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यूक्रेन संकट: रूस के हमले के खिलाफ भारत को मनाने में जुटा अमेरिका, व्हाइट हाउस ने कहा- प्रेरित करना जारी रखेंगे

वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, वॉशिंगटन
Published by: Amit Mandal
Updated Thu, 17 Mar 2022 08:31 PM IST

सार

यूक्रेन पर रूस के हमले में भारत ने अभी तक संतुलन बनाए रखा है और न तो उसने रूस का खुलकर साथ दिया है और न ही अमेरिका का। अमेरिका की कोशिश भारत को रूस के हमले के खिलाफ अपने पाले में करने की है। 

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रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच अमेरिका लगातार भारत को अपना रुख रूस के खिलाफ करने की कोशिशों में लगा है। भारत ने अब तक इस मामले में संतुलन बनाए रखा है। व्हाइट हाउस ने कहा है कि अमेरिका भारतीय नेताओं के संपर्क में है और यूक्रेन पर रूसी आक्रमण के खिलाफ उसके साथ मिलकर काम करने के लिए उन्हें प्रेरित करना जारी रखेगा। बुधवार को दैनिक संवाददाता सम्मेलन में व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव जेन साकी से पूछा गया था कि यूक्रेन में युद्ध के बीच क्षेत्र में शांति लाने के लिए दुनिया के सबसे बड़े और सबसे पुराने लोकतंत्र कैसे एक साथ काम कर रहे हैं। इस पर साकी ने कहा, हम हमारे राष्ट्रीय सुरक्षा दल के जरिए विभिन्न माध्यमों से भारत के नेताओं के संपर्क में हैं और यूक्रेन पर राष्ट्रपति पुतिन के हमले के खिलाफ खड़े होने के लिए हमारे साथ निकटता से काम करने के लिए लगातार प्रोत्साहित कर रहे हैं। 

24 फरवरी को रूस पर लगाए थे प्रतिबंध 
अमेरिका 24 फरवरी को यूक्रेन पर रूस के आक्रमण की निंदा करने और मॉस्को पर सख्त प्रतिबंध लगाने में उसका साथ देने के लिए दुनिया भर के देशों पर दबाव डाल रहा है। अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने पिछले सप्ताह कहा था कि अपने सहयोगियों और भागीदारों के साथ अमेरिका यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है कि रूस यूक्रेन पर आक्रमण के लिए एक गंभीर आर्थिक और राजनयिक कीमत चुकाए। शीर्ष अमेरिकी राजनयिक ने 11 मार्च को रूस के खिलाफ और प्रतिबंधों की घोषणा करते हुए कहा था कि हम यूक्रेन के खिलाफ रूस की आक्रामकता का सामना करने के लिए दुनिया भर में अपने सहयोगियों और भागीदारों के साथ बनाई गई मजबूत साझेदारी व एकजुटता का स्वागत करते हैं। 

पिछले दो सप्ताह में अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन के प्रशासन ने दिखाया है कि वह रूस के साथ भारत के संबंध और सैन्य व सुरक्षा जरूरतों के लिए उसकी मॉस्को पर अत्यधिक निर्भरता के मद्देनजर रूस के संबंध में भारत के रुख को समझता है। अमेरिकी हिंद प्रशांत कमान के कमांडर एडमिरल जॉन क्रिस्टोफर एक्विलिनो ने पिछले सप्ताह संसद में एक सुनवाई के दौरान कहा था कि अमेरिका और भारत एक जबरदस्त साझेदार हैं और दोनों देशों की सेनाओं के बीच संबंध शीर्ष बिंदु पर हैं।

भारत के राजदूत को लिखा दो सांसदों ने पत्र 
अमेरिका में भारत के राजदूत तरनजीत सिंह संधू को दो सांसदों टेड डब्ल्यू ल्यू और टॉम मालिनोव्स्की ने पत्र लिखकर कहा, हालांकि हम भारत के रूस के साथ संबंधों से वाकिफ हैं, लेकिन हम संयुक्त राष्ट्र महासभा में दो मार्च को हुए मतदान में हिस्सा नहीं लेने के आपकी सरकार के फैसले से निराश हैं। उन्होंने कहा कि रूस द्वारा बिना उकसावे के किया गया हमला नियम आधारित व्यवस्था की अनदेखी करता है। यूक्रेन पर हमला कर रूस उन नियमों को नष्ट करने की कोशिश कर रहा है जो भारत की भी सुरक्षा करते हैं। 

