एजेंसी, काबुल।
Published by: Jeet Kumar
Updated Wed, 17 Nov 2021 04:04 AM IST
सार
तालिबान के लिए भी आईएस एक खतरा है इसलिए अफगानिस्तान का शिया हजारा समुदाय तालिबान से सुरक्षा पाने को मजबूर हुआ है।
अगस्त में अफगानिस्तान पर तालिबान कब्जे के बाद देश में शियाओं के साथ नए रिश्तों के संकेत मिल रहे हैं। दरअसल, शियाओं को सुन्नी मुस्लिमों से खतरा है जिसमें तालिबान और आईएस दोनों आते हैं लेकिन इन दोनों में से आईएस उनके लिए ज्यादा बड़ा खतरा है।
काबुल में एक शिया मस्जिद के बाहर पहरा दे रहे चार सशस्त्र तालिबान लड़ाकों में शुक्रवार की नजाज के लिए एक शिया हजारा अल्पसंख्यक भी शामिल था। हजारा समुदाय के सोहराब नामक इस गार्ड ने बताया कि तालिबान लड़ाकों का उसके साथ ठीक बर्ताव रहता है। वे कभी-कभी हमारी मस्जिद में नमाज भी अदा करते हैं।
हालांकि पूरे अफगानिस्तान में ऐसा ही है यह जरूरी नहीं लेकिन बदलाव के संकेत हैं। हजारा समुदाय के नेताओं का कहना है कि वे तालिबान नेतृत्व से कई बार मिल चुके हैं और सरकार में हिस्सेदारी के लिए मांग कर चुके हैं। लेकिन अब कुछ उम्मीद बंधी है। हालांकि उनके साथ भेदभाव जारी है।
सुरक्षित माहौल देने की कोशिश : तालिबान
तालिबान सरकार केप्रवक्ता जबीहुल्लाह मुजाहिद ने कहा कि हम शिया हजारा समुदाय के लिए खासतौर पर सुरक्षित वातावरण बनाने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि शियाओं को अफगानिस्तान में ही होना चाहिए, न कि देश छोड़कर कहीं और जाना चाहिए। तालिबान प्रवक्ता ने कहा कि शिया हजारा समुदाय के अलावा अन्य अल्पसंख्यकों को भी पूरी सुरक्षा दी जाएगी।
विस्तार
अगस्त में अफगानिस्तान पर तालिबान कब्जे के बाद देश में शियाओं के साथ नए रिश्तों के संकेत मिल रहे हैं। दरअसल, शियाओं को सुन्नी मुस्लिमों से खतरा है जिसमें तालिबान और आईएस दोनों आते हैं लेकिन इन दोनों में से आईएस उनके लिए ज्यादा बड़ा खतरा है।
काबुल में एक शिया मस्जिद के बाहर पहरा दे रहे चार सशस्त्र तालिबान लड़ाकों में शुक्रवार की नजाज के लिए एक शिया हजारा अल्पसंख्यक भी शामिल था। हजारा समुदाय के सोहराब नामक इस गार्ड ने बताया कि तालिबान लड़ाकों का उसके साथ ठीक बर्ताव रहता है। वे कभी-कभी हमारी मस्जिद में नमाज भी अदा करते हैं।
हालांकि पूरे अफगानिस्तान में ऐसा ही है यह जरूरी नहीं लेकिन बदलाव के संकेत हैं। हजारा समुदाय के नेताओं का कहना है कि वे तालिबान नेतृत्व से कई बार मिल चुके हैं और सरकार में हिस्सेदारी के लिए मांग कर चुके हैं। लेकिन अब कुछ उम्मीद बंधी है। हालांकि उनके साथ भेदभाव जारी है।
सुरक्षित माहौल देने की कोशिश : तालिबान
तालिबान सरकार केप्रवक्ता जबीहुल्लाह मुजाहिद ने कहा कि हम शिया हजारा समुदाय के लिए खासतौर पर सुरक्षित वातावरण बनाने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि शियाओं को अफगानिस्तान में ही होना चाहिए, न कि देश छोड़कर कहीं और जाना चाहिए। तालिबान प्रवक्ता ने कहा कि शिया हजारा समुदाय के अलावा अन्य अल्पसंख्यकों को भी पूरी सुरक्षा दी जाएगी।
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