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इमरान के हाथों से निकला पाकिस्तान : पांच गलतियां जिनके कारण सत्ता गंवा बैठे, जानिए अब आगे क्या करेंगे कप्तान?

सार

पाकिस्तानी संसद में अविश्वास प्रस्ताव की वोटिंग में इमरान खान बहुमत साबित नहीं कर पाए। अब विपक्ष की तरफ से सरकार बनाने का प्रस्ताव पेश किया जाएगा। 

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पाकिस्तान में पिछले 33 दिनों से चला आ रहा राजनीतिक संकट अब खत्म गया है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद पाकिस्तानी संसद में शनिवार को दिनभर खूब ड्रामा हुआ। देर रात स्पीकर, डिप्टी स्पीकर ने इस्तीफा दे दिया। फिर नए स्पीकर ने  अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग कराया। इसमें इमरान बहुमत साबित नहीं कर पाए। इसी के साथ इमरान के हाथों से पाकिस्तान की सत्ता चली गई। अब विपक्ष की ओर से सरकार बनाने का प्रस्ताव पेश किया जाएगा। 

2018 में हुए आम चुनाव में इमरान खान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) ने सबसे ज्यादा 149 सीटें जीती थीं। शहबाज शरीफ की पाकिस्तान मुस्लिम लीग यानी पीएमएल-(एल) को 82 और बिलावल भुट्टो की पीपीपी को 54 सीटें मिलीं थीं। 342 सदस्यों वाली संसद में 172 बहुमत का आंकड़ा है। तब इमरान खान ने कुछ छोटी पार्टियों और निर्दलीय उम्मीदवारों की मदद से सरकार बना ली थी। 

तीन साल बाद इमरान खान से छोटी पार्टियों ने समर्थन वापस ले लिया। पीटीआई के कई सांसदों ने भी विपक्ष को समर्थन दे दिया। अब इमरान खान की सरकार गिरने के बाद यह सवाल उठना वाजिब है कि आखिर इमरान खान ने कौन सी गलतियां कीं, जिसके चलते उनकी सरकार चली गई? अब आगे क्या होगा? आइए जानते हैं…
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार शनिवार की सुबह 10:30 बजे पाकिस्तानी संसद की कार्यवाही शुरू हुई। सबसे पहले विपक्ष की तरफ से शहबाज शरीफ ने अपनी बात रखी। उन्होंने कोर्ट के आदेश के अनुसार ही कार्यवाही किए जाने की मांग की। शरीफ ने कहा कि तुरंत अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग हो। 

सत्ता पक्ष से शाह महमूद कुरैशी ने सदन में बात रखी। कुरैशी ने फिर से अंतरराष्ट्रीय साजिश का जिक्र किया। इस मसले पर खूब हंगामा हुआ। सदन की कार्यवाही कई बार स्थिगित भी हुई। इमरान सरकार, स्पीकर और डिप्टी स्पीकर नहीं चाहते थे कि वोटिंग हो। आखिरकार विपक्ष ने फिर कोर्ट का सहारा लिया। फिर अचानक स्पीकर संसद पहुंचे। यहां उन्होंने माइक से ही अपने इस्तीफे का एलान कर दिया। डिप्टी स्पीकर ने भी इस्तीफा दे दिया।

इसके बाद नए स्पीकर ने कार्यवाही शुरू करवाई। अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग हुआ और इमरान के खिलाफ 174 वोट पड़े। इमरान बहुमत साबित नहीं कर पाए। देर रात ही उन्होंने प्रधानमंत्री आवास भी छोड़ दिया। सड़कों पर कानून व्यवस्था बनाने के लिए सेना तक उतर आई थी।  

 
1. सेना से रिश्ते खराब करना : 2018 में चुनाव जीतने के बाद भी इमरान खान के पास पूर्ण बहुमत नहीं था। तब सेना का उन्हें साथ मिला और वह सरकार बनाने में कामयाब हुए। पाकिस्तान मामलों के जानकार प्रो. अरुण शर्मा कहते हैं कि वहां सरकार किसी की भी हो, चलती सेना की ही है। शुरुआत में इमरान को सेना का साथ मिला, लेकिन पिछले कुछ समय से वह सेना के भी खिलाफ बोलने लगे थे। आर्मी चीफ बाजवा और इमरान खान के रिश्ते खराब होने लगे। आखिरकार सेना ने इमरान सरकार के ऊपर से हाथ हटा लिया और विपक्ष को मौका मिल गया। 

