। 

क्या है चुनौती?
कांग्रेस नेता रितु चौधरी ने आरोप लगाया कि भाजपा ने पिछले पांच-सात सालों में राष्ट्रवाद के नाम का भ्रम फैलाया है। उसने युवाओं के सामने झूठ परोसा है, जिसके कारण शुरूआती दौर में कुछ युवा भ्रमित हो गए थे, लेकिन अब सोशल मीडिया के माध्यम से इस झूठ का जबरदस्त पोलखोल हुआ है। गलत फोटो, गलत वीडियो या एडिटेड बयानों पर झूठ बोलने के कारण अनेक बार भाजपा नेताओं को शर्मिंदा होना पड़ा है। 

उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया ने एक सशक्त मंच उपलब्ध कराया है जिसके कारण सरकार की कलई खुल रही है। उनका कहना है कि राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और अन्य बड़े नेता सोशल मीडिया का जमकर उपयोग कर रहे हैं, और उसके माध्यम से सरकार पर जमकर हमले कर रहे हैं। अपने नेताओं की बातों को सोशल मीडिया पर आगे बढ़ाकर हम उनके मिशन को सफल बनाने की पुरजोर कोशिश करते हैं। चुनावों को देखते हुए अब इस कोशिश को नई धार दी जाएगी। 

रितु चौधरी ने कहा कि सोशल मीडिया मंच पर सबसे बड़ा खतरा इसकी लॉगरिद्म पर कब्जा कर या उन्हें ‘मैनेज’ कर लोगों तक एक ही दल की बातों को बड़ी संख्या में तो विपक्षी दलों की बातों को कम संख्या में पहुंचाने की भी है। लेकिन इसके लिए उचित रणनीति अपनाकर इस तरह की किसी कोशिश को रोका जाएगा।

विस्तार

चुनाव आयोग ने पांच राज्यों में मतदान की तिथियों की घोषणा के साथ ही रैलियों-जनसभाओं और पदयात्राओं पर रोक लगा दिया है। अब 15 जनवरी तक केवल डिजिटल माध्यम से ही चुनाव प्रचार किया जा सकेगा, लेकिन जिस प्रकार से कोरोना-ओमिक्रॉन के मामले लगातार बढ़ रहे हैं, माना जा रहा है कि आगे भी ये प्रतिबंध जारी रहेंगे। अनुमान यही है कि इन चुनावों में असली लड़ाई डिजिटल माध्यमों और सोशल मीडिया के मंच पर ही लड़ी जाएगी। इस माध्यम में जो दल लीड करेगा, वह चुनावों का रुख अपनी ओर मोड़ सकता है।

समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव कह चुके हैं कि डिजिटल मीडिया में विभिन्न पार्टियों के बीच भारी असंतुलन है। सत्ता में होने और बड़ा आर्थिक स्रोत होने के कारण भाजपा इस मंच पर सबसे आगे है। उन्होंने कहा है कि चुनाव आयोग को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि केवल धनबल के कारण किसी दल विशेष को अवांछित लाभ न मिले। हालांकि सच्चाई यह है कि भाजपा के बड़ी राष्ट्रीय पार्टी होने, व्यापक जनाधार होने, भारी संख्या में नेता और उनके प्रशंसक वर्ग होने के कारण उसको इस मंच पर बड़ा लाभ मिलने की संभावना जताई जा रही है।

सोशल मीडिया पर हर दल के भारी संख्या में समर्थक मौजूद हैं। वे न केवल अपनी विचारधारा की बात को आगे बढ़ाते हैं, बल्कि दूसरी विचारधारा के दलों, नेताओं पर करारा हमला भी करते हैं। माना जा रहा है कि इस चुनाव में यह वर्ग सत्ता निर्धारण में बड़ी भूमिका निभा सकता है। लेकिन ज्यादा बड़े दलों के बड़ी संख्या में समर्थक होने के कारण यह असंतुलन भी पैदा कर सकता है।

विपक्ष समझे कि युवा क्यों कर रहे समर्थन?

भारतीय जनता पार्टी के युवा मोर्चे के राष्ट्रीय मंत्री तजिंदर पाल सिंह बग्गा ने अमर उजाला से कहा कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक ट्रेंड देखने को मिल रहा है कि आज का युवा वर्ग राष्ट्रवाद से बहुत प्रेरित है। वह इन मुद्दों पर मुखरता के साथ अपनी बात रख रहा है और उन्हीं दलों को वोट कर रहा है जो राष्ट्रीय मुद्दों पर गंभीरता से काम कर रही हैं। इस संदर्भ में भारत का युवा बिल्कुल अपवाद नहीं है और वह भी राष्ट्रीय मुद्दों, सेना के प्रश्न और हिंदुत्व के मुद्दों से प्रेरित है। यही कारण है कि भारी संख्या में युवाओं का समर्थन भाजपा को मिल रहा है। उनका कहना है कि विपक्ष को आत्मचिंतन करना चाहिए कि भाजपा को युवाओं का समर्थन क्यों मिल रहा है। उन्होंने कहा कि विपक्ष को आरोप लगाने की बजाय अपनी रणनीति में बदलाव करना चाहिए। 

क्या है चुनौती?

कांग्रेस नेता रितु चौधरी ने आरोप लगाया कि भाजपा ने पिछले पांच-सात सालों में राष्ट्रवाद के नाम का भ्रम फैलाया है। उसने युवाओं के सामने झूठ परोसा है, जिसके कारण शुरूआती दौर में कुछ युवा भ्रमित हो गए थे, लेकिन अब सोशल मीडिया के माध्यम से इस झूठ का जबरदस्त पोलखोल हुआ है। गलत फोटो, गलत वीडियो या एडिटेड बयानों पर झूठ बोलने के कारण अनेक बार भाजपा नेताओं को शर्मिंदा होना पड़ा है। 

उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया ने एक सशक्त मंच उपलब्ध कराया है जिसके कारण सरकार की कलई खुल रही है। उनका कहना है कि राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और अन्य बड़े नेता सोशल मीडिया का जमकर उपयोग कर रहे हैं, और उसके माध्यम से सरकार पर जमकर हमले कर रहे हैं। अपने नेताओं की बातों को सोशल मीडिया पर आगे बढ़ाकर हम उनके मिशन को सफल बनाने की पुरजोर कोशिश करते हैं। चुनावों को देखते हुए अब इस कोशिश को नई धार दी जाएगी। 

रितु चौधरी ने कहा कि सोशल मीडिया मंच पर सबसे बड़ा खतरा इसकी लॉगरिद्म पर कब्जा कर या उन्हें ‘मैनेज’ कर लोगों तक एक ही दल की बातों को बड़ी संख्या में तो विपक्षी दलों की बातों को कम संख्या में पहुंचाने की भी है। लेकिन इसके लिए उचित रणनीति अपनाकर इस तरह की किसी कोशिश को रोका जाएगा।

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