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Vladimir Putin India Visit: रूस और भारत के बीच हुए 28 अहम समझौते, दौरा छोटा लेकिन रिश्ते हुए और गहरे

सार

भारत ने अपने विश्वसनीय साझीदार देश रूस के साथ पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ जारी तनाव के मुद्दे पर भी चर्चा की। हालांकि विदेश सचिव श्रृंगला का कहना है कि इससे अधिक वह इस बारे में कुछ नहीं बता पाएंगे। भारत और रूस के बीच में अफगानिस्तान, वहां के ताजा हालात, ज्वलंत चुनौतियां, आतंकवाद तथा आसन्न खतरे पर भी चर्चा हुई…

पीएम मोदी और व्लादिमीर पुतिन
– फोटो : Agency

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चीन के साथ लद्दाख के मुद्दे पर तनाव को लेकर भी रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चर्चा हुई, लेकिन विदेश सचिव हर्ष वर्धन श्रृंगला ने कहा कि वह इसके बारे में और ज्यादा कुछ नहीं बता पाएंगे। दोनों शिखर नेताओं ने अफगानिस्तान से लेकर आतंकवाद और सभी संभावित द्विपक्षीय, क्षेत्रीय, अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर बात की। दिलचस्प है कि कोरोना काल के बाद पुतिन किसी देश के साथ द्विपक्षीय वार्ता के लिए पहली बार दौरे पर रूस से बाहर निकले। यह अब तक का भारत आने वाले किसी राष्ट्राध्यक्ष का सबसे छोटा दौरा रहा और 28 समझौतों तथा सहमतियों पर उनका प्रतिनिधिमंडल दस्तखत करके मास्को लौट गया।

इससे पहले व्लादिमीर पुतिन ने अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन के साथ भी आमने-सामने द्विपक्षीय चर्चा की थी, लेकिन इसके लिए उन्होंने जेनेवा का दौरा किया था। जबकि प्रधानमंत्री मोदी के साथ भारत-रूस संवाद समिट के लिए वह प्रतिनिधिमंडल के साथ नई दिल्ली आए।

रणनीतिक साझेदारी के 20 साल पूरे

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि इस साल शांति, दोस्ती और सहयोग की संधि के पचास साल और रणनीतिक साझेदारी के 20 साल पूरे हो रहे हैं। साझेदारी में 20 साल में जो उल्लेखनीय प्रगति हुई है, उसके मुख्य सूत्रधार पुतिन ही रहे हैं। प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में जिक्र किया कि दुनिया में तमाम तरह के बदलाव हुए लेकिन भारत-रूस की मित्रता निरंतर विश्वसनीय बनी रही। प्रधानमंत्री के वक्तव्यों के साथ पुतिन ने भी भारत को घनिष्ठ मित्र, ताकतवर और समय की कसौटी पर खरा देश बताया। दुनिया को संदेश भी दिया कि भारत और रूस सैन्य समेत कई क्षेत्रों में मिलकर काम कर रहे हैं।

2+2 डॉयलॉग और रिश्तों को मिला विश्वसनीय आयाम

अमेरिका, जापान और आस्ट्रेलिया के बाद रूस चौथा देश है, जिसके साथ भारत का 2+2 डॉयलॉग का रिश्ता है। हालांकि रूस के साथ इस फोरम पर चर्चा पहले शुरू हुई थी, लेकिन सहमति बाद में बनी। इसी फोरम पर भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव के साथ प्रतिनिधिमंडल स्तरीय वार्ता की और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अपने समकक्ष सर्गेई शुइगो के साथ तमाम मुद्दों पर चर्चा की। दोनों देश अगले दस साल के मिलिट्री टू मिलिट्री टेक्निकल को-ऑपरेशन के लिए सहमत हुए। दोनों देशों के बीच में 20 साल पहले इस सामरिक रणनीतिक साझेदारी पर सहमति बनी थी। दोनों देश इस समझौते को दस-दस साल के लिए करते हैं और इस बार इसके तीसरे टर्म को जारी रखने पर सहमति बनी है। अमेठी में रूस के सहयोग से अगले दस साल में संयुक्त उद्यम के जरिए एके-203 राइफल के निर्माण और आपूर्ति पर सहमति बनी।

