वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, इस्लामाबाद
Published by: Harendra Chaudhary
Updated Sat, 05 Feb 2022 06:44 PM IST
सार
चीनी परियोजनाओं पर निगाह रखने वाले अंतरराष्ट्रीय पर्यवेक्षकों ने आशंका जताई है कि ताजा समझौतों के साथ पाकिस्तान पर चीन का शिकंजा और कस जाएगा। इमरान खान की ताजा यात्रा से पाकिस्तान को आर्थिक मदद जरूर मिलेगी, लेकिन यह आगे चल कर उसके कर्ज जाल में फंसने की वजह भी बन सकती है…
बीजिंग यात्रा पर गए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान चीन की चिंताओँ को दूर करने के लिए वहां एड़ी-चोटी का जोर लगाए हुए हैं। वहां से मिल रही खबरों के मुताबिक और अधिक आर्थिक मदद की आस लेकर बीजिंग गए इमरान खान चीन की हर मांग मानने को तैयार दिख रहे हैं। इस खबर को इसी सिलसिले में देखा गया है कि पाकिस्तान सरकार ग्वादार में लगे बिजली संयंत्र को प्राथमिकता के आधार पर हरी झंडी देने को राजी हो गई है। हरी झंडी मिलने से इस संयंत्र से बिजली की खरीदारी का रास्ता साफ हो जाएगा। उससे चीन की एक बड़ी मांग पूरी होगी।
ग्वादार प्लांट से बिजली चीन-पाकिस्तान इकॉनमिक कोरिडोर को दी जाएगी। उस क्षेत्र में बिजली की भारी किल्लत है। इसलिए वहां अभी ईरान से आयात की गई बिजली से काम चलाया जा रहा है। पाकिस्तान के अखबार एक्सप्रेस ट्रिब्यून के मुताबिक बीजिंग में पाकिस्तान और चीन के बीच इस बात भी सहमति बनी है कि ग्वादार में बन रही कुछ परियोजनाओं के पूरा होने की समयसीमा बढ़ा दी जाए। वहां काम लटके रहने के कारण अब तक चीन नाराज रहा है।
इमरान ने दी सफाई
बीजिंग में इमरान खान का बहुत व्यस्त कार्यक्रम है। शुक्रवार को चीन के नेशनल डेवलपमेंट एंड रिफॉर्म कमीशन (एनडीआरसी) के साथ उनकी वर्चुअल बैठक हुई। उसमें सीपीईसी से जुड़ी परियोजनाओं पर हुई प्रगति की समीक्षा की गई। इस बैठक में इमरान खान ने सफाई दी कि कोरोना महामारी के कारण सीपीईसी से जुड़ी कुछ परियोजनाओं पर अपेक्षित गति से काम आगे नहीं बढ़ा है। उन्होंने इस बात के लिए आभार जताया कि अपेक्षित प्रगति न होने के बाद एनडीआरसी का सहयोग पाकिस्तान को मिल रहा है।
बीजिंग में इमरान खान की कई चीनी कंपनियों के अधिकारियों के साथ भी बैठक हुई है। पाकिस्तान के अखबारों में कहा गया है कि इन बैठकों के कारण पाकिस्तान में अरबों डॉलर के निवेश का रास्ता खुल सकता है। इमरान खान वैसे तो बीजिंग विंटर ओलंपिक खेलों के उद्घाटन सत्र में शामिल होने के लिए चीन यात्रा पर गए हैं, लेकिन खबरों से साफ है कि उनका ज्यादा ध्यान पाकिस्तान के लिए आर्थिक सहायता जुटाने पर है। पाकिस्तान इस समय गहरे आर्थिक संकट में है। ऐसे में पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) सरकार को उम्मीद है कि चीन की उसे उदारता से मदद मिलेगी।
कृषि और दूरसंचार के क्षेत्र में भी चीनी निवेश
प्रधानमंत्री खान के साथ सीपीईसी से संबंधित उनके सहयोगी खालिद मंसूर भी चीन गए हैं। उनके मुताबिक चीन की तीन कंपनियां ग्वादार में धातु और कागज की रिप्रोसेसिंग का प्लांट लगाने पर राजी हुई हैं। इसके अलावा चीन कृषि और दूरसंचार के क्षेत्र में भी पाकिस्तान में निवेश करेगा। ये फैसला हुआ है कि दोनों देश 2030 के बाद भी औद्योगिक सहयोग जारी रखेंगे।
चीनी परियोजनाओं पर निगाह रखने वाले अंतरराष्ट्रीय पर्यवेक्षकों ने आशंका जताई है कि ताजा समझौतों के साथ पाकिस्तान पर चीन का शिकंजा और कस जाएगा। इमरान खान की ताजा यात्रा से पाकिस्तान को आर्थिक मदद जरूर मिलेगी, लेकिन यह आगे चल कर उसके कर्ज जाल में फंसने की वजह भी बन सकती है। लेकिन पाकिस्तानी मीडिया में फिलहाल उत्साह का माहौल है। इसमें इमरान खान की यात्रा को उसके पूरा होने के पहले ही सफल बताया जाने लगा है।