2. काम की जगह धर्म को बढ़ावा देने लगे : महंगाई, गरीबी, पानी के संकट से जूझ रहे पाकिस्तान को उबारने की बजाय इमरान खान ने धर्म की राजनीति शुरू कर दी। वह पूरी दुनिया में खुद को इस्लामिक देशों के मसीहा के रूप में पेश करने लगे। इमरान अपने हर भाषण में इस्लाम, इस्लाम और इस्लाम के बारे में ही बातें करते थे। इससे पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था और बिगड़ गई। हालात काफी खराब होने लगे और विपक्ष को सरकार गिराने का दूसरा मौका मिल गया। 

3. चीन से कर्ज, अमेरिका से पंगा : सत्ता में आने के बाद इमरान खान ने आंख मूंदकर चीन पर भरोसा किया। चीन से खूब कर्ज लिया। अमेरिका के खिलाफ बोलने लगे। इतना की अमेरिका ने मदद देना बंद कर दिया। उधर, चीन भी कर्ज चुकाने के लिए दबाव डालने लगा। इससे पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पूरी तरह से टूट गई। 

4. महंगाई की मार झेल रहे पाकिस्तानियों का टैक्स बढ़ाया : सरकार बनाते ही इमरान खान ने महंगाई कम करने की बजाय टैक्स बढ़ा दिया। इससे आम लोग और परेशान हो गए। महंगाई और बढ़ गई। विपक्ष ने इसे मुद्दा बनाया और इमरान को समर्थन देने वाली पार्टियों को अपने साथ ले आए। इससे इमरान खान अल्पमत में आ गए। 

5. भ्रष्टाचार रोकने के नाम पर विपक्ष को परेशान किया : भ्रष्टाचार रोकने के नाम पर इमरान खान ने विपक्ष के नेताओं को खूब परेशान किया। शहबाज शरीफ, भुट्टो से लेकर मौलाना फजल-उर-रहमान तक के आवास पर छापे पड़े। शहबाज शरीफ को जेल में रहना पड़ा। इससे विपक्ष एकजुट हो गया।

 
राजनीतिक विश्लेषक प्रो. शर्मा कहते हैं कि सत्ता गंवा चुके इमरान के पास अब सिर्फ दो विकल्प हैं। पहला ये कि नई सरकार को स्वीकार कर चुनाव तक शांत हो जाएं और दूसरा ये कि जिस तरह से वह जनता के बीच जाकर रैलियां कर रहे हैं, वो करते रहें। जनता को बताएं कि उनके खिलाफ साजिश हुई है। दूसरे विकल्प की संभावना ज्यादा है। इमरान हार नहीं मानेंगे और वह विदेशी षड़यंत्र का आरोप लगाकर जनता के बीच माहौल बनाएंगे। रैलियों में इमरान लगातार विपक्ष के खिलाफ हमलावर होते रहे हैं। ऐसे में सरकार में आने के बाद विपक्ष उनपर कानूनी कार्रवाई शुरू करवा सकती है। अगर ऐसा हुआ तो इमरान जेल भी भेजे जा सकते हैं।

विस्तार

पाकिस्तान में पिछले 33 दिनों से चला आ रहा राजनीतिक संकट अब खत्म गया है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद पाकिस्तानी संसद में शनिवार को दिनभर खूब ड्रामा हुआ। देर रात स्पीकर, डिप्टी स्पीकर ने इस्तीफा दे दिया। फिर नए स्पीकर ने  अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग कराया। इसमें इमरान बहुमत साबित नहीं कर पाए। इसी के साथ इमरान के हाथों से पाकिस्तान की सत्ता चली गई। अब विपक्ष की ओर से सरकार बनाने का प्रस्ताव पेश किया जाएगा। 

2018 में हुए आम चुनाव में इमरान खान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) ने सबसे ज्यादा 149 सीटें जीती थीं। शहबाज शरीफ की पाकिस्तान मुस्लिम लीग यानी पीएमएल-(एल) को 82 और बिलावल भुट्टो की पीपीपी को 54 सीटें मिलीं थीं। 342 सदस्यों वाली संसद में 172 बहुमत का आंकड़ा है। तब इमरान खान ने कुछ छोटी पार्टियों और निर्दलीय उम्मीदवारों की मदद से सरकार बना ली थी। 

तीन साल बाद इमरान खान से छोटी पार्टियों ने समर्थन वापस ले लिया। पीटीआई के कई सांसदों ने भी विपक्ष को समर्थन दे दिया। अब इमरान खान की सरकार गिरने के बाद यह सवाल उठना वाजिब है कि आखिर इमरान खान ने कौन सी गलतियां कीं, जिसके चलते उनकी सरकार चली गई? अब आगे क्या होगा? आइए जानते हैं…

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