पत्र में कहा गया है, हम समझते हैं कि भारत मुश्किल भरे बीच के रास्ते पर चल रहा है, लेकिन रूस की कार्रवाई का 21वीं सदी में कोई स्थान नहीं है। कई देश जिनके रूस के साथ संबंध थे, उन्होंने सही काम किया और रूसी सरकार की आलोचना की। उन्होंने इतिहास में सही साबित होने वाले पक्ष का चयन किया और भारत को भी ऐसा ही करना चाहिए। 

विस्तार

रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच अमेरिका लगातार भारत को अपना रुख रूस के खिलाफ करने की कोशिशों में लगा है। भारत ने अब तक इस मामले में संतुलन बनाए रखा है। व्हाइट हाउस ने कहा है कि अमेरिका भारतीय नेताओं के संपर्क में है और यूक्रेन पर रूसी आक्रमण के खिलाफ उसके साथ मिलकर काम करने के लिए उन्हें प्रेरित करना जारी रखेगा। बुधवार को दैनिक संवाददाता सम्मेलन में व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव जेन साकी से पूछा गया था कि यूक्रेन में युद्ध के बीच क्षेत्र में शांति लाने के लिए दुनिया के सबसे बड़े और सबसे पुराने लोकतंत्र कैसे एक साथ काम कर रहे हैं। इस पर साकी ने कहा, हम हमारे राष्ट्रीय सुरक्षा दल के जरिए विभिन्न माध्यमों से भारत के नेताओं के संपर्क में हैं और यूक्रेन पर राष्ट्रपति पुतिन के हमले के खिलाफ खड़े होने के लिए हमारे साथ निकटता से काम करने के लिए लगातार प्रोत्साहित कर रहे हैं। 

24 फरवरी को रूस पर लगाए थे प्रतिबंध 

अमेरिका 24 फरवरी को यूक्रेन पर रूस के आक्रमण की निंदा करने और मॉस्को पर सख्त प्रतिबंध लगाने में उसका साथ देने के लिए दुनिया भर के देशों पर दबाव डाल रहा है। अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने पिछले सप्ताह कहा था कि अपने सहयोगियों और भागीदारों के साथ अमेरिका यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है कि रूस यूक्रेन पर आक्रमण के लिए एक गंभीर आर्थिक और राजनयिक कीमत चुकाए। शीर्ष अमेरिकी राजनयिक ने 11 मार्च को रूस के खिलाफ और प्रतिबंधों की घोषणा करते हुए कहा था कि हम यूक्रेन के खिलाफ रूस की आक्रामकता का सामना करने के लिए दुनिया भर में अपने सहयोगियों और भागीदारों के साथ बनाई गई मजबूत साझेदारी व एकजुटता का स्वागत करते हैं। 

पिछले दो सप्ताह में अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन के प्रशासन ने दिखाया है कि वह रूस के साथ भारत के संबंध और सैन्य व सुरक्षा जरूरतों के लिए उसकी मॉस्को पर अत्यधिक निर्भरता के मद्देनजर रूस के संबंध में भारत के रुख को समझता है। अमेरिकी हिंद प्रशांत कमान के कमांडर एडमिरल जॉन क्रिस्टोफर एक्विलिनो ने पिछले सप्ताह संसद में एक सुनवाई के दौरान कहा था कि अमेरिका और भारत एक जबरदस्त साझेदार हैं और दोनों देशों की सेनाओं के बीच संबंध शीर्ष बिंदु पर हैं।

भारत के राजदूत को लिखा दो सांसदों ने पत्र 

अमेरिका में भारत के राजदूत तरनजीत सिंह संधू को दो सांसदों टेड डब्ल्यू ल्यू और टॉम मालिनोव्स्की ने पत्र लिखकर कहा, हालांकि हम भारत के रूस के साथ संबंधों से वाकिफ हैं, लेकिन हम संयुक्त राष्ट्र महासभा में दो मार्च को हुए मतदान में हिस्सा नहीं लेने के आपकी सरकार के फैसले से निराश हैं। उन्होंने कहा कि रूस द्वारा बिना उकसावे के किया गया हमला नियम आधारित व्यवस्था की अनदेखी करता है। यूक्रेन पर हमला कर रूस उन नियमों को नष्ट करने की कोशिश कर रहा है जो भारत की भी सुरक्षा करते हैं। 

पत्र में कहा गया है, हम समझते हैं कि भारत मुश्किल भरे बीच के रास्ते पर चल रहा है, लेकिन रूस की कार्रवाई का 21वीं सदी में कोई स्थान नहीं है। कई देश जिनके रूस के साथ संबंध थे, उन्होंने सही काम किया और रूसी सरकार की आलोचना की। उन्होंने इतिहास में सही साबित होने वाले पक्ष का चयन किया और भारत को भी ऐसा ही करना चाहिए। 

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