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अर्थव्यवस्था में सुधार: अग्रिम कर संग्रह 41 प्रतिशत बढ़ा, प्रत्यक्ष कर संग्रह में भी 48 फीसदी का इजाफा

अर्थव्यवस्था में सुधार: अग्रिम कर संग्रह 41 प्रतिशत बढ़ा, प्रत्यक्ष कर संग्रह में भी 48 फीसदी का इजाफा

देश में चालू वित्त वर्ष में अग्रिम कर भुगतान में 41 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। इसके साथ व्यक्तिगत और कंपनी आय से कर संग्रह चालू वित्त वर्ष में 48 प्रतिशत से अधिक बढ़ा है। यह कोरोना वायरस महामारी से प्रभावित अर्थव्यवस्था में लगातार हो रहे आर्थिक सुधार को बताता है। आधिकारिक बयान के अनुसार शुद्ध रूप से प्रत्यक्ष कर संग्रह चालू वित्त वर्ष में 16 मार्च 2022 तक 13.63 लाख करोड़ रुपये रहा। एक साल पहले 2020-21 की इसी अवधि में यह 9.18 लाख करोड़ रुपये था।

चालू वित्त वर्ष में शुद्ध रूप से प्रत्यक्ष कर संग्रह महामारी-पूर्व 2019-20 के 9.56 लाख करोड़ रुपये के मुकाबले 35 प्रतिशत अधिक है। इस श्रेणी में व्यक्तिगत आय पर कर, कंपनियों को होने वाले लाभ पर कर, संपत्ति कर और उत्तराधिकार कर और उपहार कर शामिल हैं। अग्रिम कर संग्रह 40.75 फीसदी बढ़कर 6.62 लाख करोड़ रुपये रहा। इसकी चौथी किस्त जमा करने की अंतिम तिथि 15 मार्च थी।

वैश्विक संकट के बावजूद भारत पुनरुद्धार के रास्ते पर अग्रसर
यूक्रेन पर रूस के हमले के कारण उत्पन्न भू-राजनीतिक संकट के बावजूद भारत पुनरुद्धार के रास्ते पर बढ़ रहा है। इसका कारण देश का महामारी की तीसरी लहर से बाहर आना है। हालांकि, वैश्विक चुनौतियों को देखते हुए जोखिम बना हुआ है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के एक लेख में यह कहा गया है।

आरबीआई बुलेटिन में ‘अर्थव्यवस्था की स्थिति’ विषय पर प्रकाशित लेख में कहा गया है कि देश की आर्थिक बुनियाद मजबूत बनी हुई है। लेकिन वैश्विक गतिविधियों के प्रभाव को देखते हुए जोखिम बना हुआ है। इसमें कहा गया है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था अभी महामारी से बाहर आने को संघर्ष कर ही रही थी, ऐसे में भू-राजनीतिक संकट ने वैश्विक वृहत आर्थिक और वित्तीय परिदृश्य को लेकर अनिश्चिता बढ़ा दी है।

लेख के अनुसार, तेल और गैस के बढ़ते दाम और वित्तीय बाजारों में उठापटक वैश्विक पुनरुद्धार के लिए नई चुनौतियां हैं। इस कठिन समय में भारत घरेलू मोर्चे पर प्रगति कर रहा है। इसका प्रमुख कारण देश का कोविड-19 की तीसरी लहर के प्रभाव से बाहर आना है। रिजर्व बैंक ने यह भी साफ किया है कि लेख में विचार लेखकों के हैं और यह जरूरी नहीं है कि वह केंद्रीय बैंक की सोच से मिलते हों।

यूक्रेन संकट का वैश्विक अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा असर
आरबीआई के अधिकारियों द्वारा लिखे गए लेख में कहा गया है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था यूक्रेन पर हमले से प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना कर रही है। तेल की कीमतें कई साल के उच्चस्तर पर पहुंच गई, वित्तीय बाजारों में उतार-चढ़ाव है। यह सोने जैसे सुरक्षित समझी जाने वाली संपत्तियों में निवेश का नतीजा है। लेखकों के अनुसार, इन कठिन चुनौतियों के बीच, मुद्रास्फीति में वृद्धि और वित्तीय स्थिरता जोखिम बढ़ने से वैश्विक वृद्धि परिदृश्य कमजोर हुआ है। 

युद्ध का जल्द समाधान नहीं होने पर संकट का वैश्विक पुनरुद्धार पर प्रतिकूल असर पड़ेगा। इससे 2022 और उसके बाद वैश्विक वृद्धि के अनुमान को घटाने की जरूरत पड़ सकती है। लेख में कहा गया है कि घरेलू मोर्चे पर रेस्तरां और सिनेमा हॉल जैसे सेवा क्षेत्र से जुड़ा कामकाज अब सामान्य हो रहे हैं। आवाजाही के संकेतक मार्च 2022 में उल्लेखनीय सुधार का संकेत देते हैं।  

लेख में कहा गया है कि आवाजाही बढ़ने से डीजल और पेट्रोल की खपत फरवरी 2022 में बढ़ी है। हालांकि, विमान ईंधन की मांग में कमी से कुल पेट्रोलियम खपत कम रही। वितरण में लगने वाले समय के साथ पंजीकरण में मुश्किलों से वाहनों की खुदरा बिक्री स्थिर बनी हुई है। इसके अनुसार, सकल राजकोषीय घाटा 2021-22 में अप्रैल-जनवरी के दौरान कम होकर संशोधित अनुमान का 58.9 प्रतिशत पर आ गया है।

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