विस्तार
बीजिंग यात्रा पर गए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान चीन की चिंताओँ को दूर करने के लिए वहां एड़ी-चोटी का जोर लगाए हुए हैं। वहां से मिल रही खबरों के मुताबिक और अधिक आर्थिक मदद की आस लेकर बीजिंग गए इमरान खान चीन की हर मांग मानने को तैयार दिख रहे हैं। इस खबर को इसी सिलसिले में देखा गया है कि पाकिस्तान सरकार ग्वादार में लगे बिजली संयंत्र को प्राथमिकता के आधार पर हरी झंडी देने को राजी हो गई है। हरी झंडी मिलने से इस संयंत्र से बिजली की खरीदारी का रास्ता साफ हो जाएगा। उससे चीन की एक बड़ी मांग पूरी होगी।
ग्वादार प्लांट से बिजली चीन-पाकिस्तान इकॉनमिक कोरिडोर को दी जाएगी। उस क्षेत्र में बिजली की भारी किल्लत है। इसलिए वहां अभी ईरान से आयात की गई बिजली से काम चलाया जा रहा है। पाकिस्तान के अखबार एक्सप्रेस ट्रिब्यून के मुताबिक बीजिंग में पाकिस्तान और चीन के बीच इस बात भी सहमति बनी है कि ग्वादार में बन रही कुछ परियोजनाओं के पूरा होने की समयसीमा बढ़ा दी जाए। वहां काम लटके रहने के कारण अब तक चीन नाराज रहा है।
इमरान ने दी सफाई
बीजिंग में इमरान खान का बहुत व्यस्त कार्यक्रम है। शुक्रवार को चीन के नेशनल डेवलपमेंट एंड रिफॉर्म कमीशन (एनडीआरसी) के साथ उनकी वर्चुअल बैठक हुई। उसमें सीपीईसी से जुड़ी परियोजनाओं पर हुई प्रगति की समीक्षा की गई। इस बैठक में इमरान खान ने सफाई दी कि कोरोना महामारी के कारण सीपीईसी से जुड़ी कुछ परियोजनाओं पर अपेक्षित गति से काम आगे नहीं बढ़ा है। उन्होंने इस बात के लिए आभार जताया कि अपेक्षित प्रगति न होने के बाद एनडीआरसी का सहयोग पाकिस्तान को मिल रहा है।
बीजिंग में इमरान खान की कई चीनी कंपनियों के अधिकारियों के साथ भी बैठक हुई है। पाकिस्तान के अखबारों में कहा गया है कि इन बैठकों के कारण पाकिस्तान में अरबों डॉलर के निवेश का रास्ता खुल सकता है। इमरान खान वैसे तो बीजिंग विंटर ओलंपिक खेलों के उद्घाटन सत्र में शामिल होने के लिए चीन यात्रा पर गए हैं, लेकिन खबरों से साफ है कि उनका ज्यादा ध्यान पाकिस्तान के लिए आर्थिक सहायता जुटाने पर है। पाकिस्तान इस समय गहरे आर्थिक संकट में है। ऐसे में पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) सरकार को उम्मीद है कि चीन की उसे उदारता से मदद मिलेगी।
कृषि और दूरसंचार के क्षेत्र में भी चीनी निवेश
प्रधानमंत्री खान के साथ सीपीईसी से संबंधित उनके सहयोगी खालिद मंसूर भी चीन गए हैं। उनके मुताबिक चीन की तीन कंपनियां ग्वादार में धातु और कागज की रिप्रोसेसिंग का प्लांट लगाने पर राजी हुई हैं। इसके अलावा चीन कृषि और दूरसंचार के क्षेत्र में भी पाकिस्तान में निवेश करेगा। ये फैसला हुआ है कि दोनों देश 2030 के बाद भी औद्योगिक सहयोग जारी रखेंगे।
चीनी परियोजनाओं पर निगाह रखने वाले अंतरराष्ट्रीय पर्यवेक्षकों ने आशंका जताई है कि ताजा समझौतों के साथ पाकिस्तान पर चीन का शिकंजा और कस जाएगा। इमरान खान की ताजा यात्रा से पाकिस्तान को आर्थिक मदद जरूर मिलेगी, लेकिन यह आगे चल कर उसके कर्ज जाल में फंसने की वजह भी बन सकती है। लेकिन पाकिस्तानी मीडिया में फिलहाल उत्साह का माहौल है। इसमें इमरान खान की यात्रा को उसके पूरा होने के पहले ही सफल बताया जाने लगा है।
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