समु्द्री क्षेत्र में सहयोग, सैन्य उपकरणों, रक्षा संबंधों को नया आयाम देने समेत तमाम मुद्दे चर्चा में शामिल हुए। विदेश सचिव हर्ष वर्धन श्रृंगला ने कहा कि दोनों देशों के बीच में अपने विश्वसनीय सहयोग को विस्तार देने के सभी मु्द्दे चर्चा में शामिल हुए। हालांकि अभी यह नहीं साफ हो सका है कि रक्षा क्षेत्र में हाइपरसोनिक तकनीक के विकास और सहयोग पर दोनों देशों का रुख क्या रहा। भारत की अकुला क्लास की पनडुब्बी लीज पर लेने की योजना कितनी साकार हो सकी। लॉजिस्टिक सपोर्ट के क्षेत्र में दोनों देशों ने क्या तय किया? इसके सामानांतर एक अच्छी सूचना भी है। भारत और रूस के बीच एस-400 प्रतिरक्षी मिसाइल प्रणाली के सौदे को ठोस आधार देकर समय पर इसकी आपूर्ति पर सहमत बन गई है। भारत ने इसके जरिए संदेश दिया कि उसकी विदेश नीति स्वतंत्र है और अमेरिका के प्रतिबंध कानून काटसा की परवाह किए बिना उसने रूस के साथ रिश्ते को महत्व दिया।

चीन के साथ जारी तनाव के मुद्दे पर भी चर्चा

भारत ने अपने विश्वसनीय साझीदार देश रूस के साथ पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ जारी तनाव के मुद्दे पर भी चर्चा की। हालांकि विदेश मंत्री श्रृंगला का कहना है कि इससे अधिक वह इस बारे में कुछ नहीं बता पाएंगे। भारत और रूस के बीच में अफगानिस्तान, वहां के ताजा हालात, ज्वलंत चुनौतियां, आतंकवाद तथा आसन्न खतरे पर भी चर्चा हुई। अफगानिस्तान को लेकर दोनों देशों का उद्देश्य एक है। भारत और रूस दोनों शांतिपूर्ण और स्थायी अफगानिस्तान चाहते हैं। इस दौरान चर्चा में अमेरिका के साथ बने क्वैड फोरम का भी मुद्दा उठा और भारत ने साफ कहा कि उसका क्वैड को लेकर अमेरिका और सहयोगियों के साथ मुद्दों पर आधारित संबंध है। इसी तरह से ऑकुस फोरम समेत तमाम आपसी हित के और क्षेत्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय हितों, सामुद्रिक क्षेत्र में सहयोग, हिंद महासागरीय क्षेत्र की स्थिति पर चर्चा हुई। समझा जा रहा है कि शिखर नेताओं की बैठक में यूक्रेन और रूस के बीच में बने तनाव जैसे हालात को लेकर भी चर्चा हुई है। बातचीत के केंद्र में नार्थ साउथ कॉरिडोर का मुद्दा भी रहा है।

28 समझौते, सहमति पत्र पर हुए दस्तखत

प्रधानमंत्री मोदी ने स्टील क्षेत्र में रूस को निवेश के लिए आमंत्रित किया है। इसके अलावा खाना बनाने वाले कोयला, गैस, हाइड्रोकार्बन समेत तमाम क्षेत्रों में भारत ने रुचि दिखाई है। दोनों देशों की चर्चा में परमाणु ऊर्जा, संस्कृति, व्यापार, साइबर सुरक्षा, जिओलॉजिकल सर्वे, विज्ञान एवं तकनीकी समेत क्षेत्रों में सहमति बनी है। विदेश सचिव हर्ष वर्धन श्रृंगला ने बताया कि इस दौरान दोनों देशों ने कुछ 28 समझौतों और आपसी सहमति पत्रों पर दस्तखत किए हैं। श्रृंगला ने कहा कि निश्चित रूप से यह राष्ट्रपति पुतिन का बहुत छोटा (कम समय का) दौरा था, लेकिन इस दौरान बहुत व्यापकता के साथ तमाम मुद्दों और बहुआयामी फलक पर चर्चा हुई। दोनों देशों ने रिश्ते की गहराई को बढ़ाने की दिशा में अपने प्रयासों को तेजी से बढ़ाया है। रूस के रक्षा और विदेश मंत्री ने हमारे रक्षा और विदेश मंत्री अगले साल रूस आने के लिए आमंत्रित किया है।

