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उत्तराखंड चुनाव: कांग्रेस पर्यवेक्षक मोहन प्रकाश बोले- मुख्यमंत्री धामी जनता की नब्ज समझते तो 60 सीटें जीतने की बात कभी न कहते

सार

उत्तराखंड में कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ पर्यवेक्षक का कहना है कि पूरे देश के साथ-साथ उत्तराखंड में भी भाजपा का ‘डबल इंजन मॉडल’ फेल हो गया है। राज्य की जनता अपने विकास के लिए एक बार फिर कांग्रेस की ओर देख रही है। मुझे पूरी उम्मीद है कि इस चुनाव में कांग्रेस को भारी जीत मिलेगी और राज्य एक बार फिर विकास के रास्ते पर आगे बढ़ सकेगा।

कांग्रेस नेता मोहन प्रकाश
– फोटो : Agency (File Photo)

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विस्तार

उत्तराखंड विधानसभा चुनाव के बेहद महत्वपूर्ण अवसर पर कांग्रेस पार्टी ने ब्राह्मण नेता मोहन प्रकाश को वरिष्ठ पर्यवेक्षक बनाकर भेजा है। नई जिम्मेदारी मिलने के साथ ही मोहन प्रकाश ने राज्य के ब्राह्मण नेताओं से मुलाकात शुरू कर दी है। वे ब्राह्मण मतदाताओं तक पहुंचने की ठोस रणनीति बना रहे हैं। उत्तराखंड में इस बार कांग्रेस की संभावना क्या है, इसको लेकर हमारे विशेष संवाददाता अमित शर्मा ने मोहन प्रकाश से बातचीत की। प्रमुख अंश:-

प्रश्न: सबसे पहला सवाल यह है कि इस बार उत्तराखंड में कांग्रेस के लिए क्या संभावनाएं हैं?

देश के साथ-साथ उत्तराखंड की जनता ने भी केंद्र सरकार के सात साल के कार्यकाल को देखा है। उत्तराखंड में पिछले पांच साल में भाजपा ने जिस तरह महिलाओं, युवाओं और सैनिकों की उपेक्षा की है, उसे भी यहां के लोगों ने झेला है। पूरे देश के साथ-साथ उत्तराखंड में भी भाजपा का ‘डबल इंजन मॉडल’ फेल हो गया है। राज्य की जनता अपने विकास के लिए एक बार फिर कांग्रेस की ओर देख रही है। मुझे पूरी उम्मीद है कि इस चुनाव में कांग्रेस को भारी जीत मिलेगी और राज्य एक बार फिर विकास के रास्ते पर आगे बढ़ सकेगा।

प्रश्न: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी इस चुनाव में 60 से ज्यादा सीटें जीतने का दावा कर रहे हैं। क्या कहेंगे?

पुष्कर सिंह धामी जनता के नेता नहीं हैं। उन्हें भाजपा के केंद्रीय नेताओं का कृपा पात्र होने के आधार पर उत्तराखंड की जनता पर मुख्यमंत्री के रूप में थोपा गया है। क्योंकि वे जनता की पसंद नहीं हैं, वे जनता की नब्ज भी नहीं समझ पाते हैं। यदि वे जनता की नब्ज समझ रहे होते तो उन्हें पता चलता कि भाजपा की नींव किस तरह खिसक गई है।

प्रश्न: आपको क्या लगता है, किन कारणों से कांग्रेस जनता की पसंद बन सकती है?

आप पिछली कांग्रेस सरकार और वर्तमान भाजपा सरकार के पांच-पांच सालों के कामकाज की तुलना करके देख लीजिए। आपको समझ में आ जाएगा कि हरीश रावत की सरकार को किस तरह बार-बार अस्थिर करने की कोशिश की गई, केंद्र ने रावत सरकार का ‘तख्तापलट’ करने के लिए हर असंवैधानिक तरीका अपनाया। अदालत के हस्तक्षेप के बाद यहां लोकतंत्र स्थापित हुआ। इन संकटों के बीच भी हरीश रावत लगातार जनता के साथ मजबूती से खड़े रहे और उसका विकास कार्य करते रहे। जबकि भाजपा अपने पूरे पांच साल के कार्यकाल में उत्तराखंड को कोई दिशा नहीं दे पाई। इससे जनता में भारी नाराजगी पैदा हुई। इसी नाराजगी को दूर करने के लिए भाजपा ने चार महीने के अंदर तीन मुख्यमंत्री बदल दिए, लेकिन उसके बाद भी जनता की नाराजगी दूर नहीं हुई। केवल इन्हीं दो मुद्दों से यह समझ में आ जाता है कि जनता एक बार फिर कांग्रेस की तरफ क्यों देख रही है।

प्रश्न: कांग्रेस में भी जबरदस्त गुटबाजी की खबरें हैं। किशोर उपाध्याय पर अभी भी पार्टी विरोधी होने के आरोप लग रहे हैं। ऐसी अंतर्कलह के बीच कांग्रेस अच्छा प्रदर्शन कर पाएगी?

मैं स्वयं किशोर उपाध्याय से दो बार बातचीत कर चुका हूं। वे जल्दी ही आपको दोबारा कांग्रेस के लिए मजबूती से काम करते हुए दिखाई पड़ेंगे। नेताओं की अंतर्कलह कांग्रेस में नहीं भाजपा में है। उसके एक दर्जन नेता खुद को मुख्यमंत्री समझते हैं। वे सब एक दूसरे की जड़ काटने में लगे हुए हैं। जिन तीन लोगों को हाल ही में मुख्यमंत्री पद से हटाया गया है, वे सब अभी भी यह मानने को तैयार नहीं हैं कि वे मुख्यमंत्री नहीं रह गए हैं। जबकि कांग्रेस की पूरी टीम हमारी कैंपेन कमेटी प्रमुख हरीश रावत के नेतृत्व में बेहद संगठित होकर चुनाव की तैयारियों में जुटी हुई है। मुझे पूरी उम्मीद है कि कांग्रेस इस चुनाव में बेहतरीन सफलता हासिल करेगी।

प्रश्न: आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल भी उत्तराखंड में सियासी पारी खेल रहे हैं। वे यहां भी मुफ्त बिजली, मुफ्त पानी, बेरोजगारों और महिलाओं को भत्ता देने का वायदा कर सत्ता पाने की कोशिश कर रहे हैं। क्या कहेंगे?

अरविंद केजरीवाल बहुत बड़े सपने दिखाकर सात साल से दिल्ली में राज कर रहे हैं। उन्होंने इन सात सालों में दिल्ली में 500 से भी कम युवाओं को सरकारी नौकरी दी है। एक भी महिला या एक भी बेरोजगार युवक को दिल्ली में भत्ता नहीं मिलता है। जब वे आज तक दिल्ली में महिलाओं-युवाओं को कुछ नहीं दे सके तो उत्तराखंड या पंजाब में कैसे देंगे? जनता उनकी बातों पर क्यों यकीन करेगी? अरविंद केजरीवाल की राजनीति दिल्ली में ही फ्लॉप हो गई है, इसलिए उन्हें किसी भी दूसरे राज्य में कोई सफलता नहीं मिलने वाली है।

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