न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: Amit Mandal
Updated Mon, 04 Apr 2022 10:56 PM IST
सार
इस शोध से उम्मीद है कि यह विभिन्न क्षेत्रों के आधार पर बेहतर और अधिक प्रभावी ड्राइवट्रेन का निर्माण करेगा।
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, गुवाहाटी के शोधकर्ताओं ने अपनी तरह की अनूठी तकनीक विकसित की है जो भारत में इलेक्ट्रिक गाड़ियों की मोटर और बैटरी को श्रेणीबद्ध करती है। यह तकनीक भारतीय परिस्थितियों में इन वाहनों के लिए बेहतरीन ड्राइवट्रेन उपकरणों को बढ़ावा देती है। ड्राइवट्रेन उपकरणों का समूह होता है जो वाहन के पहियों को शक्ति देता है।
आईआईटी गुवाहाटी में इलेक्ट्रानिक्स एवं इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग में प्रोफेसर प्रवीण कुमार के मुताबिक, आर्द्र क्षेत्र के लिए विकसित इलेक्ट्रॉनिक ड्राइवट्रेन (घटकों का समूह जो पहियों को ऊर्जा प्रदान करता है) शुष्क और ठंडे वातावरण में काम नहीं करती है। लिहाजा, मूल उपकरण निर्माता (ओईएम) अब भारतीय स्थितियों के लिए मानक ड्राइव साइकिल बनाने पर विचार कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि फिलहाल कोई भी ओईएम इस तकनीक का इस्तेमाल नहीं करता। इस शोध से उम्मीद है कि यह विभिन्न क्षेत्रों के आधार पर बेहतर और अधिक प्रभावी ड्राइवट्रेन का निर्माण करेगा। आईआईटी गुवाहाटी की ‘इलेक्ट्रिक मोबिलिटी लेबोरेटरी’ के शोधार्थियों ने ग्रामीण और शहरी इलाकों में भारतीय मौसमी स्थितियों पर ध्यान केंद्रित किया है। शोधार्थियों का दावा है कि आईआईटी गुवाहाटी की टीम द्वारा विकसित किया गया ‘ड्राइव-साइकिल’ अनूठा है और कहीं भी उपलब्ध नहीं है।
विस्तार
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, गुवाहाटी के शोधकर्ताओं ने अपनी तरह की अनूठी तकनीक विकसित की है जो भारत में इलेक्ट्रिक गाड़ियों की मोटर और बैटरी को श्रेणीबद्ध करती है। यह तकनीक भारतीय परिस्थितियों में इन वाहनों के लिए बेहतरीन ड्राइवट्रेन उपकरणों को बढ़ावा देती है। ड्राइवट्रेन उपकरणों का समूह होता है जो वाहन के पहियों को शक्ति देता है।
आईआईटी गुवाहाटी में इलेक्ट्रानिक्स एवं इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग में प्रोफेसर प्रवीण कुमार के मुताबिक, आर्द्र क्षेत्र के लिए विकसित इलेक्ट्रॉनिक ड्राइवट्रेन (घटकों का समूह जो पहियों को ऊर्जा प्रदान करता है) शुष्क और ठंडे वातावरण में काम नहीं करती है। लिहाजा, मूल उपकरण निर्माता (ओईएम) अब भारतीय स्थितियों के लिए मानक ड्राइव साइकिल बनाने पर विचार कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि फिलहाल कोई भी ओईएम इस तकनीक का इस्तेमाल नहीं करता। इस शोध से उम्मीद है कि यह विभिन्न क्षेत्रों के आधार पर बेहतर और अधिक प्रभावी ड्राइवट्रेन का निर्माण करेगा। आईआईटी गुवाहाटी की ‘इलेक्ट्रिक मोबिलिटी लेबोरेटरी’ के शोधार्थियों ने ग्रामीण और शहरी इलाकों में भारतीय मौसमी स्थितियों पर ध्यान केंद्रित किया है। शोधार्थियों का दावा है कि आईआईटी गुवाहाटी की टीम द्वारा विकसित किया गया ‘ड्राइव-साइकिल’ अनूठा है और कहीं भी उपलब्ध नहीं है।
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