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Shani Dev: 29 अप्रैल के बाद इन राशि वालों को मिलेगी शनि साढ़ेसाती और ढैय्या से मुक्ति

Shani Dev: 29 अप्रैल के बाद इन राशि वालों को मिलेगी शनि साढ़ेसाती और ढैय्या से मुक्ति

कर्मफलदाता माने जाने वाले शनिदेवता 29 अप्रैल 2022 को करीब ढाई वर्षों बाद राशि परिवर्तन करने वाले हैं।
– फोटो : अमर उजाला

Shani Sade Sati And Shani Dhaiya 2022: कर्मफलदाता माने जाने वाले शनिदेवता 29 अप्रैल 2022 को करीब ढाई वर्षों बाद राशि परिवर्तन करने वाले हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनि सभी ग्रहों में सबसे मंद गति से चलने वाले ग्रह हैं। शनि को पूरे राशिचक्र का एक चक्कर काटने में लगभग 30 वर्षों का समय लगता है। शनिदेव इस समय मकर राशि में विराजमान हैं और इसके बाद 29 अप्रैल 2022 से यह कुंभ राशि में प्रवेश कर जाएंगे। शनिदेव 30 वर्षों के बाद स्वयं की राशि कुंभ में प्रवेश करेंगे। मकर और कुंभ राशि शनि देव की स्वंय की राशि है। शनि के कुंभ राशि में परिवर्तन से कुछ राशियों पर साढ़ेसाती और ढैय्या लग जाएगी और कुछ राशियां से साढ़ेसाती खत्म हो जाएगी। आइए जानते हैं शनि के राशि परिवर्तन से किन राशियों पर प्रकोप और किन राशियों को मुक्ति मिलेगी।

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इन तीन राशि वालों को मिलेगी शनि की दशा से मुक्ति 

शनि पूरे ढाई साल तक किसी एक राशि में मंद गति से चलने के कारण शनि का अशुभ प्रभाव ज्यादा देर तक रहता है। शनि 29 अप्रैल को कुंभ राशि में गोचर करेंगे। शनि के स्वंय की राशि कुंभ में परिवर्तन से धनु राशि पर चल रही शनि की साढ़ेसाती खत्म हो जाएगी। वहीं मिथुन और तुला राशि वालों को शनि की ढैय्या से मुक्ति मिल जाएगी। लेकिन शनिदेव दोबारा से कुछ समय के लिए 12 जुलाई 2022 को मकर राशि में प्रवेश करेंगे जिसके कारण से मिथुन, तुला और धनु राशि के जातकों पर शनि का प्रभाव फिर से आ जाएगी। शनि यहां पर 17 जुलाई 2023 तक रहेंगे। ऐसे में मिथुन, तुला और धनु राशि से शनि की दशा पूरी तरह से साल 2023 में ही खत्म होगी।

साल 2022 में इन राशि पर शुरू होगी साढ़ेसाती

शनिदेव जैसे ही 29 अप्रैल 2022 को मकर राशि को छोड़कर कुंभ राशि में प्रवेश करें वैसे ही मीन राशि वालों पर शनि की साढ़ेसाती शुरू हो जाएगी। वहीं कर्क और वृश्चिक राशि वालों पर शनि की ढैय्या आरंभ हो जाएगी। मीन राशि वालों पर शनि की साढ़ेसाती का पहला चरण होगा जबकि मकर राशि वालों पर आखिरी और कुंभ राशि वालों पर दूसरा चरण होगा। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनि की साढ़ेसाती के तीनों चरणों में दूसरा चरण शिखर का चरण कहलाता है ऐसे में कुंभ राशि के जातकों के लिए ज्यादा कष्टकारी रहेगा। पहले चरण को उदय चरण कहते हैं इसमें व्यक्ति को मानसिक और आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है। तीसरे चरण में शनि का प्रभाव कम होने लगता है इसे अस्त चरण कहा जाता है। 

शनिदोष से कैसे पाएं मुक्ति 

शनि अच्छे कर्म करने पर व्यक्ति को अच्छा फल और बुरे कर्म करने पर बुरा फल प्रदान करते हैं। ऐसे में शनिदेव को प्रसन्न करने और शनि के अशुभ प्रभाव को कम करने के लिए हर शनिवार को शनि मंदिर जाकर तेल चढ़ाना चाहिए। इसके अलावा शनिवार के दिन हनुमानजी के दर्शन और पूजा करने से भी शनिदोष से मुक्ति मिलती है। शनिवार के दिन तेल का दान करना शुभ माना गया है। इसके अलावा शनि के मंत्रों का जाप करना भी लाभकारी बताया गया है।

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