अमर उजाला रिसर्च डेस्क, नई दिल्ली।
Published by: योगेश साहू
Updated Tue, 16 Nov 2021 05:47 AM IST
सार
द्वीप का अधिकतर हिस्सा जलमग्न हो चुका है। लोग द्वीप छोड़कर दूसरे देशों को पलायन कर रहे हैं। पिछले कुछ वर्षों में 4000 लोग न्यूजीलैंड जाकर बस चुके हैं। बाकी 11000 लोगों को भी सरकार कहीं और बसाने पर विचार कर रही है।
तुवालू के विदेश मंत्री साइमन काफे और इनसेट में चारों ओर से समुद्र से घिरा द्वीप देश।
– फोटो : Amar Ujala
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विस्तार
प्रशांत महासागर में ऑस्ट्रेलिया और हवाई के बीच स्थित द्वीप देश है तुवालू। चारों तरफ से महासागर से घिरे तुवालू की तस्वीर में समुद्र में डूबी जमीन भी नजर आती है। अपने अस्तित्व पर मंडराते इस खतरे से दुनिया को आगाह कराने के लिए ही तुवालू के विदेश मंत्री साइमन काफे ने द्वीप पर घुटनों तक पानी में खड़े होकर कॉप26 सम्मेलन को अपना वीडियो संदेश भेजा था। हालांकि सम्मेलन से द्वीप देश के प्रतिनिधि बेहद निराश होकर ही लौटे।
- दुखद यह है कि 1993 से समुद्री जलस्तर हर साल 0.5 सेमी बढ़ने से 11 हजार लोगों की आबादी वाले द्वीप की जमीन साल-दर-साल कुछ इंच समुद्र में समाती जा रही है।
- द्वीप का अधिकतर हिस्सा जलमग्न हो चुका है। लोग द्वीप छोड़कर दूसरे देशों को पलायन कर रहे हैं। पिछले कुछ वर्षों में 4000 लोग न्यूजीलैंड जाकर बस चुके हैं। बाकी 11000 लोगों को भी सरकार कहीं और बसाने पर विचार कर रही है।
- सदी के अंत तक समुद्रस्तर एक मीटर बढ़ने की आशंका है। इसी के साथ द्वीप का नामोनिशान मिट जाएगा।
कोयले का इस्तेमाल घटाने के अथक प्रयास जारी : चीन
कोयले को लेकर ग्सालगो जलवायु समझौते को कमजोर कराने के लिए आलोचना झेल रहे चीन ने कहा है कि उसने पहले से ही जीवाश्म ईंधन के नियंत्रण और इस्तेमाल कम करने के भारी प्रयास किए हैं। कॉप 26 अध्यक्ष आलोक शर्मा के बयान के बारे में पूछे जाने पर चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने यह प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा, ऊर्जा बदलाव राष्ट्रीय परिस्थितियों के आधार पर होनी चाहिए और विकासशील राष्ट्रों को ऊर्जा सुरक्षा की गारंटी मिले।