वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: सुरेंद्र जोशी
Updated Mon, 07 Feb 2022 11:54 AM IST
सार
पिछले माह किम ने सबसे बड़ा मिसाइल परीक्षण भी इसी चट्टान को चूर-चूर करने के लिए किया। यह चट्टान ‘नो मैंस लैंड’ यानी मानव रहित या निर्जन इलाके में है। जनवरी में इस पर उत्तर कोरिया ने आठ रॉकेट दागे थे।
उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन के किस्से कम नहीं हो रहे हैं। अब खबर है कि अमेरिका व पश्चिम देशों के खिलाफ उनके गुस्से या ताकत के प्रदर्शन की शिकार एक ‘दुर्भाग्यशाली चट्टान’ बन रही है। यह चट्टान 2019 के बाद अब तक 25 बार उनकी मिसाइलों के प्रहार झेल चुकी है।
पिछले माह किम ने सबसे बड़ा मिसाइल परीक्षण भी इसी चट्टान को चूर-चूर करने के लिए किया। यह चट्टान ‘नो मैंस लैंड’ यानी मानव रहित या निर्जन इलाके में है। उत्तर कोरिया के उत्तर-पूर्वी तट से करीब 11 मिल या 18 किलो मीटर दूर स्थित ‘अलसोम’ द्वीप में है। जनवरी में इस पर उत्तर कोरिया ने आठ रॉकेट दागे थे।
लगातार संहारक व परमाणु हथियार विकसित करते रहने की जिद पर अड़े किम जोंग उन पर अमेरिका नीत पश्चिमी देशों ने कई पाबंंदियां लगा रखी हैं। इसके बाद भी वह निरंतर मिसाइल परीक्षण कर महाशक्ति देशों को चुनौती देते रहते हैं।
विस्तार
उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन के किस्से कम नहीं हो रहे हैं। अब खबर है कि अमेरिका व पश्चिम देशों के खिलाफ उनके गुस्से या ताकत के प्रदर्शन की शिकार एक ‘दुर्भाग्यशाली चट्टान’ बन रही है। यह चट्टान 2019 के बाद अब तक 25 बार उनकी मिसाइलों के प्रहार झेल चुकी है।
पिछले माह किम ने सबसे बड़ा मिसाइल परीक्षण भी इसी चट्टान को चूर-चूर करने के लिए किया। यह चट्टान ‘नो मैंस लैंड’ यानी मानव रहित या निर्जन इलाके में है। उत्तर कोरिया के उत्तर-पूर्वी तट से करीब 11 मिल या 18 किलो मीटर दूर स्थित ‘अलसोम’ द्वीप में है। जनवरी में इस पर उत्तर कोरिया ने आठ रॉकेट दागे थे।
लगातार संहारक व परमाणु हथियार विकसित करते रहने की जिद पर अड़े किम जोंग उन पर अमेरिका नीत पश्चिमी देशों ने कई पाबंंदियां लगा रखी हैं। इसके बाद भी वह निरंतर मिसाइल परीक्षण कर महाशक्ति देशों को चुनौती देते रहते हैं।
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