विस्तार

चीन के साथ लद्दाख के मुद्दे पर तनाव को लेकर भी रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चर्चा हुई, लेकिन विदेश सचिव हर्ष वर्धन श्रृंगला ने कहा कि वह इसके बारे में और ज्यादा कुछ नहीं बता पाएंगे। दोनों शिखर नेताओं ने अफगानिस्तान से लेकर आतंकवाद और सभी संभावित द्विपक्षीय, क्षेत्रीय, अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर बात की। दिलचस्प है कि कोरोना काल के बाद पुतिन किसी देश के साथ द्विपक्षीय वार्ता के लिए पहली बार दौरे पर रूस से बाहर निकले। यह अब तक का भारत आने वाले किसी राष्ट्राध्यक्ष का सबसे छोटा दौरा रहा और 28 समझौतों तथा सहमतियों पर उनका प्रतिनिधिमंडल दस्तखत करके मास्को लौट गया।

इससे पहले व्लादिमीर पुतिन ने अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन के साथ भी आमने-सामने द्विपक्षीय चर्चा की थी, लेकिन इसके लिए उन्होंने जेनेवा का दौरा किया था। जबकि प्रधानमंत्री मोदी के साथ भारत-रूस संवाद समिट के लिए वह प्रतिनिधिमंडल के साथ नई दिल्ली आए।

रणनीतिक साझेदारी के 20 साल पूरे

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि इस साल शांति, दोस्ती और सहयोग की संधि के पचास साल और रणनीतिक साझेदारी के 20 साल पूरे हो रहे हैं। साझेदारी में 20 साल में जो उल्लेखनीय प्रगति हुई है, उसके मुख्य सूत्रधार पुतिन ही रहे हैं। प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में जिक्र किया कि दुनिया में तमाम तरह के बदलाव हुए लेकिन भारत-रूस की मित्रता निरंतर विश्वसनीय बनी रही। प्रधानमंत्री के वक्तव्यों के साथ पुतिन ने भी भारत को घनिष्ठ मित्र, ताकतवर और समय की कसौटी पर खरा देश बताया। दुनिया को संदेश भी दिया कि भारत और रूस सैन्य समेत कई क्षेत्रों में मिलकर काम कर रहे हैं।

2+2 डॉयलॉग और रिश्तों को मिला विश्वसनीय आयाम

अमेरिका, जापान और आस्ट्रेलिया के बाद रूस चौथा देश है, जिसके साथ भारत का 2+2 डॉयलॉग का रिश्ता है। हालांकि रूस के साथ इस फोरम पर चर्चा पहले शुरू हुई थी, लेकिन सहमति बाद में बनी। इसी फोरम पर भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव के साथ प्रतिनिधिमंडल स्तरीय वार्ता की और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अपने समकक्ष सर्गेई शुइगो के साथ तमाम मुद्दों पर चर्चा की। दोनों देश अगले दस साल के मिलिट्री टू मिलिट्री टेक्निकल को-ऑपरेशन के लिए सहमत हुए। दोनों देशों के बीच में 20 साल पहले इस सामरिक रणनीतिक साझेदारी पर सहमति बनी थी। दोनों देश इस समझौते को दस-दस साल के लिए करते हैं और इस बार इसके तीसरे टर्म को जारी रखने पर सहमति बनी है। अमेठी में रूस के सहयोग से अगले दस साल में संयुक्त उद्यम के जरिए एके-203 राइफल के निर्माण और आपूर्ति पर सहमति बनी।

