एजेंसी, वॉशिंगटन
Published by: देव कश्यप
Updated Sat, 05 Feb 2022 03:58 AM IST
सार
आईएमएफ की प्रबंध निदेशक क्रिस्टलीना जॉर्जीवा ने कहा कि हम भारत के तेज वृद्धि दर के अपने अनुमान पर कायम हैं। हालांकि, 2022 के लिए इसमें मामूली संशोधन है। इस दौरान यह 9.5 फीसदी के हमारे अनुमान से घटकर 9 फीसदी तक आ सकती है।
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विस्तार
जॉर्जीवा ने कहा कि हम भारत के तेज वृद्धि दर के अपने अनुमान पर कायम हैं। हालांकि, 2022 के लिए इसमें मामूली संशोधन है। इस दौरान यह 9.5 फीसदी के हमारे अनुमान से घटकर 9 फीसदी तक आ सकती है। लेकिन, 2023 के लिए हम अपने वृद्धि दर अनुमान को बढ़ा रहे हैं क्योंकि जिन-जिन क्षेत्रों में सतत विकास का अनुमान लगाया गया है, उनमें हमें भी लगता है कि बेहतर विकास दर जारी रहेगी। प्रबंध निदेशक ने कहा कि इस बात को लेकर हमारा रुख बहुत ही सकारात्मक है कि भारत लघु अवधि के मुद्दों से निपटने के बारे में विचार कर रहा है। साथ ही दीर्घकालिक संरचनात्मक मजबूती पर जोर दे रहा है।
अर्थव्यवस्था के प्रमुख इंजनों को मजबूत रखने की सोच
वित्तमंत्री ने एक फरवरी को 39.45 लाख करोड़ रुपये का बजट पेश किया था। इसमें सड़कों से लेकर किफायती आवासों तक पर अत्यधिक खर्च का प्रस्ताव है। जॉर्जीवा ने कहा कि इस तरह के बजट के पीछे महामारी से उबरती अर्थव्यवस्था के प्रमुख इंजनों को मजबूत रखने की सोच है। बजट में रोजगार सृजन और आर्थिक गतिविधियों के मजबूत करने के लिए बुनियादी ढांचा परियोजनाओं पर खर्च पर जोर दिया गया है। 2022-23 के लिए पूंजीगत खर्च 35 फीसदी वृद्धि के साथ 7.5 लाख करोड़ का प्रस्ताव है।
आर्थिक चुनौतियों से निपटने की गुंजाइश : मूडीज
मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस ने शुक्रवार को कहा कि भारत के बजट में वृद्धि अनुमान को सावधानीपूर्वक रखा गया है। इससे सरकार के लिए व्यापक आर्थिक मोर्चे पर मौजूदा हालात और महामारी से पैदा जोखिमों से अगले वर्ष निपटने की गुंजाइश है। मूडीज ने कहा कि ऐसे समय में जब अर्थव्यवस्था पटरी पर लौट रही है, तब पूंजीगत खर्च पर ध्यान दिया गया है। यह निकट भविष्य में वृद्धि को समर्थन देगा। हालांकि, लंबी अवधि में राजकोषीय मजबूती को लेकर कुछ चुनौतियां भी हैं। बजट में केंद्र का राजकोषीय घाटा 2022-23 में 6.4 फीसदी रहने का अनुमान जताया गया है। चालू वित्त वर्ष में इसके 6.9 फीसदी रहने का अनुमान है।
राजकोषीय मोर्च पर स्पष्टता नहीं
मूडीज ने कहा कि बजट में 2025-26 तक राजकोषीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद के 4.5 फीसदी लाने का लक्ष्य रखा गया है। इस लक्ष्य को कैसे हासिल किया जाएगा, इसे लेकर चीजें साफ नहीं है। हालांकि, बजट धीरे-धीरे वित्तीय मजबूती और सरकार के कर्ज में लगातार बढ़ोतरी के हमारे विचार के अनुरूप है। सरकारी कर्ज अगले साल जीडीपी का करीब 91 फीसदी पहुंच जाएगा।