एजेंसी, काबुल।
Published by: योगेश साहू
Updated Wed, 12 Jan 2022 01:30 AM IST
सार
तालिबान के देश पर कब्जे के बाद करीब 80 फीसदी अफगानिस्तानी पत्रकारों ने अपना पेशा बदल लिया है। द खामा प्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, अफगानिस्तान के पत्रकार फाउंडेशन ने कहा है कि देश के पत्रकार सबसे खराब आर्थिक हालात से गुजर रहे हैं।
अफगानिस्तान में महिलाओं का संघर्ष
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विस्तार
हालांकि मंगलवार को भी यहां कुछ महिला कार्यकर्ताओं ने तालिबान शासन का विरोध जताया। महिला प्रदर्शनकारियों ने बताया कि उन्होंने सड़कों पर दिन के वक्त होने वाली हिंसा से बचने के लिए न सिर्फ दीवारों पर लिखना शुरू कर दिया है बल्कि लड़कियों के शिक्षा अधिकार, महिलाओं के काम का अधिकार, उनके कपड़ों की पसंद और सामाजिक व राजनीतिक जीवन में महिलाओं को शामिल करने के नारे लगाना जारी रखा है।
टोलो न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक, आंदोलन का यह एक नया तरीका है। एक प्रदर्शनकारी तमाना रेजाई ने कहा, हमें लगातार धमकियों व हिंसा का सामना करना पड़ा है इसलिए हमने अपने मौलिक अधिकारों के लिए भित्ति चित्रों की तरफ अपना रुख किया और इसे जारी रखेंगे। एक अन्य प्रदर्शनकारी लेडा और अजीज गुल ने कहा, महिलाओं को कपड़े पहनने की हिदायतें दी जा रही हैं, हम चुप नहीं बैठेंगे और आवाज बुलंद करते रहेंगे।
80 फीसदी अफगानिस्तानी पत्रकारों ने पेशा बदला
तालिबान के देश पर कब्जे के बाद करीब 80 फीसदी अफगानिस्तानी पत्रकारों ने अपना पेशा बदल लिया है। द खामा प्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, अफगानिस्तान के पत्रकार फाउंडेशन ने कहा है कि देश के पत्रकार सबसे खराब आर्थिक हालात से गुजर रहे हैं। इसका एक बड़ा कारण 79 फीसदी की नौकरी चली जाना है।
आंकड़े बताते हैं कि देश में 75 फीसदी तक मीडिया वित्तीय संकट के कारण बंद हो गया है। नंगरहार, लघमन, नूरिस्तान के पूर्वी प्रांतों में छह रेडियो स्टेशन बंद कर दिए गए हैं। देश में 40 प्रतिशत मीडिया आउटलेट ने काम करना बंद कर दिया है, और 80 प्रतिशत महिला पत्रकार और मीडियाकर्मी बेरोजगार हो गई हैं।