समु्द्री क्षेत्र में सहयोग, सैन्य उपकरणों, रक्षा संबंधों को नया आयाम देने समेत तमाम मुद्दे चर्चा में शामिल हुए। विदेश सचिव हर्ष वर्धन श्रृंगला ने कहा कि दोनों देशों के बीच में अपने विश्वसनीय सहयोग को विस्तार देने के सभी मु्द्दे चर्चा में शामिल हुए। हालांकि अभी यह नहीं साफ हो सका है कि रक्षा क्षेत्र में हाइपरसोनिक तकनीक के विकास और सहयोग पर दोनों देशों का रुख क्या रहा। भारत की अकुला क्लास की पनडुब्बी लीज पर लेने की योजना कितनी साकार हो सकी। लॉजिस्टिक सपोर्ट के क्षेत्र में दोनों देशों ने क्या तय किया? इसके सामानांतर एक अच्छी सूचना भी है। भारत और रूस के बीच एस-400 प्रतिरक्षी मिसाइल प्रणाली के सौदे को ठोस आधार देकर समय पर इसकी आपूर्ति पर सहमत बन गई है। भारत ने इसके जरिए संदेश दिया कि उसकी विदेश नीति स्वतंत्र है और अमेरिका के प्रतिबंध कानून काटसा की परवाह किए बिना उसने रूस के साथ रिश्ते को महत्व दिया।

चीन के साथ जारी तनाव के मुद्दे पर भी चर्चा

भारत ने अपने विश्वसनीय साझीदार देश रूस के साथ पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ जारी तनाव के मुद्दे पर भी चर्चा की। हालांकि विदेश मंत्री श्रृंगला का कहना है कि इससे अधिक वह इस बारे में कुछ नहीं बता पाएंगे। भारत और रूस के बीच में अफगानिस्तान, वहां के ताजा हालात, ज्वलंत चुनौतियां, आतंकवाद तथा आसन्न खतरे पर भी चर्चा हुई। अफगानिस्तान को लेकर दोनों देशों का उद्देश्य एक है। भारत और रूस दोनों शांतिपूर्ण और स्थायी अफगानिस्तान चाहते हैं। इस दौरान चर्चा में अमेरिका के साथ बने क्वैड फोरम का भी मुद्दा उठा और भारत ने साफ कहा कि उसका क्वैड को लेकर अमेरिका और सहयोगियों के साथ मुद्दों पर आधारित संबंध है। इसी तरह से ऑकुस फोरम समेत तमाम आपसी हित के और क्षेत्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय हितों, सामुद्रिक क्षेत्र में सहयोग, हिंद महासागरीय क्षेत्र की स्थिति पर चर्चा हुई। समझा जा रहा है कि शिखर नेताओं की बैठक में यूक्रेन और रूस के बीच में बने तनाव जैसे हालात को लेकर भी चर्चा हुई है। बातचीत के केंद्र में नार्थ साउथ कॉरिडोर का मुद्दा भी रहा है।

28 समझौते, सहमति पत्र पर हुए दस्तखत

प्रधानमंत्री मोदी ने स्टील क्षेत्र में रूस को निवेश के लिए आमंत्रित किया है। इसके अलावा खाना बनाने वाले कोयला, गैस, हाइड्रोकार्बन समेत तमाम क्षेत्रों में भारत ने रुचि दिखाई है। दोनों देशों की चर्चा में परमाणु ऊर्जा, संस्कृति, व्यापार, साइबर सुरक्षा, जिओलॉजिकल सर्वे, विज्ञान एवं तकनीकी समेत क्षेत्रों में सहमति बनी है। विदेश सचिव हर्ष वर्धन श्रृंगला ने बताया कि इस दौरान दोनों देशों ने कुछ 28 समझौतों और आपसी सहमति पत्रों पर दस्तखत किए हैं। श्रृंगला ने कहा कि निश्चित रूप से यह राष्ट्रपति पुतिन का बहुत छोटा (कम समय का) दौरा था, लेकिन इस दौरान बहुत व्यापकता के साथ तमाम मुद्दों और बहुआयामी फलक पर चर्चा हुई। दोनों देशों ने रिश्ते की गहराई को बढ़ाने की दिशा में अपने प्रयासों को तेजी से बढ़ाया है। रूस के रक्षा और विदेश मंत्री ने हमारे रक्षा और विदेश मंत्री अगले साल रूस आने के लिए आमंत्रित किया है।

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